झीरम घाटी कांड में पुलिस को राजनीतिक पहलू की जांच की अनुमति, गई थी 32 लोगों की जान

25 मई 2013 को कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा के काफिले पर नक्सली हमले में कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल महेंद्र कर्मा नंदकुमार पटेल व उदय मुदलियार समेत 32 लोगों की जान चली गई थी

By Tilak RajEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 11:58 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 11:58 PM (IST)
झीरम घाटी कांड में पुलिस को राजनीतिक पहलू की जांच की अनुमति, गई थी 32 लोगों की जान
झीरम घाटी कांड में पुलिस को राजनीतिक पहलू की जांच की अनुमति, गई थी 32 लोगों की जान

जगदलपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में नक्सली हमले में मारे गए उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार की शिकायत पर दर्ज एफआइआर में पुलिस को राजनीतिक साजिश से संबंधित पहलू की जांच की अनुमति मिल गई है। स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को दरभा थाने में दर्ज केस पर एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की आपत्ति खारिज कर दी है। इसके साथ ही एसआइटी द्वारा मामले की नए सिरे से जांच का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस मसले पर देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी एनआइए और पुलिस में ठनी हुई थी।

गौरतलब है कि 25 मई 2013 को कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा के काफिले पर नक्सली हमले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल व उदय मुदलियार समेत 32 लोगों की जान चली गई थी। जांच के बाद स्थानीय विशेष न्यायालय में एनआइए फाइनल चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। कुछ गवाहों के बयान ही शेष हैं।

उधर, दो माह पूर्व जितेंद्र मुदलियार की शिकायत पर बस्तर पुलिस ने दरभा थाने में दोबारा नक्सलियों के विरुद्ध साजिशन हत्या समेत कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। एक ही मामले में दोहरी एफआइआर और जांच को लेकर एनआइए और पुलिस आमने-सामने आ गई थी। एनआइए कोर्ट ने बीते 27 जुलाई को दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षति रखा था। एनआइए की दलील थी कि एक ही मामले की जांच दो एजेंसियां नहीं कर सकतीं।

पुलिस चाहे तो पूरक चार्जशीट दाखिल कर सकती है। मंगलवार देर शाम विशेष न्यायाधीश डीएन भगत ने फैसला सुनाया कि मामले की दोबारा जांच पुलिस द्वारा किए जाने पर कोई वैधानिक अड़चन नहीं है। उन्होंने पुलिस जांच को उचित ठहराया है। एनआइए द्वारा केस से जुड़े दो दर्जन से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। वहीं 91 लोगों की गवाही विशेष न्यायालय के समक्ष दर्ज की गई है।

वकील की राय

हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील सुदीप श्रीवास्तव के अनुसार सामान्यत: एक मामले में दो एफआइआर दर्ज नहीं होतीं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ऐसा हो ही नहीं सकता। ऐसे कई मामले हैं, जिनमें जांच का दायरा बढ़ाने के लिए दूसरी एफआइआर हुई है। झीरम घाटी नक्सली हमले में एनआइए अपनी जांच पूरी कर चुकी है, लेकिन उसमें राजनीतिक साजिश से संबंधित पहलू नहीं है। पुलिस इसी आधार पर दूसरी एफआइआर कर जांच कर सकती है।

एनआइए को पहली बार चुनौती

इस मामले में दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया ने वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों से भी बात की। इनमें कुछ अधिकारी केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआइ व एनआइए में भी काम कर चुके हैं तो कुछ राज्य में एनआइए के नोडल अफसर रहे हैं। इनकी राय में कई राज्यों ने सीबीआइ के प्रवेश पर रोक लगा रखा है, लेकिन छत्तीसगढ़ संभवत: पहला राज्य है, जिसने एनआइए के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है। एनआइए चाहे तो इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जा सकती है। बस्‍तर एसपी दीपक कुमार झा के मुताबिक, कोर्ट द्वारा राज्य शासन के पक्ष में फैसले की जानकारी मिली है, पर अभी तक आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। कोर्ट के आदेश के उपरांत एसआइटी की जांच जारी रहेगी।

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