2G का फैसला ऐसा आया कि चुप रहने वाले मनमोहन सिंह भी बोल पड़े

यूपीए सरकार को हिला देने वाले घोटाले पर मनमोहन सिंह का बोलना इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि उस वक्त वो यूपीए सरकार में सभी घोटालों के मामले में वो चुप ही रहे।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Thu, 21 Dec 2017 03:03 PM (IST) Updated:Thu, 21 Dec 2017 07:28 PM (IST)
2G का फैसला ऐसा आया कि चुप रहने वाले मनमोहन सिंह भी बोल पड़े
2G का फैसला ऐसा आया कि चुप रहने वाले मनमोहन सिंह भी बोल पड़े

नई दिल्ली, जेएनएन। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले पर फैसले के बाद अब कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेल रही है और सरकार को घेरने में लगी हुई है। इसके साथ ही बहुत कम मौकों पर बोलने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है। 

उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। यूपीए सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार साबित हुए हैं। मुझे खुशी है कि अदालत ने कहा है कि यूपीए सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर बिना किसी आधार के आरोप लगाए गए थे। सोशल मीडिया पर विशेष अदालत के फैसले की आलोचना के साथ यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि आखिर मनमोहन सिंह ने चंद दिनों पहले कोयला घोटाले में आए उस फैसले को न्याय की जीत क्यों नहीं बताया जिसमें मधु कोड़ा और कोयला सचिव एच जी गुप्ता को सजा सुनाई गई है। 

सत्ता का तख्तापलट

यूपीए-2 सरकार को हिला देने वाले इस घोटाले पर मनमोहन सिंह का बोलना इसलिए भी मायने रखता है, क्योंकि उस वक्त इस एक मामले में ही क्या, यूपीए सरकार में सभी घोटालों के मामले में वो चुप ही रहे थे। ऐसे कई बड़े मौके देखे गए, जब मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए चुप रहना ही बेहतर समझा। 2जी घोटाले ने देश की राजनीति को बदलकर रख दिया था। यूपीए सरकार में भष्टाचार एक अहम मुद्दा बना था। फिर चाहे 2जी हो या कॉमनवेल्थ गेम्स और कोयला घोटाला। 

बड़े मामलों पर साधी चुप्पी

कोयला घोटाले में तो सीधे-सीधे मनमोहन सिंह पर ही आरोप लगे थे। यह मामला इसलिए भी विशेष रहा, क्योंकि जब यह घोटाला हुआ तब कुछ समय के लिए उनके पास न केवल कोयला मंत्रालय का प्रभार था, बल्कि इसलिए भी कि आबंटित किए गए 142 कोयला ब्लॉकों में से अधिकतर 2004 और 2009 के बीच आबंटित किए गए और इन ब्लॉकों की नीलामी करने की बजाय, इन्हें कम मूल्य पर निजी कम्पनियों को आबंटित किया गया। जिन्होंने इन खदानों से कोयला नहीं निकाला। केवल 86 में से 28 कैप्टिव कोयला ब्लॉकों से कोयला निकाला गया, जिसके कारण देश को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

इस तरह के मामलों ने कांग्रेस पार्टी को कमजोर कर दिया था और भाजपा को मौके दिए। फिर डॉ. मनमोहन सिंह की चुप्पी और उनके गठबंधन धर्म वाले बयान ने उनकी छवि पर बुरा असर डाला। 2जी घोटाले के मामले में बरी हुए ए राजा ने तो उस वक्त यहां तक कह दिया था कि इस मामले की पूरी जानकारी मनमोहन सिंह को थी। इससे सिर्फ सरकार को ही नुकसान नहीं हुआ, बल्कि उनकी छवि भी खराब हुई। 

विपक्ष घोटालों को मुद्दा बनाता रहा और बड़े मौकों पर प्रधानमंत्री होते हुए मनमोहन सिंह की चुप्पी विपक्ष को मजबूत बनाती रही। इस मामले पर राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने संसद में कह भी दिया कि आज अगर भाजपा सत्ता में है तो सिर्फ इस मामले के दुष्प्रचार के चलते। 

मनमोहन सिंह का वो बयान...समझौता करना मजबूरी

2जी घोटाला, कोयला घोटाला हो या फिर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला हो... मनमोहन सिंह की चुप्पी यूपीए सरकार के लिए काल बनकर आई। 2जी घोटाले को लेकर साल 2011 में उन्होंने एक बयान दिया था कि गठबंधन की मजबूरी उन्हें समझौता करने पर मजबूर करती है। उन्होंने कहा था कि ए. राजा का नाम डीएमके की तरफ से आया था और उस वक्त ऐसा कोई बड़ा कारण नहीं था, जिससे कि मैं इस नाम पर ऐतराज जता सकूं। हां मुझ तक कंपनियों की शिकायत आ रही थी, लेकिन उस वक्त मुझे लगा नहीं कि ये मेरे अधिकार क्षेत्र में है और मैं उन पर कोई एक्शन ले सकूं। प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह का ये बयान अटपटा लगा। इससे उनकी छवि धूमिल हो गई। 

यह भी पढ़ें: जानिए-कैसे आया था 2G स्पेक्ट्रम घोटाले का आंकड़ा, क्यों फंसे ए राजा और कनिमोझी

chat bot
आपका साथी