पाठ्य पुस्तकों से नेहरू के बाद राजस्थान सरकार ने RTI एक्ट पर चलाई कैंची

राजस्थान सरकार द्वारा स्कूली पाठ्य पुस्तकों में किये जा रहे बदलाव का जमकर विरोध हो रहा है। सिलेबस से नेहरू का चैप्टर हटाने के बाद सरकार ने RTI एक्ट को भी हटा लिया है।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Wed, 18 May 2016 08:07 AM (IST) Updated:Wed, 18 May 2016 10:38 AM (IST)
पाठ्य पुस्तकों से नेहरू के बाद राजस्थान सरकार ने RTI एक्ट पर चलाई कैंची

जयपुर। राजस्थान सरकार ने अब आरटीआई एक्ट से जुड़ी जानकारियों को पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया है। कक्षा आठ के सोशल साइंस की किताब से आरटीआई गाथा को हटा दिया गया है। इससे पहले सरकार ने जवाहर लाल नेहरू समेत कुछ दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ी जानकारियों को हटाने का फैसला किया था।

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कक्षा आठ से जुड़ी सोशल साइंस की किताब मेें चैप्टर 12 के पेज नंबर 105 पर आरटीआई और उससे लोगों के जुड़ाव का जिक्र था। सरकार के इस फैसले का मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़ी अरुणा रॉय और निखिल डे ने विरोध किया और सरकार से बदलाव नहीं करने की अपील की है। अरुणा रॉय ने कहा कि देश और विश्व में आरटीआई एक्ट के बारे में लोकप्रियता बढ़ रही है। सरकारें सूचना के अधिकार को लेकर जागरुकता अभियान चला रही हैं। ऐसे में सराकर द्वारा लिया गया फैसला राजस्थान के लिए आत्मघाती होगा।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अरुणा रॉय ने कहा कि राजस्थान के लोगों ने सूचना के अधिकार के लिए जबरदस्त आंदोलन चलाय़ा था। पाठ्यक्रम से आरटीआई को हटाने से न केवल राजस्थान का नुकसान होगा बल्कि लोगों के संघर्ष का भी अपमान होगा। अरुणा रॉय ने कहा कि राजस्थान सरकार महज राजनीतिक विद्वेष के तहत इस तरह के फैसले कर रही है। इस तरह के फैसलों से आने वाली पीढ़ी देश मेें महान विभुतियों और कार्यों से अंजान हो जाएगी जिसका खामियाजा देश को ही उठाना पड़ेगा।

कांग्रेस ने राजस्थान सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि महज राजनीतिक मतभेद की वजह से इस तरह के फैसले नहीं होने चाहिए। राज्य सरकार के इस फैसले से साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को पारदर्शिता से लेना-देना नहीं है। भाजपा ने कांग्रेस और एमकेएसएस के आरोपों पर कहा कि अगर किसी चैप्टर को सिलेबस से हटाया गया है। तो सरकार अगले सत्र में उसे शामिल कर लेगी। हर किताबों पर हो हल्ला मचाना सही नहीं होगा। इस मामले में एमकेएसएस ने आरटीआई फाइल कर शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव के लिए किन तरीकों को अपनाया गया है।

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