राजनाथ सिंह बोले, चार एमओयू पर रक्षा मंत्रालय ने किए साइन, घरेलू मांग और निर्यात को मिलेगा बल

राजनाथ सिंह ने कहा कि इन समझौता ज्ञापनों और अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने से रक्षा विनिर्माण से संबंधित प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 04:45 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 04:52 PM (IST)
राजनाथ सिंह बोले, चार एमओयू पर रक्षा मंत्रालय ने किए साइन, घरेलू मांग और निर्यात को मिलेगा बल
राजनाथ सिंह बोले, चार एमओयू पर रक्षा मंत्रालय ने किए साइन, घरेलू मांग और निर्यात को मिलेगा बल

नई दिल्ली, एएनआइ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज डिफेंस इंडिया स्टार्टअप-चैलेंज के चार MoU और कॉन्ट्रैंक्ट साइन किए गए। इससे न केवल घरेलू मांग पूरी होगी बल्कि निर्यात के लिए भी उत्पादन को बल मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन समझौता ज्ञापनों और अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने से रक्षा विनिर्माण से संबंधित प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को केवल घरेलू आवश्यकता के रूप में ही नहीं बल्कि निर्यात क्षमताओं के निर्माण के परिप्रेक्ष्य के साथ भी देखा गया है।

रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता के लिए भारतीय कंपनियों (PSUs) द्वारा तैयार किए गए 15 हथियारों को लॉन्च किये गए। इनमें चार-चार प्रोडक्ट ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) और भारत अर्थ मुवर्स लिमिटेड (BEML) द्वारा बनाए गए हैं। वहीं, एक-एक हथियार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (MDL), गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) ने विकसित किए हैं। 

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरत अन्य क्षेज्ञ से कहीं अधिक महत्वपूर्ण

वहीं, इसके पहले गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत अपने सैन्य उपकरणों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी सरकारों और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर नहीं रह सकता और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अन्य क्षेत्र से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्री ने यह बात सार्वजनिक क्षेत्र के कई रक्षा उपक्रमों और आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा लाए गए कई नए उत्पादों को लांच करते हुए कही थी।

बता दें कि कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री की ओर से की गई घोषणा के अनुसार करीब सौ हथियारों और रक्षा उपकरणों का निर्माण अब देश में ही किया जाएगा। इस फैसले से हर चीज का आयात करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगने के साथ ही अगले छह-सात साल में हथियार और रक्षा उपकरण बनाने वाले स्वदेशी उद्योग को करीब चार लाख करोड़ रुपये के ठेके मिलेंगे। 

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