बजट समर्थकों को सही संदेश देने की कोशिश: लॉर्ड मेघनाद

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट के जरिये देश में कई वर्षो से चली आ रही आर्थिक नीतियों में निरंतरता कायम रखने के साथ ही यह संदेश भी देने की कोशिश की है कि अब सब कुछ पहले जैसा नहीं रहेगा। मोदी सरकार मूल रूप से जिन वर्गो के समर्थन के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई है, उन्हें सही राजनीतिक संदेश देने

By Edited By: Publish:Fri, 11 Jul 2014 08:48 AM (IST) Updated:Fri, 11 Jul 2014 08:49 AM (IST)
बजट समर्थकों को सही संदेश देने की कोशिश: लॉर्ड मेघनाद

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट के जरिये देश में कई वर्षो से चली आ रही आर्थिक नीतियों में निरंतरता कायम रखने के साथ ही यह संदेश भी देने की कोशिश की है कि अब सब कुछ पहले जैसा नहीं रहेगा। मोदी सरकार मूल रूप से जिन वर्गो के समर्थन के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई है, उन्हें सही राजनीतिक संदेश देने की हरसंभव कोशिश की गई है। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कई राज्यों में चुनाव होने हैं। बजट भले ही स्पष्ट रूप से कोई लुभावन संदेश न देता हो, लेकिन जिन बड़ी स्कीमों का एलान किया गया है, उनमें कुछ चुनावी राज्यों से भी संबंधित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं में कटौती से भी बचा गया है।

जेटली ने एक अच्छा काम यह किया है कि राजकोषीय घाटे के मामले में लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक तंत्र का भी गठन किया है, जो इसकी निगरानी करेगा। इसी तरह मनरेगा व खाद्य सुरक्षा योजनाओं को भी न केवल चालू रखा गया है, बल्कि इनके लिए अतिरिक्त धन का भी प्रावधान किया गया है। मतलब साफ है कि नई सरकार राजनीतिक जोखिम नहीं उठाना चाहती है। उसे अच्छी तरह पता है कि इन योजनाओं के दायरे में एक बड़ी आबादी आती है और कोई भी ऐसा कदम उठाना ठीक नहीं है, जिससे इस वर्ग के हित प्रभावित होते नजर आते हों। इसी तरह जिन योजनाओं में पूर्व सरकार सब्सिडी दे रही थी उन्हें भी यथावत रखा गया है, लेकिन सरकार ने यह संकेत भी दिए हैं कि उपयुक्त समय आने पर इनकी विवेचना की जाएगी। रक्षा व बीमा क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाकर सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक फैसला लिया है। इसका असर संसद में दिखेगा। वैसे घरेलू राजनीतिक परिस्थितियों के चलते सरकार रिटेल क्षेत्र में एफडीआइ से अभी भी बच रही है।

इसी तरह वोडाफोन पर पिछली तारीख से लगाए गए टैक्स के संदर्भ में सरकार ने माफी की बात तो नहीं कही है, लेकिन इस पर उच्चस्तरीय समिति बनाने व तर्कसंगत समाधान की बात कहकर विदेशी निवेशकों को संकेत दिया है कि सरकार उनके साथ अच्छा व्यवहार करेगी। सरकार ने भविष्य में इस तरह के टैक्स नहीं थोपे जाने की बात भी कही है। कुल मिलाकर कहें तो बजट भले ही बहुत क्रांतिकारी नहीं है, लेकिन अच्छा जरूर है।

(लेखक प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं)

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