एक किमी हाई स्‍पीड ट्र्रैक बनाने में 100 करोड़ का खर्च : प्रभु

लोकसभा में सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी कि एक किलोमीटर हाई स्‍पीड रेलवे ट्रैक बनाने में करीब 100 से 140 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और पूरे हाई स्‍पीड ट्रेन कोरिडोर के निर्माण के लिए देश को 80 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है।

By Sanjay BhardwajEdited By: Publish:Mon, 16 Mar 2015 01:37 PM (IST) Updated:Mon, 16 Mar 2015 02:59 PM (IST)
एक किमी हाई स्‍पीड ट्र्रैक बनाने में 100 करोड़ का खर्च : प्रभु

नई दिल्ली। लोकसभा में सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी कि एक किलोमीटर हाई स्पीड रेलवे ट्रैक बनाने में करीब 100 से 140 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और पूरे हाई स्पीड ट्रेन कोरिडोर के निर्माण के लिए देश को 80 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है।

प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सदन को बताया कि सामान्य रेलवे ट्रेक के मुकाबले हाई स्पीड ट्रैक के निर्माण में 10 से 14 गुना ज्यादा खर्च आता है। हमें इसके लिए 80 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।

प्रभु ने कहा कि भारतीय रेलवे के पास अभी कोई हाई स्पीड कोरिडोर नहीं है और ऐसे कोरिडोर के निर्माण के लिए पुणे-मुंबई-अहमदाबाद, दिल्ली-आगरा-लखनऊ-वाराणसी-पटना, हावड़ा-हल्दिया, चेन्नई-बेंगलुरु-कोयंबटूर-अर्णाकुलम-तिरुअनंतपुरम मार्ग का सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद के बीच हाई स्पीड ट्रेन के लिए जापान के सहयोग से दिसंबर 2013 में सर्वे शुरू किया गया, जिसके जून 2015 में पूरा होने की संभावना है।

प्रभु ने बताया कि पिछले रेल बजट में डायमंड चतुर्भुज एवं अन्य हाई स्पीड रेल कोरिडोर के अध्ययन के लिए 33 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था और इस बार के बजट में 40 करोड़ रुपये खर्च का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि इस बजट राशि में मुंबई-अहमदाबाद रूट के लिए 19 करोड़ रुपये का खर्च भी शामिल है।

रेल मंत्री ने बताया कि अभी सबसे ज्यादा तेज 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दिल्ली आगरा के बीच शताब्दि एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है और देश में 2013-14 के बीच मेल और एक्सप्रेस ट्रेन की औसत गति 50.6 किमी प्रति घंटा थी।

एक अन्य सवाल के जवाब में प्रभु ने कहा कि 2014-15 (फरवरी तक) में देश भर में 80 ट्रेन दुर्घटना हुई जिसमें 123 लोगों की मौत हुई और 335 घायल हुए। वहीं 2013-14 में 71 दुर्घटनाएं हुईं और 54 लोग मौत के शिकार हुए तथा 119 लोग हुए थे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 57 हादसे ऐसे थे जिसकी वजह रेलवे स्टाफ की लापरवाही थी।

पढ़ें : रेलवे का नहीं होगा निजीकरण, रेल मंत्री बोले-यह राष्ट्र की संपत्ित है और रहेगी

पढ़ें : थर्ड एसी के डिब्बे बढ़ाएंगे प्रभु, गरीब रथ के मुनाफे से मिली प्रेरणा

chat bot
आपका साथी