मदद से पहले वह यह नहीं देखती कि व्यक्ति किस समुदाय का है- सुषमा

धर्म जानने वाले सांसद को नसीहत देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को संसद में कहा कि विदेश में फंसे हर भारतीय को बचाना उनका फर्ज है।

By kishor joshiEdited By: Publish:Wed, 27 Jul 2016 11:22 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jul 2016 06:35 AM (IST)
मदद से पहले वह यह नहीं देखती कि व्यक्ति किस समुदाय का है- सुषमा

नई दिल्ली (जेएनएन)। विदेश में फंसे भारतीयों को मदद पहुंचाने को विदेश मंत्रालय का एक प्रमुख एजेंडा बन चुका है। लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को यह बात कतई पंसद नहीं कि लोग विदेश में फंसे भारतीयों की जाति, धर्म या समुदाय के नाम पर विभाजित करे।

बुधवार को जब उनकी ही पार्टी के सांसद ने प्रवासी भारतीयों (एनआरआइ) से शादी कर फंसने वाली भारतीय महिलाओं का समुदाय जानने की कोशिश तो उन्हें स्वराज ने दो टूक यह नसीहत दे डाली कि आखिरकार वह उनका समुदाय जान कर वह क्या हासिल कर लेंगे। स्वराज के शब्दों में, ''जब मैं विदेश में फंसे व्यक्ति की मदद करती हूं तो उसकी जाति, भाषा, प्रांत, कम्यूनिटी, ये सारी चीजें गौण हो जाती हैं।''

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दरअसल, भाजपा सांसद हरिश्चंद्र चव्हाण का सवाल भी कुछ तल्खी भरा था। उन्होंने पूछा कि, 'महिलाओं को धोखा दे कर शादी कराने के आरोप में गिरफ्तार प्रवासी भारतीयों के आंकड़े सरकार के पास नहीं है। भारत में इस मामले में की गई गिरफ्तारियों की जानकारी भी मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है। यदि ऐसा है तो भारतीय महिलाओं को न्याय कैसे मिलेगा।' इसके बाद उन्होंने पूछा कि आज तक जिन महिलाओं के साथ धोखा हुआ है उनमें से ज्यादातर किस कम्यूनिटी की हैं।

स्वराज ने अपने जबाव में माना कि विदेशों से सूचना एकत्रित करना बेहद मुश्किल है। साथ ही इस तरह के मामलों को निपटाने में भी काफी कठिनाइयां आती हैं। दूसरे देश निजता संबंधी कानूनों की वजह से इस तरह की जानकारियां साझा नहीं करते। इसके बाद स्वराज ने कहा है कि, ''कम्यूनिटी का पता जल जाने से भी क्या फर्क पड़ जाएगा। विदेश में फंसा व्यक्ति मेरे लिए शुद्ध भारतीय होता है और वह महिला शुद्ध भारतीय होती है। इसलिए मुझे नहीं मालूम कि सांसद इससे क्या हासिल करेंगे कि अगर उनके पास यह आंकड़ा आ जाए कि वे किस समुदाय से हैं।''

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स्वराज ने यह बताया कि विदेश मंत्रालय की तरफ से विदेश में शादी कर फंसी महिलाओं के लिए मदद नाम से एक पोर्टल बनाया है। इस पर अभी तक 246 शिकायतें आई हैं जिनमें से 172 का समाधान कर लिया गया है। इसके अलावा डाक व ईमेल से 362 शिकायतें प्राप्त हुई है जिनमें से 344 का निपटान कर दिया गया है। इसके अलावा महिला व बाल विकास मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है जो यह सुझाव देगा कि पीडि़त महिलाओं को न्याय दिलाने में मौजूदा कानूनों में कहां कहां दिक्कतें हैं। इसमें विदेश मंत्रालय के भी दो अधिकारी हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मुद्दे पर पांच सदस्यीय एक समिति और चार सदस्यीय उपसमिति गठित की है। साथ ही राज्य सभा की पिटीशन कमिटी के पास भी एक याचिका आई है। विदेश मंत्रालय इन तीनों समितियों की सिफारिशों का इंतजार कर रहा है ताकि मौजूदा प्रावधानों का समाधान किया जा सके।

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