सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्रूरता का दोष सिद्ध होने पर ही पशु की स्थायी जब्ती होनी चाहिए

जानवरों के साथ क्रूरता के मामले में पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम 1960 के तहत होने वाली कार्रवाई पर सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सफाई दी। कहा जब्ती और कब्जे में लेना दोनों अलग तरह की प्रक्रियाएं हैं। इसलिए इन्हें समान समझना ठीक नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 07:51 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jan 2021 07:51 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्रूरता का दोष सिद्ध होने पर ही पशु की स्थायी जब्ती होनी चाहिए
पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

नई दिल्ली, प्रेट्र। जानवरों के साथ क्रूरता के मामले में पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम 1960 के तहत होने वाली कार्रवाई पर सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सफाई दी। कहा, जब्ती और कब्जे में लेना, दोनों अलग तरह की प्रक्रियाएं हैं। इसलिए इन्हें समान समझना ठीक नहीं है। शीर्ष न्यायालय में जब्त पशुओं को मुक्त करने के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई हो रही थी।

पशु का स्थायी आहरण तभी होना चाहिए जब आरोपी कानून के उल्लंघन का दोषी साबित हो

शीर्ष न्यायालय ने कहा, पशु का शासन द्वारा स्थायी आहरण तभी होना चाहिए जब आरोपी कानून के उल्लंघन का दोषी साबित हो जाए। मामले की सुनवाई चलने के दौरान स्थायी आहरण नहीं होना चाहिए। दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है। इस पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम भी हैं।

पीठ ने कहा- पशु की बिक्री और उसकी जब्ती में अंतर होता है

पीठ ने कहा कि वह उस स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं जब सुनवाई के दौरान पशु को सुरक्षात्मक उपाय के तहत कब्जे में लेकर उसे मालिक से दूर रखा जाता है। पशु की बिक्री और उसकी जब्ती में अंतर होता है। जब पशु को बेचा जाता है तो बदले में आय होती है, लेकिन जब पशु बिना इच्छा के ले जाया जाता है तो उसे लेकर कई तरह की चिंता मन में पैदा होती है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा- याचिकाकर्ता जब्ती और कब्जे में लेने की प्रक्रिया को लेकर दुविधा में हैं

सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह जल्द ही याचिका के जवाब में विस्तृत आख्या दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा, याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन जब्ती और कब्जे में लेने की प्रक्रिया को लेकर दुविधा में हैं। उसे दोनों प्रक्रिया के अंतर की जानकारी नहीं है। दोनों ही प्रक्रियाओं का उद्देश्य पशु को क्रूरता से बचाना है। इसकी अनुमति किसी भी व्यक्ति नहीं दी जा सकती। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

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