2013: दिल्ली की अदालतों में छाए रहे आतंकी मामले

बटला हाउस मुठभेड़ मामले में शहजाद अहमद को उम्रकैद की सजा, प्रतिबंधित आतंकी गुट इंडियन मुजाहिद्दीन कासह संस्थापक व कई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड यासीन भटकल और लश्कर-तोइबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा जैसे आतंकियों के मामलों को लेकर इस साल दिल्ली की अदालतें सुर्खियों में रही। दिल्ली की एक अदालत

By Edited By: Publish:Tue, 24 Dec 2013 01:17 PM (IST) Updated:Tue, 24 Dec 2013 01:34 PM (IST)
2013: दिल्ली की अदालतों में छाए रहे आतंकी मामले

नई दिल्ली। बटला हाउस मुठभेड़ मामले में शहजाद अहमद को उम्रकैद की सजा, प्रतिबंधित आतंकी गुट इंडियन मुजाहिद्दीन कासह संस्थापक व कई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड यासीन भटकल और लश्कर-तोइबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा जैसे आतंकियों के मामलों को लेकर इस साल दिल्ली की अदालतें सुर्खियों में रही।

दिल्ली की एक अदालत ने जब सन् 2008 के बटला हाउस मुठभेड़ मामले में एकमात्र दोषी और इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध आतंकी शहजाद अहमद को उम्रकैद की सुनाई तब दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। शहजाद पर मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के निरीक्षक एमसी शर्मा की हत्या का आरोप था। वहीं संदिग्ध हिज्बुल आतंकी लियाकत शाह से जुड़ा मामला एनआईए को सौंपे जाने और इसके बाद उसकी जमानत पर रिहाई के चलते दिल्ली पुलिस को शर्मिदगी का सामना करना पड़ा। लियाकत की गिरफ्तारी को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की बड़ी उपलब्धि बताने वाली बातें आधारहीन साबित हुई क्योंकि जम्मू कश्मीर की पुलिस ने इस बात पर जोर दिया कि वह उन लोगों में से एक था जो 1990 के दशक में यहां से फरार हो गए थे और फिर राच्य की पुनर्वास नीति के तहत बाद में लौटकर भारत में आत्मसमर्पण किया था। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी स्पष्ट रूप से सामने आकर लियाकत की गिरफ्तारी पर दिल्ली पुलिस की आलोचना की थी। सभी पक्षों की ओर से दबाव के चलते गृह मंत्रालय ने यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर दिया था।

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जेल में दो माह बिताने के बाद अदालत ने 45 वर्षीय लियाकत को जमानत पर रिहा कर दिया था। अदालत ने कहा था कि एनआईए की जांच में इस बात की पुष्टि हो गई कि राजधानी में आतंकी हमलों के षड्यंत्र में उसकी भागीदारी के कोई संकेत नहीं थे। लियाकत की भागीदारी का दावा दिल्ली पुलिस ने किया गया था। देशभर में 60 से ज्यादा आतंकी हमलों में वांछित और इंडियन मुजाहिद्दीन के सह संस्थापक भटकल (30) की गिरफ्तारी शायद जांच एजेंसियों की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। इसके सिर पर 35 लाख रुपये का ईनाम था और इसे एनआईए ने इसके करीबी सहयोगी असदुल्लाह अख्तर के साथ भारत-नेपाल सीमा से 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इसी तरह दो दशक तक गिरफ्तारी से बचे रहे लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष बम विशेषज्ञ टुंडा को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। टुंडा उन 20 आतंकियों में से एक है, जिन्हें 26/11 हमलों के संबंध में भारत ने पाकिस्तान से सौंपने की मांग की थी। टुंडा पर देशभर में 40 बम विस्फोटों में शामिल होने का संदेह है। 'डी' शब्द उस समय फिर से ट्रायल कोर्ट में चर्चा का विषय बन गया, जब पुलिस ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में कथित संलिप्तता के चलते दाउद इब्राहिम और उसके सहयोगी छोटा शकील व अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। इसी मामले में निलंबित क्रिकेटर एस श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चह्वाण को भी गिरफ्तार किया गया था।

भटकल और टुंडा की तरह, लश्कर आतंकी और 26/11 हमलों के साजिशकर्ताओं में से एक अबू जुंदाल का मामला भी उस समय सुर्खियों में

आ गया, जब उसने दावा किया कि एनआईए और महाराष्ट्र पुलिस ने उससे जबरन कुछ दस्तावेजों और कोरे कागजों पर दस्तखत करवाए।

सैयद जेबिउद्दीन अंसारी के रूप में भी पहचाने जाने वाला जुंदाल फिलहाल मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है और उसपर देश में आतंकी हमलों की साजिश रचने के आरोप में दिल्ली की अदालत में मुकदमा चलाया जा रहा है। इस साल एनआईए की एक विशेष अदालत ने हिच्बुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख सईद सलाहुद्दीन व नौ अन्य के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लिया। इनमें से आठ लोगों पर पाकिस्तान से लगभग 80 करोड़ रुपये के फंड लेकर भारत में आतंकी हमले करने के आरोप साबित हो गए। अदालत ने कई अन्य सनसनीखेज आतंकी मामलों की भी सुनवाई की। इनमें वर्ष 2012 में इस्राइली राजनयिक पर हुए हमले का मामला भी था, जिसमें पत्रकार सईद मोहम्मद अहमद काजमी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। 2013 में अदालत ने वसीम अकरम मलिक के खिलाफ भी सुनवाई शुरू की। मलिक को सितंबर 2011 में हुए दिल्ली उच्च न्यायालय विस्फोट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस विस्फोट में 15 लोग मारे गए थे और 70 से ज्यादा घायल हो गए थे।

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