आप भी देखें चीन और हांगकांग में कैसे थे लॉकडाउन के साइड इफेक्ट, लेकिन भारत में नहीं ऐसी कोई बात

कोरोना वायरस की वजह से कई देशों ने लॉकडाउन का फैसला लिया है। लेकिन इनका वहां पर साइड इफेक्‍ट भी सामने आया।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sat, 04 Apr 2020 06:19 PM (IST) Updated:Sun, 05 Apr 2020 01:45 AM (IST)
आप भी देखें चीन और हांगकांग में कैसे थे लॉकडाउन के साइड इफेक्ट, लेकिन भारत में नहीं ऐसी कोई बात
आप भी देखें चीन और हांगकांग में कैसे थे लॉकडाउन के साइड इफेक्ट, लेकिन भारत में नहीं ऐसी कोई बात

नई दिल्‍ली। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए शारीरिक दूरी बनाये रखना आवश्यक है। इसलिए कई देशों ने लॉकडाउन घोषित कर लोगों को अपने घरों में ही रहने को कहा है। इसे सकारात्मक तौर पर लिया जाए तो दोहरा फायदा दिखता है। एक तो आप कोरोना के संक्रमण से बच सकते हैं और दूसरा यह कि फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम गुजार सकते हैं, जिसका मौका आपको अपनी व्यस्तताओं की वजह से आमतौर पर मिलता ही नहीं। भारतीय संस्कृति में परिवार की अवधारणा भी ऐसे ही मानसिक जुड़ाव और बंधन को संजोने की है। कई सारे लोग अपने परिजनों के साथ कई तरह के क्रियाकलापों में मशगुल होकर समय खुशी-खुशी गुजार रहे हैं। लेकिन, चीन तथा पश्चिमी देशों में, जहां परिवार की अवधारणा पर भौतिकवाद हावी है, इसका दूसरा पहलू भी सामने आ रहा है। घरेलू कलह और हिंसा बढ़ने की भी रिपोर्ट हैं। इससे परिवार टूटने में अनायास ही तेजी दर्ज की गई है। जानिए अनबन के कुछ ऐसे ही ब्योरे।

चीन से हुई शुरुआत

यहां तलाक के आंकड़े वार्षिक आधार पर जारी होते हैं, लेकिन मीडिया रिपोटरें में दावा किया जा रहा है कि कई सप्ताह के लॉकडाउन समाप्त होने के बाद तलाक के मामले बढ़ गए हैं। यह ट्रेंड अमेरिका, ब्रिटेन, इटली जैसे देशों के लिए भी चिंता के कारण हो सकते हैं। सिचुआन प्रांत के शहर शियान तथा दाजहू शहरों में मार्च की शुरुआत में रिकॉर्ड संख्या में तलाक की अर्जियां दाखिल हुई हैं। इसके कारण सरकारी दफ्तरों में बैकलॉग का अंबार लग गया है। हुनान प्रांत में मिलुओ शहर के बारे में मध्य मार्च में सरकारी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, हालात ये बन गए हैं कि तलाक की अर्जियां दाखिल करने वालों की भीड़ इतनी बढ़ गई है कि दफ्तर में काम करने वाले बाबुओं को पानी पीने तक की फुर्सत नहीं मिल रही है।

सिटी रजिस्ट्रेशन सेंटर के डायरेक्टर यी शियोयान कहते हैं कि छोटी-छोटी बातों पर तकरार बढ़ी और दंपतियों ने तलाक का फैसला ले लिया। शंघाई में जेंटल एंड ट्रस्ट लॉ फर्म में तलाक मामलों के वकील स्टीव ली बताते हैं कि मध्य मार्च में शहर में लॉकडाउन खुलने के बाद से तलाक के केस 25 फीसद तक बढ़ गए हैं। मध्य जनवरी में जब कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो यह समय त्योहारों, खासकर चीन में कई दिनों तक मनाए जाने वाला चंद्र नववर्ष का था। ऐसे में दो महीने घर में बंद रहने से उनमें आपसी खीझ पैदा हुई। लैंगिक हिंसा पर नजर रखने वाले बीजिंग स्थित एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) की सहसंस्थापक फेंग युआन भी कहती हैं, 'लॉकडाउन के कारण पीडि़तों को समय पर मदद नहीं मिलती, क्योंकि पुलिस तो क्वारंटाइन लागू कराने में व्यस्त रही है। वहीं, पीडि़त महिला की रक्षा के लिए आदेश देने वाले कोर्ट भी बंद रहे हैं।

