दिल्‍ली-एनसीआर में आवाजाही में बाधा से लॉकडाउन में राहत की मंशा ध्‍वस्‍त

यूं तो हर राज्य सत्ताधारी दल की राजनीतिक सोच के अनुसार नीतियों के आधार पर बंटे होते हैं। संकट यह है कि कोरोना महामारी भी इसे पाटने में बहुत सफल नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 05 May 2020 06:20 PM (IST) Updated:Tue, 05 May 2020 08:33 PM (IST)
दिल्‍ली-एनसीआर में आवाजाही में बाधा से लॉकडाउन में राहत की मंशा ध्‍वस्‍त
दिल्‍ली-एनसीआर में आवाजाही में बाधा से लॉकडाउन में राहत की मंशा ध्‍वस्‍त

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यूं तो हर राज्य सत्ताधारी दल की राजनीतिक सोच के अनुसार नीतियों के आधार पर बंटे होते हैं। संकट यह है कि कोरोना महामारी भी इसे पाटने में बहुत सफल नहीं है। प्रवासी श्रमिकों को किसी भी तरह मूल राज्य में भेजने की तत्परता पहले दिखी, फिर उनसे रेल किराया भाड़ा वसूलने को लेकर विवाद उठा। समन्वय की यह कमी राज्यों की सीमाओं में प्रवेश को लेकर भी है। खासकर दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह अलग- अलग राज्यों का रुख दिख रहा है वह लॉकडाउन में राहत की पूरी मंशा पर ही पानी फेरता दिख रहा है। यह इसलिए गंभीर है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर जिसमें दिल्ली समेत नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद शामिल है, एक बहुत बड़े आर्थिक गतिविधि का केंद्र है। जहां सालाना लाखों करोड़ का न सिर्फ उत्पादन होता है बल्कि लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। 

दिल्‍ली में गतिविधियां शुरू, एनसीआर में काम पर लगाई जा रही रोक 

दिल्ली एनसीआर का पूरा क्षेत्र भले ही चार राज्यों मे बंटा हुआ है लेकिन व्यावहारिक रूप से यह एक इकाई है राजनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत अहम है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो लाखों करोड़ रुपये का उत्पादन करता है। आटो पार्टस, एपरेल, आइटी जैसे क्षेत्र में तो यह गढ़ है। लाखों लोग रोजाना रोजगार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं। पूरा दिल्ली एनसीआर रेड जोन है। लेकिन लाकडाउन 3 में रेड जोन के अंदर भी कंटेनमेंट एरिया को छोड़कर बाकी के क्षेत्रों मे परिवहन समेत उत्पादन व अन्य गतिविधियों को छूट दी गई है। इस छूट के बाद दिल्ली में तो गतिविधियां बढ़ती दिख रही हैं, लेकिन एनसीआर के बाकी क्षेत्र कटे हुए हैं। इन क्षेत्रों से दिल्ली आने जाने वालों पर लगातार रोक लगाई जा रही है। यहां तक कि आवश्यक सेवाओं को भी रोका जा रहा है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में लाखों लोगों के रोजगार पर भी संकट खड़ा हो सकता है। 

आर्थिक गतिविधि को धीरे-धीरे शुरू करने की मंशा भी हो रही ध्वस्त 

दिल्ली में कार्यालय खुल गए हैं लेकिन नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद से दिल्ली आने जाने को रोका जा रहा है। दिल्ली से इन क्षेत्रों मे जाने वाले ट्रक भी रोके जा रहे हैं। ऐसे में लाखों लोगों के रोजगार पर तो सवाल खड़ा होगा ही लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधि को धीरे-धीरे शुरू करने की मंशा भी ध्वस्त हो रही है। केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि उनकी ओर से गाइडलाइन है और उसमें इस तरह की रोक का प्रावधान नहीं है। यह स्थानीय प्रशासन और संबंधित राज्यों को बातचीत से दूर करना चाहिए। ध्यान रहे कि दिल्ली मे आम आदमी पार्टी की सरकार है और हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में भाजपा की। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। अगर किसी के स्तर पर शुरूआत हो तो संवाद बढ़ाया जा सकता है।

संकट के समय राज्यों की सोच राष्ट्रीय नहीं बल्कि प्रादेशिक

 सूत्रों की मानी जाए तो कोरोना जैसे राष्ट्रीय संकट को लेकर भी राज्यों की सोच राष्ट्रीय नहीं बल्कि प्रादेशिक ही है। हालांकि यह बात खुलकर सामने आ गई है और केंद्र से लेकर राज्यों तक ने इसे स्वीकार कर लिया है कि कोरोना से जंग लंबी है और हमें इसके साथ जीना सीखना चाहिए। लेकिन वह केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने में जुटे हैं। हरियाणा सरकार की ओर से एक बयान आया कि उनके यहां पाए गए अधिकतर संक्रमित दिल्ली से आए थे। लिहाजा सीमा सील कर दी है। लेकिन दिल्ली क्या करे, जहां पूरे देश से लोग आते हैं।

शराब बिक्री के जरिए राजस्व उगाहने में शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का मापदंड टूटता है तो सेस बढ़ाया जाता है। लेकिन राज्यों के बीच आपसी समन्वय बढ़ाकर सीमाओं पर मुस्तैदी और सुरक्षा के लिए चाक चौबंद होने पर अब तक बात नहीं हो रही है। राज्यों के बीच समन्वय और संवाद की यह कमी हर किसी को परेशान कर सकती है। 

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