विभाजन पर गांधी-नेहरू से पहले तैयार हुए थे पटेल

देश के बंटवारे पर नरेंद्र मोदी के साथ बहस में सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी कूद पड़े हैं। मौलाना अबुल कलाम आजाद की किताब का उल्लेख करते हुए चिदंबरम ने कहा है कि विभाजन के विचार पर महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू से पहले सरदार पटेल ने हामी भरी थी।

By Edited By: Publish:Tue, 12 Nov 2013 12:40 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2013 01:35 AM (IST)
विभाजन पर गांधी-नेहरू से पहले तैयार हुए थे पटेल

नई दिल्ली। देश के बंटवारे पर नरेंद्र मोदी के साथ बहस में सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी कूद पड़े हैं। मौलाना अबुल कलाम आजाद की किताब का उल्लेख करते हुए चिदंबरम ने कहा है कि विभाजन के विचार पर महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू से पहले सरदार पटेल ने हामी भरी थी।

देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की किताब इंडिया विन्स फ्रीडम के हवाले से चिदंबरम ने कहा कि लार्ड माउंटबेटन बहुत चालाक थे और अपने भारतीय सहयोगियों का मन पढ़ने में सक्षम थे। जैसे ही उन्हें लगा कि सरदार पटेल उनके विचार पर सहमति दे सकते हैं, उन्होंने उन्हें मनाने की कोशिशें शुरू कर दीं।

सरदार पटेल को आश्वस्त करने के बाद लार्ड माउंटबेटन ने जवाहर लाल नेहरू को समझाने का प्रयास शुरू कर दिया। वह तब तक नेहरू पर घेरा बनाते रहे, जब तक कि उनका विरोध खत्म नहीं हुआ। चिदंबरम ने कहा कि किताब के अध्ययन से पता चलता है कि इस विभाजन के लिए लार्ड माउंटबेटन और मुहम्मद अली जिन्ना ही जिम्मेदार थे, क्योंकि दोनों उस समय ब्रिटेन के हितों की रक्षा कर रहे थे।

चिदंबरम का बयान मोदी द्वारा विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताने के एक दिन बाद आया है।

मौलाना कलाम को पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष बताते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह आखिरी समय तक एकजुट भारत की वकालत करते रहे। मौलाना ने किताब में लिखा है, 'जब मुझे पता चला कि माउंटबेटन भारत के बंटवारे की सोच रहे हैं और उन्होंने इसके लिए सरदार पटेल और नेहरू को मना लिया है तो मैं उदास हो गया। मेरी आखिरी उम्मीद गांधी जी थे। लेकिन जब मैं उनसे मिला तो मुझे सबसे बड़ा झटका लगा। मैंने पाया कि गांधी जी बदल चुके थे। वह विभाजन का खुलेआम समर्थन नहीं कर रहे थे, लेकिन विरोध भी नहीं कर रहे थे। उन्होंने भी वही दलीलें देनी शुरू कर दी जो पटेल देते आ रहे थे।'

'सरदार पटेल और पंडित नेहरू के रास्ते कभी अलग-अलग नहीं रहे। मतभेदों के बावजूद न तो नेहरू गांधी को छोड़ सकते थे, न पटेल नेहरू को।'

- गोपाल कृष्ण गांधी, महात्मा गांधी के पोते

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