विश्व में युद्ध का नया मैदान बना अंतरिक्ष, यह देश तेजी से कर रहे तैयारी

World War III विश्व में युद्ध का नया मैदान अंतरिक्ष बन रहा है। इसकी तैयारी रूस अमेरिका और चीन तेजी से कर रहे हैं। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि तीसरा विश्व युद्ध अंतरिक्ष से हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 09:06 AM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 09:28 AM (IST)
विश्व में युद्ध का नया मैदान बना अंतरिक्ष, यह देश तेजी से कर रहे तैयारी
सेटेलाइट पर निर्भर हमारी संचार और इंटरनेट व्यवस्था कभी भी खतरे में पड़ सकती है। प्रतीकात्मक

निरंकार सिंह। हाल ही में रूस ने एंटी सेटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया है जिससे अमेरिका नाराज है। इस परीक्षण के जरिये रूस ने अपने ही एक उपग्रह को नष्ट किया है। इससे जो मलबा अंतरिक्ष में फैला है, वह अन्य उपग्रहों के लिए खतरा बन गया है। अमेरिका ने इसे एक खतरनाक और गैर-जिम्मेदार मिसाइल परीक्षण बताया है। उसने कहा है कि इस परीक्षण ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर अंतरिक्ष यात्रियों का जीवन खतरे में डाल दिया।

दरअसल इस परीक्षण में रूस ने अपने ही एक उपग्रह पर निशाना लगाया, जिसके फटने से अंतरिक्ष में मलबा बना और आइएसएस चालक दल को अपने कैप्सूल में छिपने को मजबूर होना पड़ा। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस के अनुसार 16 नवंबर को रूस ने एक एंटी-सेटेलाइट मिसाइल का परीक्षण करने के लिए अपने ही सेटेलाइट को खत्म कर दिया। इसमें उसके 1,500 से अधिक टुकड़े व हजारों छोटे मलबे बने जिससे सभी देशों के हितों को खतरा है।

अंतरिक्ष में उपग्रहों के मलबे के 27 हजार से ज्यादा टुकड़े घूम रहे हैं और ये टुकड़े कभी भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) और अंतरिक्ष में मौजूद सेटेलाइट से टकरा सकते हैं। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि वह सेटेलाइट के इन टुकड़ों पर नजर रखेगा और अगर इनके आइएसएस से टकराने का खतरा हुआ तो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर वापस लाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे एंटी-सेटेलाइट मिसाइल परीक्षण से पैदा होने वाले मलबे को नियंत्रित करना असंभव है।

इससे हजारों मलबे के टुकड़े बने हैं जिनमें कई तो धरती की ओर आएंगे, लेकिन कई अंतरिक्ष में ही घूमते रहेंगे और भविष्य में सभी देशों के मिशन को प्रभावित करेंगे। पिछले करीब 64 वर्षो से हमारे सिर के ऊपर एक के बाद एक गतिविधियां की जाती रही हैं जिसका मतलब है कि अंतरिक्ष में करोड़ों टुकड़े अनियंत्रित रूप से घूम रहे हैं। इनका आकार एक सेमी से 10 सेमी तक है। इस तरह की गतिविधियों का असर मौसम और टेलीकम्युनिकेशन से जुड़े उपग्रहों पर भी होगा। आज जरूरत अंतरिक्ष के परिवेश को साफ करने की है, न कि उसे और प्रदूषित करने की।

भारत, अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश धरती से ही कक्षा से उपग्रहों को बाहर निकालने में सक्षम हैं। इस तरह की एंटी-सेटेलाइ मिसाइल का परीक्षण करना दुर्लभ घटना है। जब भी ऐसा होता है तो इसकी आलोचना होती है, क्योंकि इससे अंतरिक्ष का समूचा परिवेश प्रदूषित होता है। चीन ने जब वर्ष 2007 में अपने एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को नष्ट किया था तो उसने अंतरिक्ष में दो हजार से अधिक मलबे के टुकड़े फैलाए। चीन समेत अन्य देशों के भी पहले से चल रहे अंतरिक्ष मिशन के लिए इसने एक खतरा पैदा कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष स्टेशन एक ऐसी कक्षा में है जिससे दूसरे लोग किसी भी तरह के उपकरणों को दूर रखने की कोशिश करते हैं, चाहे वो सक्रिय हो या निष्क्रिय। हालांकि अचानक से उपग्रहों और राकेटों के टुकड़े के करीब आने पर अंतरिक्ष यात्रियों को एहतियाती कदम उठाने पड़ रहे हैं। इन टुकड़ों की गति इतनी तेज होती है कि ये आसानी से स्टेशन की दीवारों में छेद करने में सक्षम होते हैं। एहतियाती उपायों में आमतौर पर अंतरिक्ष यात्री माड्यूलों के बीच के हैच (रास्ते) को बंद कर लेते हैं। या वे अपने कैप्सूल या अंतरिक्ष यान में चले जाते हैं जो उन्हें स्टेशन तक ले गया है। जब अंतरित्र यात्री अंतरिक्ष में घूमकर काम कर रहे होते हैं तो उस दौरान उनके कैप्सूल अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़े होते हैं, ताकि आपातकालीन स्थिति में वे लाइफबोट की तरह उनपर बैठकर निकल सकें।

रूस ने जिस हथियार से अपने उपग्रह को नष्ट किया उसे एंटी-सेटेलाइट वीपन कहते हैं जिन्हें अंतरिक्ष में मौजूद सेटेलाइट्स को नष्ट करने के लिए पृथ्वी से लान्च किया जाता है। माना जाता है कि कई देशों के पास यह टेक्नोलाजी है, लेकिन केवल अमेरिका, रूस, चीन और भारत ही इसका सफल परीक्षण कर पाए हैं। भारत ने 27 मार्च 2019 को एक ऐसी ही मिसाइल से पृथ्वी से 300 किमी की ऊंचाई पर मौजूद अपने एक निष्क्रिय सेटेलाइट को मार गिराया था। एंटी-सेटेलाइट वीपंस पारंपरिक युद्ध की परिभाषा को पूरी तरह से बदल सकते हैं, क्योंकि दुश्मन देश को घुटनों पर लाने के लिए महंगे लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों और युद्धपोतों से हमले करने की जरूरत नहीं है, बल्कि ये काम अंतरिक्ष में मौजूद सेटेलाइट्स को नष्ट करके अब कुछ ही क्षणों में किया जा सकता है।

ऐसे में निकट भविष्य में यदि अंतरिक्ष में युद्ध छिड़ गया और दुश्मन देश एक दूसरे के उपग्रहों पर मिसाइलों से हमला करने लगे हैं तो क्या होगा? सभी डीटीएच काम करना बंद कर देंगे। आपका इंटरनेट काम नहीं करेगा, जीपीएस सिस्टम बंद हो जाएगा, हवा में उड़ रहे विमान अपना रास्ता भटक जाएंगे। पानी के जहाजों को भी रास्ता नहीं मिलेगा। दुनियाभर की अर्थव्यवस्था एक झटके में रुक जाएगी। पूरी दुनिया की संचार व्यवस्था ठप हो जाएगी। बैंकिंग सिस्टम थम जाएगा, डिजिटल लेन-देन ठप हो जाएगा। सेनाओं का इंटेलिजेंस, नेविगेशन, कम्युनिकेशन सिस्टम भी बंद हो जाएगा और जमीन, हवा या पानी के रास्ते शत्रु को जवाब देना संभव नहीं होगा।

[वरिष्ठ पत्रकार]

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