Joginder Island: सिख रेजीमेंट के परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह, कल्पना से परे है इनके साहस की कहानी

1962 का चीन-भारत युद्ध देश के इतिहास में बहुत अहमियत रखता है। इस युद्ध में भले ही हम चीन से हार गए थे लेकिन आज भी भारतीय जवानों की कहानियों को लोग गर्व से सुनाते हैं। उन्हीं जवानों में से एक थे सूबेदार जोगिंदर सिंह।

By Babli KumariEdited By: Publish:Tue, 24 Jan 2023 01:40 PM (IST) Updated:Tue, 24 Jan 2023 01:40 PM (IST)
Joginder Island: सिख रेजीमेंट के परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह, कल्पना से परे है इनके साहस की कहानी
सिख रेजीमेंट के परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह (जागरण ग्राफिक्स)

नई दिल्ली,आनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 23 जनवरी 2023 को पराक्रम दिवस के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण किया।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि यहां पहली बार तिरंगा फहराया गया था और भारत की पहली स्वतंत्र सरकार बनी थी। उन्होंने यह भी कहा कि वीर सावरकर और उनके जैसे कई अन्य वीरों ने इसी भूमि पर देश के लिए तपस्या और बलिदान के उच्‍च शिखर को छुआ था।

आज हम इन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे गए द्वीपों के नामों में से सूबेदार जोगिंदर सिंह के बारे में जानेंगे जिनके नाम पर 'जोगिंदर द्वीप' का नाम रखा गया है -

पंजाब में मोगा जिले के गांव माहलाकलां में किसान शेरसिंह व मां बीबी कृष्ण कौर के घर में 26 सितंबर 1921 को सूबेदार जोगिंदर सिंह का जन्म हुआ था। 28 सितंबर 1936 को वे सिख रेजीमेंट में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए थे। कश्मीर में भी तैनात रहे जोगिदर सिंह ब्रिटिश इंडियन आर्मी के लिए जोगिदर सिंह बर्मा जैसे मोर्चों पर लड़े।

भारत के आजाद होने के बाद 1948 में जब कश्मीर में पाकिस्तानी कबाइलियों ने हमला किया तो वहां मुकाबला करने वाली सिख रेजीमेंट का हिस्सा थे। अगस्त 1962 में जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारत पर हमला कर दिया था तब सूबेदार जोगिदर सिंह ने चीनी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए थे।

सैन्य जीवन की शुरुआत 28 सितंबर 1936 में सिख रेजिमेंट से हुई

सूबेदार जोगिंदर सिंह ने सैन्य जीवन की शुरुआत 28 सितंबर 1936 में सिख रेजिमेंट से हुई थी। 1962 के युद्ध के दौरान जोगिंदर सिंह ने अपनी सूझबूझ से दुश्मन को दो बार पीछे खदेड़ दिया था। सूबेदार सिंह 20 अक्टूबर को बुमला एक्सिस के तॉगपेग ला इलाके में गश्त कर रहे थे जहां से उन्होंने इस जगह के ठीक विपरीत मैकमोहन लाइन पर भारी संख्या में दुश्मन सेना के जमावड़े को देखा। सिंह ने पहले ही दुश्मन की मंशा भांप ली और तुरंत सेना के आलाधिकारियों के साथ यह जानकारी साझा की।

 सूबेदार जोगिंदर सिंह ने चीनी सेना के छुड़ाए छक्के 

20 अक्टूबर को चीन की सेना ने एक साथ कई इलाकों पर हमला शुरु कर दिया. चीनियों की सबसे बड़ी लालच तवांग पर कब्जा करना था। चीन को पता नहीं था की आगे की तरफ भारतीय सेना की पहली सिख बटालियन के जवान खड़े हैं। बुमला पास के पास सूबेदार जोगिंदर सिंह की टुकड़ी मौजूद थी, इसमें कुल 27 जवान थे। कुछ ही देर में इस फ्रंट पर लड़ाई शुरू हो गई। करीब 200 चीनी सैनिकों ने हमला किया।

चीन के इस हमले में कई चीनी सैनिक मारे गए। कुछ घायल हो गए जितने चीनी सैनिक बचे वह भाग गए। 200 चीनी सैनिक दोबारा तैयार होकर हमला करने आए। इस हमले को भी भारतीय फौज ने नाकाम कर दिया। इसमें भारतीय सेना को भी नुकसान पहुंचा। इसी बीच सूबेदार जोगिंदर सिंह को भी गोली लगी। हालांकि, उन्होंने चीन के छक्के छुड़ा दिए।

द्वीपों का नाम इन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा

इन द्वीपों का नाम जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा वे हैं – मेजर सोमनाथ शर्मा; सूबेदार और मानद कैप्‍टेन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एम.एम; सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे; नायक जदुनाथ सिंह; कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह; कैप्टन जीएस सलारिया; लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा; सूबेदार जोगिंदर सिंह; मेजर शैतान सिंह; सीक्यूएमएच। अब्दुल हमीद; लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर; लांस नायक अल्बर्ट एक्का; मेजर होशियार सिंह; सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल; फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों; मेजर रामास्वामी परमेश्वरन; नायब सूबेदार बाना सिंह; कैप्‍टेन विक्रम बत्रा; लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे; सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार; और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (मानद कैप्‍टेन) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।

बता दें कि इन द्वीपों के नामकरण के पीछे 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के विशिष्‍ट संदेश के बारे में प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश के लिए दिए गए बलिदानों और भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की अमरता का संदेश है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 परमवीर चक्र विजेताओं ने भारत माता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।

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