Coronavirus Outbreak: कोरोना के प्रसार की गति को थामने में अब तक सफल रहा है भारत

भारत में मरीजों की संख्या 100 से 1000 पहुंचने में लगे 12 दिन। वहीं कई देशों में 12 दिनों में मरीजों की संख्या 100 से बढ़कर 8000 तक पहुंची थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Mon, 30 Mar 2020 08:44 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2020 11:15 PM (IST)
Coronavirus Outbreak: कोरोना के प्रसार की गति को थामने में अब तक सफल रहा है भारत
Coronavirus Outbreak: कोरोना के प्रसार की गति को थामने में अब तक सफल रहा है भारत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लॉकडाउन से भले ही लोगों को परेशानी हो रही हो, लेकिन कोरोना वायरस के प्रसार की गति को यह काफी हद तक थामने में सफल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या 100 से बढ़कर 1000 तक पहुंचने में 12 दिन लगे हैं। इसकी तुलना दुनिया के दूसरे विकसित देशों से करें, तो वहां 12 दिनों में संख्या 100 से बढ़कर आठ हजार तक पहुंच गई थी। लव अग्रवाल ने कहा कि इसे आगे बनाए रखने के लिए अब भी सौ फीसद अलर्ट रहने और सरकार के निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की जरूरत है।

लव अग्रवाल ने कोरोना के प्रसार की गति कम होने का श्रेय लॉकडाउन और दूसरे एहतियाती उपायों को देते हुए कहा कि जिन देशों ने समय पर एहतियाती कदम नहीं उठाए, उन देशों में यह बेकाबू होता गया। उनके अनुसार सरकार की कोशिश कोरोना के फैलने के इंतजार करने के बजाय पहले ही इस पर पूरी तरह नियंत्रण करने की है और इसमें आम लोगों के सौ फीसद सहयोग की जरूरत है। इसमें जरा भी कोताही अभी तक मिली सफलता पर पानी फेर सकता है। अपने आंतरिक नोट में 'लिमिटेड कम्यूनिटी ट्रांसमिशन' शब्द के प्रयोग का गलत अर्थ निकाले जाने के प्रति सावधान करते हुए लव अग्रवाल ने फिर दोहराया कि कोरोना वायरस अभी तक भारत में लोकल ट्रांसमिशन के दूसरे फेज में ही है।

यदि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का फेज शुरू हुआ तो वे सबसे पहले लोगों को इसकी जानकारी देंगे ताकि लोग सतर्क हो सकें। उन्होंने कहा कि जिस आंतरिक नोट का लिमिटेड कम्यूनिटी ट्रांसमिशन के सिलसिले में जिक्र किया जा रहा है, उसमें भी साफ लिखा है कि अभी तक मिले सारे मामले लोकल ट्रांसमिशन के हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मरीज जरूर बिना हिस्ट्री के सामने आए हैं, लेकिन उनकी संख्या नगण्य है और इसकी जांच अलग से की जा रही है।

पूरे देश में लॉकडाउन बाद के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन हॉटस्पॉट पर ध्यान केंद्रित कर दिया है, जहां कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे हॉटस्पॉट में उन अधिक जनसंख्या घनत्व वाले स्थानों को भी रखा गया है, जहां कोरोना के वायरस के फैलने की आशंका अधिक है। अग्रवाल ने कहा कि ऐसे इलाकों के लिए विशेष रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। जिसमें एक-एक घर में जाकर लोगों की पड़ताल की जा रही है और जरा सा भी संदिग्ध होने पर उसकी जांच की जा रही है।

ऐसे इलाकों के लिए विशेष एसओपी बना हुआ है और उसके तहत कार्रवाई की जा रही है। हॉटस्पॉट के इलाके के बाहर में भी एक बड़े इलाके की पहचान बफर जोन के रूप में की जाती है। ऐसे बफर जोन में भी सभी पर खास नजर रखी जाती है और यदि किसी में सांस से संबंधित गंभीर बीमारी के लक्षण दिखते हैं, तो तत्काल उसकी जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि देश में कई इलाकों की हॉटस्पॉट के रूप में पहचान की गई है।

लॉकडाउन को लेकर सख्ती

गृह मंत्रालय ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह लॉकडाउन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि इसकी 24 घंटे मानिटरिंग की जा रही है। देश में कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ ही इसकी जांच में तेजी आई है।

अब तक 38 हजार से ज्यादा टेस्ट

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के डॉक्टर रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि अभी तक कुल 38,442 कोरोना के टेस्ट हुए हैं, जिनमें अकेले रविवार को 3501 टेस्ट हुए हैं। इसके साथ ही पिछले तीन दिनों ने निजी लैब में भी 1334 टेस्ट हुए हैं, जिनमें एक भी कोरोना का पॉजिटिव केस नहीं निकला। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन गोली खाने के बाद एक डॉक्टर की हार्टअटैक से मौत के बारे में पूछे जाने पर डॉक्टर गंगाखेड़कर ने कहा कि इस दवा की एक-दो डोज लेने से हार्टअटैक होने की संभावना नहीं है। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के पहले उक्त डॉक्टर की मेडिकल हिस्ट्री देखना जरूरी है।

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