मोबाइल हैंडसेट में रेडिएशन को लेकर कड़े हो सकते हैं नियम, जानिए क्या है कारण
दूरसंचार विभाग की तरफ से जारी हैंडसेट रेडिएशन के ये नियम हालांकि दुनिया में सबसे कड़े मानक वाले नियम हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में मोबाइल हैंडसेट मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों की संख्या में वृद्धि के बाद अब हैंडसेट संबंधी नियमों को कड़ाई से लागू कराने पर भी सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। तयशुदा मानकों से अधिक रेडिएशन फैलाने वाले हैंडसेट बनाने और उन्हें घरेलू बाजार में बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान करने की कवायद जल्द शुरु हो सकती है।
नियमों के मुताबिक देश में मोबाइल हैंडसेट से निकलने वाले रेडिएशन की अधिकतम सीमा फिलहाल 1.6 वाट प्रति किलोग्राम है। लेकिन कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि देश में बिकने वाले कुछ ब्रांडों में यह मात्रा नियमों से अधिक है। खासतौर पर चीन के कुछ ब्रांडों में इस तरह की दिक्कत आ रही है। ऐसे कम से कम पांच ब्रांडों का जिक्र जर्मन सरकार के कार्यालयों में भी दर्ज है। हालांकि इसे लेकर कोई आधिकारिक शिकायत सरकार को नहीं मिली है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि सरकार ने इन नियमों का कढ़ाई से पालन कराने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने का काम शुरू कर दिया है।
दूरसंचार विभाग की तरफ से जारी हैंडसेट रेडिएशन के ये नियम हालांकि दुनिया में सबसे कड़े मानक वाले नियम हैं। यूरोप में इसकी अधिकतम सीमा 2 वाट प्रति किलोग्राम है। लेकिन इस तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं जिससे पता चलता है कि कुछ कंपनियां इन नियमों की अनदेखी कर रही हैं। इनका संज्ञान लेकर सरकार इन नियमों के कड़ाई से पालन कराने पर जोर दे रही है।
चूंकि मोबाइल हैंडसेट मैन्यूफैक्चरिंग का क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है, लिहाजा घरेलू हैंडसेट इकाइयों पर मंत्रालय नियमों का पालन सुनिश्चित कराने संबंधी कदम उठाने पर विचार कर रहा है। इसके लिए फैक्टरी में ही बैच आधारित औचक जांच की व्यवस्था की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार रेडिएशन से होने वाले खतरों से वाकिफ है और तयशुदा मानकों से अधिक रेडिएशन फैलाने वाले मोबाइल हैंडसेट कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं। तय मानकों से कम रेडिएशन फैलाने वाले मोबाइल हैंडसेट में एपल, एचटीसी, एलजी और सैमसंग समेत कई कंपनियों के नाम शामिल हैं।