हर जिले में रासायनिक और जैविक हमलों से निपटने का चल रहा पूर्वाभ्यास, जानें क्‍यों गृहमंत्रालय ने NDRF को सौंपी जिम्मेदारी

विभिन्न मानव निर्मित और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारत 2023 तक अपने लगभग 740 में से प्रत्येक जिले में पूर्वाभ्यास का बड़ा अभियान चला रहा है। इस दौरान खासकर रासायनिक जैविक रेडियोलॉजिकल और आणविक हमलों से बचाव पर ध्यान दिया जाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 03 Jan 2021 10:00 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 12:17 AM (IST)
हर जिले में रासायनिक और जैविक हमलों से निपटने का चल रहा पूर्वाभ्यास, जानें क्‍यों गृहमंत्रालय ने NDRF को सौंपी जिम्मेदारी
भारत 2023 तक अपने लगभग 740 में से प्रत्येक जिले में पूर्वाभ्यास का बड़ा अभियान चला रहा है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। विभिन्न मानव निर्मित और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारत 2023 तक अपने  लगभग 740 में से प्रत्येक जिले में पूर्वाभ्यास का बड़ा अभियान चला रहा है। इस दौरान खासकर रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और आणविक (CBRN) हमलों या हादसों से निपटने पर ध्यान दिया जाएगा। देश के राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (National Disaster  Response Force, NDRF) के प्रमुख ने यह बात कही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनडीआरएफ को तीन  वित्तवर्ष में यह पूर्वाभ्यास पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी है। 

इसलिए तैयारी है जरूरी 

विभिन्न एजेंसियों से जुड़े पूर्वाभ्यास की शुरुआत 2020-21 से हुई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के साथ बातचीत में एनडीआरएफ (National Disaster  Response Force, NDRF) के महानिदेशक एसएन प्रधान (SN Pradhan) ने कहा कि मौजूदा समय की मानव निर्मित आपदाएं सीबीआरएन (chemical, biological, radiological and nuclear, CBRN) होंगी। इसके लिए तैयारी करना बहुत जरूरी है क्योंकि यह अनजान क्षेत्र है।' 

सीबीआरएन चुनौतियां बेहद गंभीर 

उन्होंने (SN Pradhan) कहा कि हम ज्यादा से ज्यादा परमाणु बिजली उत्पन्न करने जा रहे हैं। इसलिए, यह सब उस एजेंडे को जोड़ती हैं, जो सीबीआरएन उन्मुख होना है। प्रधान ने कहा कि सीबीआरएन की चुनौतियां ऐसी हैं, जिससे निपटने के लिए कोई भी पूरी तरह से तैयार नहीं हो सकता। वजह यह है कि इस तरह के हादसे बहुत कम हुए हैं, जिससे बचावकर्मी और  विशेषज्ञों के पास इनसे निपटने के तौर तरीकों और तकनीक का अभाव है।

विशेष तैयारियों की दरकार 

उन्होंने (SN Pradhan) कहा कि सीबीआरएन (CBRN) की चुनौतियों को लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं। यह जरूर है कि हाल में विशाखापट्टनम में रसायन का रिसाव हुआ था और उससे प्रभावी तरीके से निपटा भी जा सकता था। परंतु, सीबीआरएन की  चुनौतियों से निपटने के लिए हम उस तरह की तैयारी नहीं कर सकते, जैसा चक्रवात और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कर सकते हैं।

गृह मंत्री शाह ने दिया है निर्देश 

एसएन प्रधान (SN Pradhan) ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने बल को देश के करीब 740 जिलों में तीन साल में कम से कम एक मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है। शर्त यह है कि इसको सीबीआरएन के प्रति लक्षित होना चाहिए। एजेंसी ने 2020-21 में करीब 40-50 फीसद जिलों को कवर किया है। कोरोना महामारी के चलते प्रक्रिया को जारी नहीं रखा जा सका लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। इन मॉक ड्रिल में स्वास्थ्य सेवा, पुलिस, प्रशासन, दमकल सेवा, स्वयंसेवी संगठन एवं अन्य को शामिल किया जा रहा है। 

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