अब टीवी, रियलिटी शो और फिल्मों में बाल कलाकारों का नहीं होगा शोषण, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने किया दिशानिर्देश जारी
गाइडलाइन में बताया गया है कि बच्चे की शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए निर्माता भी उत्तरदायी होंगे और कोई भी असाइनमेंट 27 दिनों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। हर तीन घंटे में ब्रेक देना होगा और कोई भी बच्चा छह घंटे से ज्यादा काम नहीं करेगा।
नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने शुक्रवार को मनोरंजन उद्योग में बच्चों के लिए फिल्मों, टीवी, रियलिटी शो, ओटीटी प्लेटफार्मों, समाचारों में उनकी भागीदारी को विनियमित करने के लिए गाइडलाइन जारी किया है। जसमें मनोरंजन के नाम पर अब बच्चों का शोषण किसी भी प्रकार से नहीं हो सकेगा। 'मनोरंजन उद्योग में बच्चों की भागीदारी के लिए दिशानिर्देश' नाम से जारी इस गाइडलाइन के मसौदे में बाल कलाकारों के अधिकारों को पूरी तरह स्पष्ट करते हुए इनके उल्लंघन पर दंड का प्रावधान किया गया है।
बाल कलाकार को आत्म सम्मान के साथ काम करने का अधिकार
इस गाइड लाइन में कहा गया है कि हर बाल कलाकार को आत्म सम्मान के साथ काम करने और उससे जुड़े फैसलों में भाग लेने का अधिकार होगा। उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना होगा। उससे ऐसा कोई रोल नहीं करवाया जा सकेगा जिसकी वजह से उसे शर्मिंदगी उठानी पड़े या उसे भावनात्मक चोट पहुंचे। इन दिनों रियलिटी शोज में जज अक्सर भाग लेने वालों के साथ बहुत बदतमीजी से पेश आते हैं। इस तरह के व्यवहार की नई गाइडलाइन में साफ मनाही की गई है। यह कहती है कि बच्चों से किसी भी तरह के नग्नता या अश्लीलता के सीन नहीं करवाए जा सकते।
वातावरण बच्चों के लिए हो सुरक्षित
आयोग की गाइडलाइन में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वातावरण बच्चों के लिए सुरक्षित हो। कार्यक्रम-निर्माता बच्चों के लिए पर्याप्त भोजन और पानी के साथ-साथ विश्राम कक्ष के लिए जिम्मेदार होगा। अगर कलाकार 6 साल से कम उम्र का है तो हर समय उसके साथ मां-बाप में से एक व्यक्ति या उसका लीगल गार्जियन मौजूद रहे। इसी तरह 6 साल से बड़े बच्चों के साथ भी गार्जियन या उसके किसी परिचित का मौजूद रहना जरूरी होगा। बाल कलाकारों से एक दिन में सिर्फ एक ही शिफ्ट में काम करवाया जा सकेगा। साथ ही हर तीन घंटे के बाद उन्हें ब्रेक देना पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 77 का पालन करते हुए, बच्चों को शराब, धूम्रपान या किसी अन्य पदार्थ का सेवन करते हुए नहीं दिखाया जाना चाहिए। बच्चों को जिलाधिकारी के पास अपना नाम दर्ज कराना होगा। विज्ञापनों के लिए, ड्राफ्ट नोट में कहा गया है कि बच्चों का उपहास नहीं किया जाना चाहिए या उन्हें हीन महसूस नहीं कराया जाना चाहिए।