छत्तीसगढ़ः बस्तर में नक्सलवाद छोड़ मुख्यधारा में लौटना चाह रहे युवा

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के हालात तेजी से बदल रहे हैं। जिले के युवा नक्सलवाद छोड़ मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Tue, 29 May 2018 10:40 AM (IST) Updated:Tue, 29 May 2018 10:43 AM (IST)
छत्तीसगढ़ः बस्तर में नक्सलवाद छोड़ मुख्यधारा में लौटना चाह रहे युवा
छत्तीसगढ़ः बस्तर में नक्सलवाद छोड़ मुख्यधारा में लौटना चाह रहे युवा

नई दिल्ली (एएनआई)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में हालात तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। युवाओं के मुख्यधारा में लौटने की इच्छा इस बात का संकेत दे रही है कि समाज बदलने की राह पर है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने कहा है कि वे अपने क्षेत्र का और अपना विकास चाहते हैं और वे समाज के मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं। युवाओं का कहना है कि वे अपने गांव में स्कूल, सड़क और मेडिकल सुविधाएं चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने गांव में नक्सलवाद ज्वाइन कर चुके लोगों से आग्रह किया है कि वे वापस आ जाएं।

बस्तर जिले के आइजी विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों के लगातार प्रयास के कारण दरभा जैसे गांव में नक्सल का प्रभाव कम हुआ है। लोगों ने खुद भी ये महसूस करना शुरू कर दिया है कि नक्सलवाद उनके लिए किसी भी तरह से अच्छा नहीं है। हम यहां लोगों की हर संभव मदद करने के लिए तैयार हैं। ।

कभी नक्सलियों द्वारा बंद कराए गए अनेक हाट बाजार फिर आबाद हो गए हैं। यह दर्शाता है कि नक्सलवाद के लिए यहां कोई जगह नहीं बची है। वहीं, बस्तरिया बटालियन में बस्तर के सैकड़ों आदिवासी युवक-युवतियों का शामिल होना भी इस बात का जीवंत प्रमाण है।

खत्म हुआ खौफ

बस्तर के अलावा संभाग के दंतेवाड़ा, बीजापुर व सुकमा जैसे जिलों में आदिवासी ग्रामों में हाट बाजारों का चलन फिर से लौट आया है। हाट बाजारों के शुरू हो जाने से यहां के हजारों ग्रामीणों को फिर से जीविका मिल गई है। नक्सलियों ने हाट बाजारों पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2005 में नक्सल विरोधी आंदोलन सलवा जुड़ुम शुरू होने के बाद एक ओर जहां दक्षिण बस्तर की आदिवासी आबादी का राहत शिविरों में विस्थापन हुआ, वहीं दूसरी ओर इसका असर हाट बाजारों पर भी पड़ा।

राह का रोड़ा बने थे नक्सली

दरअसल, नक्सलियों ने न केवल खौफ दिखाकर, बल्कि इन बाजारों तक पहुंचने के रास्तों को ही क्षतिग्रस्त कर आदिवासियों को विकास से वंचित करने का प्रयास किया। सुकमा जिले के जगरगुंडा से लेकर नारायणपुर जिले के माड़ क्षेत्र तक कई बाजारों में अब भी सन्नाटा रहता है। सड़क और रास्ते क्षतिग्रस्त होने के कारण व्यापारी यहां नहीं पहुंच पाते।

देशद्रोहियों के खिलाफ आदिवासी युवा

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस्तारिया बटालियन में 534 आदिवासी युवा शामिल हैं, जिसमें 189 युवतियां भी हैं। बटालियन को बस्तर के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे इलाकों में तत्काल नक्सल रोधी अभियानों में शामिल किया जाएगा। बटालियन में शामिल ये आदिवासी युवा इन्हीं जिलों के ही निवासी हैं। यह बटालियन इस बात का प्रमाण है कि आदिवासी युवा अपने समाज को विकास की राह पर आगे बढ़ते हुए देखना चाहता है।

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