जमीन में आधा मीटर गहराई में दबी थी एक हजार वर्ष पुरानी गंधर्व देवता की प्रतिमा

तेवर क्षेत्र में पुरातत्व विभाग द्वारा दो स्थान पर पुरातत्विक खनन शिविर लगाकर प्राचीन सभ्यता का पता लगाने के लिए खुदाई की जा रही है। यह कार्य उप अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. सुजीत नयन की देखरेख में किया जा रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 21 Mar 2021 10:27 PM (IST) Updated:Sun, 21 Mar 2021 10:27 PM (IST)
जमीन में आधा मीटर गहराई में दबी थी एक हजार वर्ष पुरानी गंधर्व देवता की प्रतिमा
तेवर क्षेत्र में पुरातत्व विभाग द्वारा दो स्थान पर पुरातत्विक खनन शिविर

 रामकृष्ण परमहंस पांडेय, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के ऐतिहासिक धर्मस्थल मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर से लगी कल्चुरी काल की राजधानी रही तेवर की धरा धरोहर की सौगात उगल रही है। मंदिर के मुख्य मार्ग पर सड़क से करीब 150 मीटर दूर खुदाई के दौरान शनिवार को गंधर्व देव की प्रतिमा मिली। उड़ती हुई आकृति वाली गंधर्व देव की प्रतिमा कई जगह से टूटी है। प्रतिमा के साथ अप्सराओं की भी आकृति है।

सिर कटा, हाथ टूटे, तलाश जारी

जमीन से निकली गंधर्व देवता की प्रतिमा के निर्माण में बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। प्रतिमा को जब जमीन से बाहर निकाला गया तो पता चला कि उसका सिर कटा है तथा हाथ टूटे हैं। जिस स्थान पर प्रतिमा पाई गई, उसके आसपास खुदाई कर कटा हुआ सिर व हाथ की तलाश की जा रही है ताकि उन्हें जोड़कर प्रतिमा को संग्रहालय में रखा जा सके।

10 किलोमीटर के दायरे में भंडार

खननकर्ता व सहायक पुरातत्वविद डॉ. महेंद्र पाल ने बताया कि तेवर क्षेत्र में 10 किलोमीटर के दायरे में पुरातन धरोहर का अकूत भंडार है। यही वजह है कि आधा से एक मीटर की खुदाई में कल्चुरीकालीन सभ्यता के प्रमाण, नौवीं व 10वीं शताब्दी की प्रतिमाएं मिल रही हैं।

कई बार मिल चुके बसाहट के प्रमाण

तेवर क्षेत्र में पुरातत्व विभाग द्वारा दो स्थान पर पुरातत्विक खनन शिविर लगाकर प्राचीन सभ्यता का पता लगाने के लिए खुदाई की जा रही है। यह कार्य उप अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. सुजीत नयन की देखरेख में किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि तेवर क्षेत्र में अन्वेषण व खनन से यह प्रमाण सामने आ रहे हैं कि कल्चुरियों ने यहां नगर बसाया था। उस नगर के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के थे क्योंकि खुदाई में जगह-जगह देवी देवताओं की प्रतिमाएं जमीन से निकल रही हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों का अनुमान है कि तेवर क्षेत्र में खुदाई से मध्य पाषाण काल से लेकर 12वीं व 14वीं शताब्दी तक की बसाहट के प्रमाण सामने आ सकते हैं। विभिन्न काल की संरचना का पता लगाने के लिए 20 किलोमीटर के दायरे में बसे 22 गांवों में सर्वे किया जा रहा है।

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