सिंगूर: टाटा मोटर्स को SC से झटका, किसानों को जमीन वापसी के आदेश

बहुचर्चित सिंगूर जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट के फैसले से किसानों को राहत मिली है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Wed, 31 Aug 2016 02:27 PM (IST) Updated:Wed, 31 Aug 2016 04:35 PM (IST)
सिंगूर: टाटा मोटर्स को SC से झटका, किसानों को जमीन वापसी के आदेश

पश्चिम बंगाल, प्रेट्र। सिंगूर जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा मोटर्स को जबरदस्त झटका देते हुए साफ कर दिया कि 2006 में तत्कालीन सीपीएम सरकार के वक्त अधिग्रहण कर टाटा को दी गई किसानों की जमीन उन्हें वापस करनी होगी। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया है कि किसानों को उस समय जमीन के बदले मिला हुआ मुआवजा भी वापस नहीं करना होगा क्योंकि किसान पिछले दस सालों से अपनी सुविधाओं से वंचित थे।

सिंगूर पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए इस बहुप्रतीक्षित फैसले का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वागत करते हुए ऐतिहासिक जीत करार दिया है। ममता ने कहा, “हम पिछले 10 वर्षों से इस फैसले का इंतजार कर रहे थे। यह किसानों की जीत है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद हम गुरूवार को एक बैठक करने जा रहे हैं जिसमें इस बात पर विचार होगा कि कैसे सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू किया जाए।”

This is a landmark victory after we thought of the new name for State of WB. Very happy with the decision: WB CM pic.twitter.com/4K2vUiwDnt

— ANI (@ANI_news) August 31, 2016

उधर, सिंगूर पर सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले के बाद किसानों की जमीन वापसी के लिए पैरवी कर रहे कल्याण बनर्जी ने कहा कि दस साल के बाद आए इस फैसले से काफी खुशी हुई है।

टाटा मोटर्स को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका

अदालत ने सिंगूर में टाटा के नैनो प्लांट के लिए अधिग्रहीत जमीन को रद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह से जमीन अधिग्रहित नहीं कर सकती है। अदालत ने तत्कालीन बुद्धदेब भट्टाचार्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों के साथ अन्याय किया था।

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'किसानों को वापस मिले उनकी जमीन'

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को 12 हफ्ते के भीतर किसानों को उनकी जमीन वापस करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन 10 सालों के दौरान मिले मुआवजे को किसानों को नहीं लौटाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण फैसले में यह भी कहा कि जमीन अधिग्रहण के लिए पर्याप्त और निष्पक्ष जांच नहीं की गई।

गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने तत्कालीन सरकार के अधिग्रहण को सही ठहराया था, जिसके खिलाफ किसानों की ओर से गैर सरकारी संगठनों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

क्या है मामला ?

पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में तत्कालीन लेफ्ट सरकार ने साल 2006 में टाटा की नैनो कार के लिए लगभग 1000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया था। बताया जाता है कि लेफ्ट सरकार ने कई किसानों से जमीन का जबरन अधिग्रहण किया था। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने राज्य सरकार के खिलाफ एक अभियान चलाया था। बढ़ते हंगामे के कारण टाटा ने अपने कारखाने को गुजरात शिफ्ट कर दिया था।

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साल 2011 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों की जमीन को वापस लौटाने के लिए जमीन पुनर्वासन व उन्नय कानून 2011 के नाम से एक कानून बनाया था। इस कानून को टाटा ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इस कानून को असंवैधानिक करार दिया था।

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