Mid Day Meal: इस विद्यालय में 65 साल से लागू है मिड डे मील सुविधा

हिंदी मीडियम वाले इस स्कूल के बाद जब लगा कि अब अंग्रेजी में भी स्कूल संचालित करना समय की मांग है तो 1972 में देवी अहिल्या शिशु विहार शुरू किया गया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 18 Jan 2020 09:06 AM (IST) Updated:Sat, 18 Jan 2020 09:07 AM (IST)
Mid Day Meal: इस विद्यालय में 65 साल से लागू है मिड डे मील सुविधा
Mid Day Meal: इस विद्यालय में 65 साल से लागू है मिड डे मील सुविधा

हर्षल सिंह राठौड़, इंदौर। भारत में मिड डे मील कार्यक्रम 15 अगस्त 1995 को लागू किया गया था। वहीं, इंदौर स्थित श्री बाल विनय मंदिर स्कूल ने कमजोर तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधा देने के लिए मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) और परिवहन आदि सुविधाओं को 65 साल पहले अमल में लाना शुरू कर दिया था, जो बदस्तूर जारी है। ब्रोकरेज या दलाली शब्द सुनते ही जो छवि सामने आती है, उससे लगता है दो पक्षों के बीच के लेनदेन में से हिस्सेमारी। यही हिस्सा जब बच्चों का भविष्य संवारने में लग जाए तो नेकी का सेतु तैयार हो जाता है। 106 साल से ऐसे ही सेवा कार्य में जुटा है क्लॉथ मार्केट ब्रोकर एसोसिएशन।

27 मार्च 1914 को शहर में बनी दलाल कमेटी आज श्री क्लॉथ ब्रोकर एसोसिएशन के नाम से यह नेक काम कर रही है। शहर में जिस वक्तकपड़ा मिलों का वर्चस्व था और यहां का कपड़ा विदेश में भी निर्यात होता था, उस समय संगठन ने अपने पैर जमाए थे। दलाली के एवज में ब्रोकर को एक प्रतिशत कमीशन मिलता था। इस एक प्रतिशत में से भी ब्रोकर एसोसिएशन तीन प्रतिशत राशि बचाकर समाज सेवा के लिए रखता था। इससे गायों को चारा, पक्षियों को दाना और रोगियों की मदद होती थी। बाद में संगठन ने शिक्षा की ओर ध्यान दिया और 1954 में शहर में बाल विनय मंदिर स्कूल की शुरुआत की।

एसोसिएशन के सचिव भानुकुमार जैन बताते हैं कि बाबूलाल बाहेती ने संगठन को शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने की सलाह दी। संगठन ने जमा राशि से पांच एकड़ जमीन पर श्री बाल विनय मंदिर की शुरुआत की। तब भवन निर्माण की लागत 35 हजार रुपए आई थी। नाममात्र शुल्क पर लगने वाले इस विद्यालय में शुरुआती दौर में ही 250 विद्यार्थी थे। शहर का यह पहला ऐसा विद्यालय था, जिसने विद्यार्थियों के लिए भोजन और वाहन की सुविधा मुहैया कराई।

हिंदी मीडियम वाले इस स्कूल के बाद जब लगा कि अब अंग्रेजी में भी स्कूल संचालित करना समय की मांग है तो 1972 में देवी अहिल्या शिशु विहार शुरू किया गया और आज ये दोनों स्कूल सीबीएसई से संबद्ध हैं। इन दिनों बाल विनय मंदिर में पांच हजार स्क्वेयर फीट का सभागृह बन रहा है। करीब 60 लाख की लागत वाला यह सभागृह इसी संगठन द्वारा बनाया जा रहा है, जिसमें करीब एक हजार विद्यार्थी एक साथ बैठ सकेंगे। बात केवल शिक्षा तक ही केंद्रित नहीं है, बल्कि आज भी गायों को चारा, पक्षियों को दाना और रोगियों की मदद के लिए जमा राशि से ही व्यय किया जाता है।

नेकी में रत 200 ब्रोकर

वर्तमान में इस संगठन से 200 ब्रोकर जुड़े हुए हैं। आज बेशक व्यापार विदेश से नहीं होता इसलिए मुनाफा कम होता है, बावजूद संगठन सेवा के लिए राशि जमा करता है। विद्यालयों का संचालन वहां से प्राप्त होने वाली फीस से तो हो जाता है, लेकिन भवन निर्माण आदि के लिए संगठन ही जिम्मेदारी निभाता है।

बेहतर शिक्षा और सुविधा देने के लिए स्कूल के साथ-साथ भोजन और परिवहन की सुविधा बाल विनय मंदिर से ही शुरू हुई थी। यह विद्यालय 65 साल पहले 1954 में शुरू किया गया था। अब हमारा अगला लक्ष्य सदस्यों द्वारा सेवा के लिए दी राशि से प्राथमिक विद्यालय शुरू करना है।

- हंसराज जैन, अध्यक्ष, श्री क्लॉथ ब्रोकर्स एसोसिएशन, इंदौर

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