सिख विरोधी दंगा के दोषी खोखर ने कोरोना का हवाले दे मांगी पैरोल, सुप्रीम कोर्ट ने CBI से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने गुरवार को पूर्व कांग्रेस पाषर्षद बलवान खोखर की याचिका पर सीबीआइ से जवाब मांगा। वह 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 30 Apr 2020 05:57 PM (IST) Updated:Thu, 30 Apr 2020 08:47 PM (IST)
सिख विरोधी दंगा के दोषी खोखर ने कोरोना का हवाले दे मांगी पैरोल, सुप्रीम कोर्ट ने CBI से मांगा जवाब
सिख विरोधी दंगा के दोषी खोखर ने कोरोना का हवाले दे मांगी पैरोल, सुप्रीम कोर्ट ने CBI से मांगा जवाब

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर की याचिका पर सीबीआइ से जवाब तलब किया है। खोखर ने कोरोना के चलते आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत या पैरोल के लिए यह याचिका दाखिल की है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ के समक्ष खोखर के वकील ने दलील दी कि कोरोना के चलते अदालतों और सरकार द्वारा जेलों में भीड़ कम करने के लिए सुझाव दिए गए थे जिसे देखते हुए उसे पैरोल दी जाए।

खोखर की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि वे 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक हैं और छह साल से जेल में बंद हैं। वे मधुमेह, ब्‍लडप्रेशर और जोड़ों के दर्द समेत कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। कोरोना का जोखिम ज्‍यादा है इसलिए वह जीवन बचाने की गुहार लगा रहे हैं। याचिका में खोखर की ओर से संविधान के अनुच्छेद-21 में प्रदत्‍त अधिकारों का भी हवाला दिया गया है। खोखर ने जेल के संशोधित नियम 1211 के तहत पैरोल की गुजारिश की। उन्‍होंने कहा कि चूंकि वह कई बीमारियों से ग्रस्त हैं इसलिए संक्रमण के चलते उनकी जान को खतरा है।

शीर्ष अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले में दंगा पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुलका ने पैरवी की। उन्‍होंने खोखर की जमानत याचिका का विरोध किया। फ‍िलहाल, खोखर मौजूदा वक्‍त में पंजाब के अपने पैतृक गांव में हैं। उन्‍हें उनके पिता का निधन पर सर्वोच्‍च अदालत ने 15 जनवरी को चार हफ्ते की पैरोल पर रिहा किया था। 

खोखर की ओर से य‍ाचिका में यह भी दलील दी गई है कि मार्च महीने में जब देश में कोरोना फैलना शुरू हुआ था तो दिल्ली सरकार और हाईकोर्ट ने कहा था कि माहामारी को फैलने से रोकने के लिए जेल नियमों में संशोधन कर कैदियों को पैरोल का विकल्प प्रदान किया जाएगा। मालूम हो कि खोखर और कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार इस समय सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद से उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। दोनों को दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2018 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

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