Delhi Violence: SC ने पुलिस के रवैये पर की टिप्पणी लेकिन मामले पर विचार से किया इनकार

दिल्ली में भड़की हिंसा में 22 लोगों की जान जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने कार्रवाई में तत्परता नहीं दिखाई।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 26 Feb 2020 08:14 PM (IST) Updated:Wed, 26 Feb 2020 08:14 PM (IST)
Delhi Violence: SC ने पुलिस के रवैये पर की टिप्पणी लेकिन मामले पर विचार से किया इनकार
Delhi Violence: SC ने पुलिस के रवैये पर की टिप्पणी लेकिन मामले पर विचार से किया इनकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सीएए के मामले में दिल्ली में भड़की हिंसा में 22 लोगों की जान जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पुलिस ने कार्रवाई में तत्परता नहीं दिखाई। पुलिस को कार्रवाई के लिए किसी आदेश की जरूरत नहीं होती। यहां समस्या पुलिस में पेशेवर रवैये की कमी और स्वतंत्र न होना है। यूके और यूएसए पुलिस की नजीर देते हुए कोर्ट ने उसकी तर्ज पर का कार्रवाई कर सकती है। क्या वहां की पुलिस किसी आदेश का इंतजार करती है? अगर किसी ने भड़काऊ भाषण दिया तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर टिप्पणियां तो जरूर कीं लेकिन हिंसा के मामले में सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। कहा, उनके सामने केवल शाहीन बाग मामला लंबित है। कोर्ट ने जोर देकर कहा पुलिस और प्रशासन को काम करने देना चाहिए। कोर्ट न तो कोई आदेश दे रही है और न ही रोक रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके सामने विचार के लिए सिर्फ इतना मुद्दा है कि सीएए का विरोध करने वाले शाहीनबाग में सड़क पर बैठ सकते हैं कि नहीं। लेकिन इस पर उन्हें अभी सुनवाई का माहौल नहीं लग रहा। माहौल के ठंडा होने के बाद ही सुनवाई की जाएगी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने सुनवाई 23 मार्च तक के लिए टाल दी। शांति बनाए रखने की अपील के साथ कोर्ट ने कहा है कि किसी भी मुद्दे पर डिबेट होना चाहिए लेकिन डिबेट में हिंसा नहीं हो सकती।

शाहीनबाग खाली कराने के मामले में दो याचिकाएं वकील अमित साहनी और भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग की लंबित हैं जिसमें शाहीनबाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने और दिल्ली नोएडा को जोड़ने वाली सड़क खाली कराने की मांग की गई है। साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शन की रोक के बारे में दिशानिर्देश भी मांगे गए है। इस बीच पूर्व सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला, भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद व एक अन्य की ओर से एक नयी अर्जी दाखिल कर कोर्ट से दिल्ली हिंसा के मामले में सुनवाई करने और जांच कराने की मांग की गई थी। कोर्ट ने अर्जी पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट मामला सुन रहा है ऐसे में हाईकोर्ट ही सुनवाई करे।

वार्ताकारों की रिपोर्ट के बारे मेंे कोर्ट ने कहा उसमें काफी किन्त-परन्तु हैं। हालांकि वार्ताकारों के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें प्रयास जारी रखने को कहा। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के कहने पर कोर्ट ने आज फिर साफ किया कि वार्ताकार लोगों से बताएंगे कि वे इस तरह सड़क नहीं रोक सकते। प्रदर्शन करना उनका अधिकार है लेकिन वे सड़क पर प्रर्दशन नहीं कर सकते।

जब अर्जीकर्ता वकीलों ने दिल्ली हिंसा का जिक्र किया तो कोर्ट ने कहा कि घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं लेकिन वह साफ कर देना चाहते हैं कि वह याचिका का दायरा नहीं बढ़ाएंगे और इस मसले पर सुनवाई नहीं करेंगे। तभी जस्टिस केएम जोसेफ ने कुछ कहना चाहा जिस पर केन्द्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि कोर्ट हिंसा के बारे में कोई टिप्पणी न करे यह ठीक नहीं रहेगा। लेकिन जस्टिस जोसेफ ने कहा कि वह संस्था और संविधान के प्रति उत्तरदायी हैं और अगर वे नहीं कहेंगे तो अपने कर्तव्य में विफल होंगे। इसके बाद जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हिंसा में 13 लोगों की जाने गईं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। तभी किसी ने कोर्ट को बताया कि 20 लोग मरे हैं।

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि अगर पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई की होती तो ये रुक सकता था। उन्होंने पुलिस सुधार के बारे में प्रकाश सिंह के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि वह फैसला लागू नहीं हुआ। उसमें पुलिस की स्वयत्तता के दिशानिर्देश हैं। इन टिप्पणियों पर तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस का मनोबल कम करने वाली टिप्पणियां कोर्ट को नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब हम प्रकाश सिंह फैसले की बात करते हैं तो जमीनी हकीकत को भूल जाते हैं। हमारे एक सिपाही की मौत हुई है उसे प्राइवेट बुलेट लगी है। डीसीपी वेंन्टीलेटर पर है। डीसीपी का हेल्मेट उतार कर उस पर हमला किया गया। उसे लिंच किया गया है। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि उनकी टिप्पणियां प्रतिकूल नहीं हैं वे तो चर्चा के दौरान ही टिप्पणियां कर रहे हैं। फाइनल तो वही होता है जो कोर्ट आदेश मे लिखाता है।

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