मुंह की खराब सेहत से बढ़ता है लिवर कैंसर का खतरा, ना करें नजरअंदाज; ये हैं संकेत
मसूढ़ों में दर्द व खून आना मुंह में अल्सर बनना और दांतों की कमजोरी को मुंह की खराब सेहत का लक्षण माना गया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। मुंह की खराब सेहत से हेपाटोसेल्युलर कार्सिनोमा (एचसीसी) का खतरा 75 फीसद तक बढ़ जाता है। एचसीसी लिवर कैंसर का सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार है। मुंह की सेहत और लिवर व आंतों के कैंसर के बीच संबंध जानने के लिए किए गए हालिया अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। मसूढ़ों में दर्द व खून आना, मुंह में अल्सर बनना और दांतों की कमजोरी को मुंह की खराब सेहत का लक्षण माना गया है।
इसका संबंध हार्ट अटैक, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी पाया जा चुका है। शोध के दौरान ब्रिटेन के 4,69,628 लोगों को शामिल किया गया था। मुंह की खराब सेहत वाले ज्यादातर प्रतिभागी युवा थे। ऐसे लोग अपने खानपान में फल-सब्जी का कम इस्तेमाल करते थे। वैज्ञानिक अभी यह नहीं जान पाए हैं कि मुंह की खराब सेहत से पेट और आंत के अन्य कैंसर की तुलना में लिवर के कैंसर का खतरा ज्यादा क्यों बढ़ जाता है।
लिवर कैंसर की पहचान आमतौर शुरुआती अवस्था में कम हो पाती है। जब रोगी में लिवर कैंसर बढने लगता है तभी इसके लक्षण महसूस किए जाते हैं। लिवर कैंसर, लिवर में होने वाला घातक ट्यूमर है। यह आमतौर पर एक और कैंसर से मेटास्टेसिस के रूप में प्रकट होता है। भूख न लगना, कमजोरी, सूजन, पीलिया और ऊपरी पेट की परेशानी इसके मुख्य लक्षणों में से एक है।
फर्स्ट स्टेज के कई लक्षण
लिवर कैंसर के फर्स्ट स्टेज में शरीर के इंसान में कई बदलाव होते हैं जिनके लक्षण सामान्य स्थिती से बहुत अलग होते है। अगर इन सिथ्तियों पर ध्यान दिया जाए तो इस बीमारी का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और समय रहते डॉक्टर के पास ले जाएं तो मरीज को जल्द ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। कभी-कभी जिन रोगियों में लिवर कैंसर पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो जाता है उनके इलाज के लिए डॉक्टर उपशामक थेरेपी की मदद लेते हैं। उपमाशक थेरेपी का मुख्य उद्देशय होता है रोगी को दर्द व अन्य समस्याओं से निजात दिलाकर एक आरामदायक जीवन देना।
शारीरिक जांच: शारीरिक जांच जैसे वजन में कमी होने, कुपोषण, कमजोरी, लिवर का बढ़ना और इससे जुड़ी बीमारियां जैसे कि हेपैटाईटिस और सिरोसिस।
बॉयोप्सी: कैंसरयुक्त होने की पड़ताल के लिए इसमें पैथॉलाजिस्ट द्वारा परीक्षण हेतु छोटी मात्रा में टिश्यू निकाले जाते हैं।
लैपरोस्कोपी: लिवर देखने के लिए इसमें पेट में छोटा चीरा लगाकर एक पतली, हल्कीप लाईटेड ट्यूब अंदर डाली जाती है।
लिवर कैंसर लिवर तक सीमित रहने पर ही पुर्वानुमान संभव
लिवर कैंसर वाले मरीज के लिए पूर्वानुमान इस पर निर्भर हैं कि क्या लिवर कैंसर लिवर तक सीमित है और क्या इसे सर्जरी से पूरी तरह निकाला जा सकता है। सर्जरी के बावजूद हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा और कोलेनजियोकार्सिनोमा वाले मरीजों में 5 वर्ष के लिए बचने की दर (सर्वाइवल रेट) 20 प्रतिशत से कम है। लिवर के सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण के बाद पूर्वानुमान बेहतर हो सकते हैं। हेपैटोब्लॉस्टोमा वाले बच्चों में 5 वर्षों के लिए सर्वाइवल रेट लगभग 70 प्रतिशत होती है जब कैंसर लिवर तक सीमित हो और पूरी तरह से निकाला जा सकता हो। लिवर के एंजियोसरकोमा वाले अधिकांश मरीजों में बीमारी निदान के समय तक पहले ही काफी फैल चुकी होती है जिससे पूर्वानुमान आमतौर से निराशाजनक हो जाते हैं।
ऐसे लगाएं लिवर कैंसर का पुर्वानुमान
थकान होना, वजन घटना और उल्टी होना लिवर के खराब होने के संकेत हैं। पीलिया कोई बीमारी नहीं है, यह वास्तव में एक चिन्ह् है कि आपका लिवर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। जब शरीर में बिल्रूयूबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो पीलिया हो जाती है। यह लिवर कैंसर का पहला लक्षण है। अगर इन सब बीमारियों ने आपको घेर लिया है तो लिवर कैंसर की जांच करा लीजिए।
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