राज्य नौकरी कर रहे डाक्टरों को पीजी मेडिकल प्रवेश में दे सकता है आरक्षण, SC की संविधान पीठ का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को NEET पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री पाठ्यक्रमों में इन-सर्विस डॉक्टरों को सीटों के आरक्षण का लाभ देने की अनुमति दे दी है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 31 Aug 2020 11:17 AM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 11:31 AM (IST)
राज्य नौकरी कर रहे डाक्टरों को पीजी मेडिकल प्रवेश में दे सकता है आरक्षण, SC की संविधान पीठ का फैसला
राज्य नौकरी कर रहे डाक्टरों को पीजी मेडिकल प्रवेश में दे सकता है आरक्षण, SC की संविधान पीठ का फैसला

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि राज्य सरकारी नौकरी कर रहे डाक्टरों को मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) पाठ्क्रम में प्रवेश में आरक्षण दे सकते हैं। ऐसा करने पर नियम कानूनों में कोई रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें ग्रामीण, दूरस्थ और मुश्किल इलाकों में सेवा देने की शर्त पर नौकरी कर रहे डाक्टरों को पीजी प्रवेश में आरक्षण दे सकती हैं और इसके लिए एक नीति बनाकर बांड भी भरा सकती हैं।

यह महत्वपूर्ण फैसला न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, इंदिरा बनर्जी, विनीत सरन, एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की पांच सदस्यीय पीठ ने पीजी प्रवेश में सरकारी नौकरी के डाक्टरों को आरक्षण देने के राज्य सरकार के कानूनी अधिकार का जवाब देते हुए सुनाया है। कोर्ट ने अपने 242 पेज के विस्तृत आदेश में कहा है कि पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजूकेशन रेगुलेशन 2000 के नियम 9 में राज्य सरकार के सरकारी नौकरी के डाक्टरों को पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश देने पर कोई रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा लेकिन ऐसे अलग इन्ट्री यानी आरक्षण के जरिए प्रवेश का लाभ लेने वाले के लिए पीजी प्रवेश की नीट परीक्षा न्यूनतम तय अंकों से पास करना अनिवार्य है। कोर्ट ने 2016 के उत्तर प्रदेश बनाम दिनेश सिंह चौहान फैसले से असहमति जताते हुए यह फैसला सुनाया है।

उत्तर प्रदेश बनाम दिनेश सिंह के फैसले में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि सरकारी नौकरी में रहने वाले डाक्टरों को पीजी प्रवेश में आरक्षण देना पीजी मेडिकल एजूकेशन रेगुलेशन 2000 के प्रावधानों का उल्लंघन है। संविधानपीठ ने उस मत से असहमति जताते हुए कहा कि संविधान के मुताबिक वह नजरिया सही नहीं था। कोर्ट ने राज्य सरकार के पीजी प्रवेश में आरक्षण देने के अधिकार पर अपनी मुहर लगाते हुए फैसले में यह भी कहा है कि वह उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकार आरक्षण देने के इस विधायी अधिकार का प्रयोग करते हुए उन्हीं लोगों को इस चैनल से प्रवेश लेने का लाभ देंगी जो निश्चित अवधि तक ग्रामीण, दूरस्थ और मुश्किल क्षेत्र में सेवा देंगे। इतना ही नहीं डिग्री पूरी होने के बाद सुनिश्चित करेंगी कि वह सफल अभ्यर्थी उन इलाकों मे सेवा दे। इसके लिए नीति बनाकर राज्य सरकारें इस चैनल से प्रवेश लेने वालों से निश्चित रकम का बांड भरा सकती हैं। कानूनी व्यवस्था साफ करने के साथ ही कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के एक अक्टूबर 2019 के फैसले को रद कर दिया है और सभी अपीलें स्वीकार कर ली हैं।

इस मामले में विभिन्न राज्यों की बहुत सी याचिकाएं संलग्न थीं ऐसे मे कोर्ट ने साफ किया है कोलकाता में जो अभ्यर्थी पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स कर रहे हैं उन्हें डि‌र्स्टब नहीं किया जाएगा। इसी तरह गुजरात, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में पीजी कोर्स में प्रवेश ले चुके सफल उम्मीदवारों को डि‌र्स्टब नहीं किया जाएगा।

परीक्षा टालने को लेकर छात्र ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र

देश भर में सितंबर महीने में नीट-जेईई प्रवेश परीक्षाएं आयोजित होने जा रही है। इसको लेकर देश के अलग-अलग कोने में विरोध हो रहा है। देश में नीट-जेईई प्रवेश परीक्षाएं कराने को लेकर कई छात्र आपत्ति जता रहे हैं और परीक्षा को टालने की मांग कर रहे हैं। इस बीच जेईई की परीक्षा में शामिल होने जा रहे 17 वर्षीय छात्र ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबड़े को पत्र लिखकर परीक्षा टालने का आग्रह किया है। उसने पत्र में COVID-19 और बाढ़ संकट के मद्देनजर जेईई और नीट परीक्षाएं स्थगित करने का अनुरोध किया है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को दिए अपने फैसले में कहा था कि नीट-जेईई की प्रवेश परीक्षाएं तय समय पर ही होंगी, कोरोना से जिंदगी नहीं थम सकती। कई राज्य सरकारों ने इस पर पुनर्विचार की मांग भी की है। परीक्षाओं को स्थगित कराने को लेकर जो राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं उनमें पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बंगाल, झारखंड और महाराष्ट्र शामिल हैं। हालांकि इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग दिल्ली और ओडिशा भी कर रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका में इन राज्यों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। फिलहाल इन परीक्षाओं को आयोजित करने को लेकर अलग-अलग राज्यों में तैयारियां शुरू हो गई हैं।

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