दिल्ली में न चुनाव और न सरकार, गतिरोध बरकरार

सूबे में भाजपा की अगुवाई में नई सरकार के गठन की बीते डेढ़ महीने से चली कवायद का कोई नतीजा सामने नहीं आया है और न ही दिल्ली में अन्य राज्यों के साथ चुनाव ही कराए जाने के आसार दिख रहे हैं। परिणाम यह है कि राजनीतिक अनिश्चितता खत्म करने पर गतिरोध की स्थिति लगातार बनी हुई है। भाजपा ने कहा कि वह चुन

By Edited By: Publish:Mon, 28 Jul 2014 07:56 AM (IST) Updated:Mon, 28 Jul 2014 03:37 PM (IST)
दिल्ली में न चुनाव और न सरकार, गतिरोध बरकरार

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सूबे में भाजपा की अगुवाई में नई सरकार के गठन की बीते डेढ़ महीने से चली कवायद का कोई नतीजा सामने नहीं आया है और न ही दिल्ली में अन्य राज्यों के साथ चुनाव ही कराए जाने के आसार दिख रहे हैं। परिणाम यह है कि राजनीतिक अनिश्चितता खत्म करने पर गतिरोध की स्थिति लगातार बनी हुई है।

भाजपा ने कहा कि वह चुनाव के लिए तैयार है लेकिन यदि उपराज्यपाल ने उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया तो वह इस विकल्प पर भी विचार करेगी। राजधानी की सियासी स्थिति को लेकर पिछले दिनों आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात के बाद कहा था कि अब जंग भाजपा को भी विचार के लिए बुलाएंगे। यदि पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी तो वह उससे बहुमत के आंकड़े के बारे में भी जानकारी लेंगे। उसके बाद उपराज्यपाल की ओर से भी कहा गया कि उनकी केजरीवाल व आप के विधायकों से बातचीत हुई है। अब वह अन्य पक्षों से से भी राय मशविरा करने के बाद राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजेंगे।

किस दिशा में जाएगी राजनीति, स्पष्ट नहीं

बता दें कि इस बीच उपराज्यपाल की गृहमंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय से भी मुलाकात हुई है। लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाएगी। भाजपा व कांग्रेस को सूबे की राजनीति स्थिति पर विचार के लिए बुलाने की बात कह चुकने के बावजूद उपराज्यपाल ने अपनी ओर से किसी को बुलाया नहीं है। इस मामले में हो रही देरी संकेत दे रही है कि भाजपा इस मामले में अनिर्णय की स्थिति में है। वह न तो चुनाव को लेकर ही फैसला कर पा रही है और न ही खुलकर सरकार बनाने की ही पहल कर रही है।

विधायकों की कराई परेड

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बड़ी पहल यह की कि उसने अपनी सभी आठ विधायकों की परेड करा दी ताकि उन कयासों पर रोक लगे कि पार्टी के विधायक टूटने वाले हैं। हालांकि, इस परेड के बाद भी पार्टी में सभी विधायकों के सुर-ताल एक नहीं दिखाई दे रहे। दूसरी ओर आप ने बकायदा रणनीति बनाकर भाजपा को घेरने की मुहिम शुरू कर दी है। पहले पार्टी ने भाजपा पर यह कर दबाव बनाया कि वह विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है, तो अब वह भाजपा पर चुनाव से भागने का आरोप लगाकर, उसको सुरक्षात्मक मुद्रा में लाना चाहती है। बहरहाल, सूबे के सियासी हालात इशारा कर रहे हैं कि भाजपा द्वारा अपने पत्ते खोलने में की जा रही देरी, उसके लिए परेशानी का सबब साबित हो सकते हैं।

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