मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ी खबर, अब ऐसे सुरक्षित रहेगी आपके फोन की बैट्री

फ्लोरोपॉलीमर्स और टेफलॉन की मदद से IIT भिलाई के प्रो. संजीब बनर्जी ने ऐसा फॉर्मूला तैयार किया है जो मोबाइल की बैट्री अधिक से अधिक तापमान को आसानी से सहन कर लेता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Wed, 07 Aug 2019 09:38 PM (IST) Updated:Thu, 08 Aug 2019 07:24 AM (IST)
मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ी खबर, अब ऐसे सुरक्षित रहेगी आपके फोन की बैट्री
मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ी खबर, अब ऐसे सुरक्षित रहेगी आपके फोन की बैट्री

दीपक अवस्थी, रायपुर। अब अधिक तापमान पर बैटरी नहीं फटेगी। नई तकनीक से मोबाइल को अधिक सुरक्षात्मक बनाया जा सकता है। बैटरी में डाले जाने वाले केमिकल को इतना शक्तिशाली बना दिया गया है कि वह आसानी से एक हजार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर भी काम करेगा।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) भिलाई के प्रो. संजीब बनर्जी ने ऐसा फार्मूला तैयार किया है जो इलेक्टि्रकल वाहनों के लिए भी क्रांति से कम नहीं है। यह फार्मूला मोबाइल और वाहन की बैटरी के चार्जिग समय को भी कम कर देगा।

अभी इनकी बैटरी को फुल चार्ज करने में एक से दो घंटे का समय लगता है, अब केवल आधे घंटे में ही शक्तिशाली लिक्विड बैटरी को चार्ज कर देगा। प्रो. बैनर्जी ने इस लिक्विड को फ्लोरोपॉलीमर्स और टेफलॉन से तैयार किया है जो अधिक से अधिक तापमान को आसानी से सहन कर लेता है।

कुकर को देख किया ईजाद
डॉ. बनर्जी ने बताया कि रिसर्च की शुरुआत अंतरिक्ष अभियान के लिए लिक्विड बनाने से हुई थी। हमें अंतरिक्ष के लिए ऐसा लिक्विड तैयार करना था, जो एक हजार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान को सहन कर सके। उसी दौरान मैंने देखा कि कुकर 100 से 120 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान आसानी से सहन कर लेता है। कारण होता है कि उसमें टेफलॉन की मामूली परत चढ़ाई जाती है।

उसी फार्मूले को ध्यान में रखकर फ्लोरोपॉलीमर्स और टेफलॉन को मिलाकर लिक्विड तैयार किया। फिर प्रयोग किया तो एक हजार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान का लिक्विड पर कोई असर नहीं हुआ। उसी दौरान देखा कि उक्त लिक्विड से बैटरी भी बनाई जा सकती है, जो आसानी से चार्ज हो जाएगी।

50 सेंटीग्रेड से ऊपर तापमान में फट जाती है बैटरी
मोबाइल की बैटरी 20 से 30 सेंटीग्रेड और इलेक्टि्रकल वाहन की बैटरी 40 से 50 सेंटीग्रेड तापमान सहन कर पाती है। उसके ऊपर तापमान होने पर बैटरी फट जाती है।

ये है चुनौती
डॉ. बनर्जी ने बताया कि लिक्विड को जिस कंपोनेंट (बॉक्स) में डाला वह 260 सेंटीग्रेड से अधिक का तापमान सहन नहीं कर पाता। अब ऐसे कंपोनेंट बनाने की तैयारी चल रही है जो एक हजार सेंटीग्रेड का तापमान आसानी से सहन कर सके।

ये होंगे फायदे, इनसे मिलेगी मुक्ति अभी तक देश में 80 प्रतिशत बैटरी ताइवान और चीन से मंगवाई जाती है चीन और ताइवान की बैटरी में इलेक्ट्रोलाइट का प्रयोग किया जाता है, जो पृथ्वी के लिए हानिकारक है देश में बैटरी का 80 प्रतिशत कारोबार स्थापित हो जाएगा इलेक्ट्रोलाइट की अपेक्षा फ्लोरोपॉलीमर्स, टेफलॉन पृथ्वी को कम करता है नुकसान देश में इलेक्टि्रकल वाहन के मूल्य में होगी कमी इलेक्टि्रकल वाहन में आधी कीमत की लगेगी बैटरी

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