रॉफेल पर रिलायंस ने कांग्रेस को दी कार्रवाई की चेतावनी

अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलांयस ने कहा है कि रॉफेल का निर्माण करने वाली डसाल्ट के साथ संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Fri, 17 Nov 2017 10:03 PM (IST) Updated:Fri, 17 Nov 2017 10:03 PM (IST)
रॉफेल पर रिलायंस ने कांग्रेस को दी कार्रवाई की चेतावनी
रॉफेल पर रिलायंस ने कांग्रेस को दी कार्रवाई की चेतावनी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रिलांयस डिफेंस को रॉफेल विमान खरीद सौदे में अनुचित रुप से साझेदार बनाने के कांग्रेस के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कंपनी ने कड़ा एतराज जताया है। अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलांयस ने कहा है कि रॉफेल का निर्माण करने वाली डसाल्ट के साथ संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है। कांग्रेस को इस सौदे में तथ्यों से परे बेबुनियाद आरोप लगाने से बाज आने की सलाह देते हुए ऐसा नहीं करने पर कंपनी ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनिल अंबानी के कथित निकट रिश्तों की वजह से उनकी कंपनी को रॉफेल डील का साझीदार बनाए जाने के कांग्रेस के आरोपों पर रिलायंस समूह ने शुक्रवार को बकायदा बयान जारी कर कांग्रेस को चेतावनी दी। साथ ही कंपनी ने रॉफेल डील से अपने समूह के जुड़ने के तथ्यों और कांग्रेस के आरोपों का बिन्दुवार जवाब दिया।

पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के समय अनिल अंबानी के उनके साथ होने के आरोपों पर रिलायंस ने कहा है कि अनिल भारत-फ्रेंच सीईओ फोरम के सदस्य हैं और इस नाते वे वहां बैठक में शामिल थे। मगर उनके साथ भारत के 20 और कंपनियों के सीईओ भी थे जिनमें एचएएल के डी सुवराना राजू, भारत फोर्ज के बाबा कल्याणी, र्किलॉस्कर ब्रदर्स के संजय किर्लाेस्कर, एस्सार समूह के हरि भरतिया और शशि रुइया, राजन भारती मित्तल और डा राजीव लाल आदि भी बैठक में शामिल थे।

रिलांयस डिफेंस लिमिटेड के अपनी अधीनस्थ कंपनी रिलांयस डिफेंस और एरोस्पेस लिमिटेड के डसाल्ट एविएशन के साथ 30 हजार करोड का ऑफसेट समझौता किए जाने पर उठाए सवाल पर कंपनी का कहना है कि वास्तव में आफसेट समझौता तो डसाल्ट रिलांयस की संयुक्त कंपनी को करना है। रिलायंस समूह की रिलायंस डिफेंस एंड एरोस्पेस नाम से कोई कंपनी ही नहीं है। अनिल अंबानी समूह के अनुसार रॉफेल सौदे के 30 हजार करोड के आफसेट अनुबंध के तहत 500 से अधिक बड़ी, मध्यम और छोटी भारतीय कंपनियों को फायदा होगा।

पीएम मोदी के एक औद्योगिक समूह को कथित तौर पर प्रोत्साहित करने के लिए डसाल्ट के साथ संयुक्त उद्यम कंपनी बनाए जाने के कांग्रेस के आरोपों को भी रिलांयस समूह ने आधारहीन करार दिया है। कंपनी के मुताबिक डसाल्ट के साथ संयुक्त उद्यम कंपनी दो निजी कंपनियों के बीच आपसी समझौता है और इससे भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।

डसाल्ट और रिलायंस की संयुक्त कंपनी बनाने के समझौते को कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति और विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड से मंजूरी की प्रक्रिया नहीं लेने के कांग्रेस के सवाल को भी रिलांयस ने तथ्यों से परे करार दिया है। अनिल अंबानी समूह के मुताबिक केंद्र सरकार ने 24 जून 2016 को रक्षा क्षेत्र में 49 फीसद विदेशी निवेश को बिना पूर्व अनुमति के आटोमेटिक रुट की नीति को मंजूरी दी थी। इस नियम के हिसाब से केंद्रीय कैबिनेट या सीसीएस से संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने की मंजूरी की जरूरत ही नहीं है। कंपनी के अनुसार इससे साफ है कि कांग्रेस का आरोप बेबुनियाद और गलत है।

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