मुंबई में कहीं बनारस जीता तो कहीं अंबेडकर नगर

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार मुंबई से जीतनेवाले वाले उत्तर भारतीयों की संखया पिछली बार से कम रही है। फिर भी कहीं बनारस हंसता दिखाई दे रहा है, तो कहीं आंबेडकर नगर का जलवा है। गोरेगांव सीट पर शिवसेना के दिग्गज नेता सुभाष देसाई को हरानेवाली भाजपा नेत्री विद्या ठाकुर बनारस की हैं

By Abhishake PandeyEdited By: Publish:Mon, 20 Oct 2014 02:41 PM (IST) Updated:Mon, 20 Oct 2014 02:46 PM (IST)
मुंबई में कहीं बनारस जीता तो कहीं अंबेडकर नगर

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार मुंबई से जीतनेवाले वाले उत्तर भारतीयों की संख्या पिछली बार से कम रही है। फिर भी कहीं बनारस हंसता दिखाई दे रहा है, तो कहीं आंबेडकर नगर का जलवा है।

गोरेगांव सीट पर शिवसेना के दिग्गज नेता सुभाष देसाई को हराने वाली भाजपा नेत्री विद्या ठाकुर बनारस की हैं। सुभाष देसाई की हार पर स्वयं उद्धव ठाकरे को आश्चर्य हो रहा है। उन्हें शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था। विद्या ठाकुर ने उन्हें हराकर शिवसेना को करारा झटका दिया है। वह गोरेगांव क्षेत्र से 20 साल सभासद रही हैं। मुंबई की पहली महिला उपमहापौर बनने का सेहरा भी उनके सिर ही बंध चुका है। उनके पति महाराष्ट्र भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश ठाकुर भी 2009 में विधानसभा चुनाव लड़े थे। लेकिन हार गए थे।

ठाकुर का परिवार लंबे समय से मुंबई में रहते हुए भी बनारस की फूलपुर तहसील स्थित मानीगांव की अपनी जड़ों से जुड़ा है। विद्या ठाकुर के ससुर चंद्रबली सिंह भी जनसंघ के टिकट पर मुंबई में 1967 और 1972 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।

कांग्रेस के टिकट पर चौथी बार विधायक बने राज्य के पूर्व मंत्री मोहममद आरिफ नसीम खानआंबेडकरनर के निवासी हैं। मुंबई में कांग्रेस द्वारा जीती गई पांच सीटों में से सर्वाधिक 30000 हजार मतों से आरिफ नसीम खान जीते हैं। नसीम खान के मजबूत गढ़ चांदीवली विधानसभा क्षेत्र में सेंध लगाने के लिए शिवसेना ने एक उत्तर भारतीय उम्मीदवार संतोष सिंह को उतारा था। सिंह गोरखपुर के मूल निवासी हैं। लेकिन मुंबई के सभी प्रतिष्ठित हिंदीभाषी चेहरों ने जाति व दल की सीमाओं से ऊपर उठकर संतोष सिंह के बजाय आरिफ नसीम खान का साथ दिया।

समाजवादी पार्टी के लिए एक मात्रसीट जीतनेवाले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी आजमगढ़ के रहने वाले हैं। मुंबई के मुस्लिमों के बीच तो उनकी गहरी पैठ है ही शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा उत्तर भारतियों के खिलाफ किए जानेवाले आंदोलनों का भी आजमी जोरदार प्रतिरोध करते रहे हैं।

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