कांग्रेस-नेकां को मंजूर नहीं सेक्युलर शब्द

सेक्युलरिज्म की दुहाई देने वाली कांग्रेस व फिलहाल उसके समर्थन से सरकार चला रही नेशनल कांफ्रेंस को यह स्वीकार नहीं कि जम्मू-कश्मीर के संविधान में भारतीय संविधान की तरह सेक्युलर शब्द शामिल हो। राज्य के संविधान में सेक्युलर शब्द शामिल किए जाने को लेकर पैंथर्स पार्टी के विधायक हर्षदेव सिंह ने विधानसभा में एक विध

By Edited By: Publish:Sun, 31 Aug 2014 12:56 AM (IST) Updated:Sun, 31 Aug 2014 12:58 AM (IST)
कांग्रेस-नेकां को मंजूर नहीं सेक्युलर शब्द

जागरण न्यूज नेटवर्क, श्रीनगर। सेक्युलरिज्म की दुहाई देने वाली कांग्रेस व फिलहाल उसके समर्थन से सरकार चला रही नेशनल कांफ्रेंस को यह स्वीकार नहीं कि जम्मू-कश्मीर के संविधान में भारतीय संविधान की तरह सेक्युलर शब्द शामिल हो। राज्य के संविधान में सेक्युलर शब्द शामिल किए जाने को लेकर पैंथर्स पार्टी के विधायक हर्षदेव सिंह ने विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसका नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस, दोनों दलों के विधायकों ने मिलकर जमकर विरोध किया। जब हर्षदेव सिंह ने विंधेयक पर वोटिंग की मांग की तो कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने विरोध में मतदान किया। कानून मंत्री मीर सैफुल्ला ने दलील दी की राज्य के संविधान में सेक्युलर शब्द जोड़ने की जरूरत नहीं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान भी है और ध्वज भी।

अपनी ओर से पेश विधेयक के नामंजूर होने पर हर्षदेव सिंह ने शुक्रवार को सदन में बैनर लहराकर अपना विरोध दर्ज कराया। उनके समर्थन में बलवंत सिंह मनकोटिया, अश्वनी कुमार, सुखनंदन चौधरी व दुर्गा दास ने भी नारेबाजी की। वे नारेबाजी करते हुए वेल में भी आ गए। पैंथर्स पार्टी व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इन विधायकों के विरोध के बीच निर्दल विधायक इंजीनियर रशीद भी वेल में आ धमके। उन्होंने कहा कि गांधी जी के निधन के साथ ही सेक्युलरिज्म खत्म हो गया था। रशीद ने नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी के नेताओं को भी खरी-खोटी सुनाई। वह जब विधायक बिमला लूथरा से उलझ गए तो स्पीकर ने मार्शलों के जरिये उन्हें सदन से बाहर कर दिया।

जम्मू-कश्मीर के संविधान में सेक्युलर शब्द जोड़े जाने की मांग 2006 में भी एक विधेयक के जरिये उठी थी। वह विधेयक भी हर्षदेव सिंह ने पेश किया था। तब उसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था। उस समय मीर सैफुल्ला भी इस समिति के सदस्य थे। तब उनके साथ समिति के सभी सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया था। इस समिति के रिपोर्ट देने के पहले ही विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया।

हर्षदेव सिंह का कहना है कि राज्य के संविधान में सेक्युलर के साथ हीअखंडता शब्द भी नदारद है और इससे देश-दुनिया को गलत संदेश जाता है। उनका सवाल है कि जब राज्य का संविधान भारतीय संविधान से ही अंगीकृत है तो फिर उससे सेक्युलर और अखंडता शब्द बाहर क्यों हैं?

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