संसद में अंग्रेजी पर लगे पाबंदी

मातृभाषा के विकास की दुहाई देते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर अंग्रेजी का विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि संसद में सांसदों के अंग्रेजी बोलने पर पाबंदी लगा देनी चाहिए। हिंदी के प्रोत्साहन के लिए ऐसा करना जरूरी है। जिन देशों में मातृभाषा में काम होता

By Edited By: Publish:Mon, 18 Nov 2013 02:12 AM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2013 02:16 AM (IST)
संसद में अंग्रेजी पर लगे पाबंदी

जागरण संवाददाता, इटावा। मातृभाषा के विकास की दुहाई देते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर अंग्रेजी का विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि संसद में सांसदों के अंग्रेजी बोलने पर पाबंदी लगा देनी चाहिए। हिंदी के प्रोत्साहन के लिए ऐसा करना जरूरी है। जिन देशों में मातृभाषा में काम होता है, वे हमसे कहीं अधिक विकसित व समृद्ध हैं।

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इटावा में शनिवार रात हिंदी सेवा निधि के 21वें वार्षिकोत्सव में सपा सुप्रीमो ने कहा कि 'संसद में दोहरे चरित्र के लोग बैठे हैं। वे वोट तो हिंदी में मांगते हैं पर संसद में अंग्रेजी में बोलते हैं। उनसे किसी प्रकार की उम्मीद बेमानी है।' हालांकि मुलायम ने स्पष्ट किया कि वह अंग्रेजी भाषा के विरोधी नहीं हैं।

उनके मुताबिक, सभी लोगों को क्षेत्रीय भाषा के साथ-साथ हिंदी के प्रोत्साहन के लिए भी काम करना चाहिए। जापान, रूस, चीन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यूरोपीय देश आज भी अपनी भाषा का इस्तेमाल करते हैं और विकसित हैं। साथ ही, मुलायम सिंह ने बताया कि 1989 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद सबसे पहले उन्होंने लोकसेवा आयोग में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त करते हुए हिंदी को बढ़ावा दिया था।

केरल के राज्यपाल निखिल कुमार और उत्तर प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर हिंदी के क्षेत्र में करने वालीं 15 हस्तियों को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

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