राशन प्रणाली को आधार से जोड़ने में कई राज्य पीछे

राशन कार्ड के डिजीटलीकरण योजना को भी कई राज्यों में धीमी गति से चलाया जा रहा थी।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Mon, 25 Dec 2017 07:08 PM (IST) Updated:Mon, 25 Dec 2017 07:08 PM (IST)
राशन प्रणाली को आधार से जोड़ने में कई राज्य पीछे
राशन प्रणाली को आधार से जोड़ने में कई राज्य पीछे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राशन प्रणाली को आधार नंबर से जोड़ने में अभी भी कई राज्य बहुत पीछे हैं। केंद्र सरकार ने राज्यों से साफ शब्दों कहा कि राशन की चोरी रोकने के लिए वह हर संभव उपाय करेगी। जरूरी हुआ तो डिजीटलीकरण न करने वाले राज्यों के राशन के अनाज का आवंटन भी रोका जा सकता है। राशन कार्ड के डिजीटल होने और उसे आधार नंबर से जोड़ने की वजह से पौने तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द किये जा चुके हैं। इससे सालाना 20 हजार करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी की बचत होगी।

राशन प्रणाली को लीक प्रूफ बनाने के लिए रियायती राशन की दुकानों पर डिजीटल प्वाइंट आफ सेल (पॉस) मशीनें लगाई जा रही हैं। बायोमीट्रिक आधार पर ही राशन वितरित किया जाएगा। इसके लिए राज्यों को उनकी जरूरत के हिसाब से पॉस मशीनें मुहैया कराई जा रही हैं। लेकिन इसमें भी राज्यों का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं है। लगातार दबाव बनाने के बावजूद अभी तक 5.27 लाख राशन दुकानों के मुकाबले केवल 2.83 लाख दुकानों में ही मशीनें लगाई जा सकी हैं। वह भी केवल 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसा किया जा सका है। उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा व पश्चिम बंगाल जैसे राज्य पीछे चल रहे हैं।

राशन कार्ड के डिजीटलीकरण योजना को भी कई राज्यों में धीमी गति से चलाया जा रहा थी। लेकिन खाद्य मंत्रालय के सख्त रुख और अनाज के आवंटन में कटौती जैसी चेतावनी के चलते इसमें पर्याप्त सुधार हुआ है। लेकिन राशन प्रणाली की पूरी श्रृंखला को पारदर्शी बनाने की दिशा में राशन कार्ड को आधार नंबर से जोड़ने की गति धीमी है। खाद्य मंत्रालय के अनुरोध के बाद कुल 81 फीसद राशन कार्ड आधार नंबर से जोड़ दिये गये हैं। सरकार के इस अभियान से सरकारी खजाने को भारी राहत मिली है। खाद्य मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक आधार नंबर से जोड़ने की योजना से सालाना 20 हजार करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी की बचत होगी।

उपभोक्ताओं के हितों के मद्देनजर डिजीटलीकरण से एक ही राशन कार्ड का उपयोग राज्य के भीतर राशन की किसी भी दुकान पर किया जा सकता है। इसे अंतरराज्यीय बनाने की दिशा में भी प्रयास किये जा रहे हैं। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वर्ष 2019 तक उपभोक्ता अपने राशन कार्ड से देश की किसी भी राशन दुकान से अनाज उठा सकता है। इस दिशा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क तैयार करने पर कार्य किया जा रहा है।

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