क्या हैं पुराने अनुभव

वैसे तो महामारी समाप्त होने के बाद जिंदगी पटरी पर लौटती दिखने लगती है। लेकिन इसके मानसिक और आर्थिक दंश महीनों पीछा करते हैं। हांगकांग में साल 2002-2003 के सार्स महामारी के अध्ययन से पता चलता है कि सार्स के प्रकोप के बाद प्रभावित लोग करीब साल भर तक मानसिक तनाव झेलते रहे। हांगकांग में साल 2004 में तलाक के मामले 2002 के मुकाबले 21 फीसद बढ़ गए थे। जबकि सार्स से करीब 1800 लोग संक्रमित हुए थे और 299 लोग मारे गए थे। इस बार तो चीन में अब तक 80 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हुए तथा 3,300 से ज्यादा मौतें हुई हैं।

तलाक के नियमों में बदलाव पर विचार

तलाक के बढ़ते इन मामलों को देखते हुए चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस इस साल के आखिर में तलाक कानून में बदलाव पर विचार कर सकती है। इसके तहत तलाक की अर्जी दायर करने वाले युगल को 30 दिनों का कूलिंग-ऑफ पीरियड दिया जाएगा, जिसके तहत पति-पत्‍‌नी अपनी अर्जी वापस ले सकते हैं। मौजूदा समय में तलाक की अर्जी सुनने वाले जज व्यभिचार या परित्यक्त जैसे किसी गंभीर कारण पर विचार कर तलाक मंजूर करते हैं या यदि वे सोचते हैं कि दंपती बहुत ही युवा हैं और जल्दबाजी कर रहे हैं तो तलाक मंजूर करने से मना कर सकते हैं। लेकिन छह महीने बाद यदि फिर से तलाक की अर्जी आती है तो जज मान लेते हैं कि दंपती में आगे बनने वाली नहीं है।

कुछ के लिए यादगार पल भी

लेकिन ऐसा नहीं है कि सबके लिए लॉकडाउन या क्वारंटाइन परेशानी का ही सबब बना है। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें अपने बीते दिनों की याद में खोने और उसे फिर से महसूस करने का मौका भी मिला है। हांगकांग में रह रही कनाडियाई कलाकार रैचेल स्मिथ कहती हैं, 'होम क्वारंटाइन और दूसरे लोगों से अलग-थलग रहने के दौरान मुझे फिर से यह एहसास हुआ है कि मैंने जिस व्यक्ति से शादी की है, उससे मैं कितना प्यार करती हूं।' उनकी शादी 21 साल पहले हुई थी। इतने सालों में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने के दौरान कभी एक साथ खाली समय व्यतीत का ऐसा मौका मिला ही नहीं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान कंप्यूटर पर घर से काम करते हुए बीच-बीच में हम थोड़ा ब्रेक लेकर आपस में बातचीत कर लेते हैं। यह वाकई एक बढि़या सरप्राइज है।

एक पहलू यह भी

ब्रिटेन में लॉकडाउन के बाद हाल के सप्ताहों में डेटिंग वेबसाइट यूजरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे ही एक वेबसाइट इलिसिटएनकाउंटर डॉट कॉम पर पुरुषों की गतिविधियों में 18 फीसद और महिला की गतिविधियां 12 फीसद बढ़ी हैं। सर्वे के मुताबिक, करीब 74 फीसद पुरुष नई पाबंदियों के कारण बोर हो गए हैं, इसलिए कुछ अलग चाहते हैं। वहीं, करीब दो-तिहाई (64 फीसद) बताती हैं कि साथ में ज्यादा समय व्यतीत करने से उनकी शादी की कमजोरियां सामने आ रही हैं। यूजर यह भी बताते हैं कि वे किस प्रकार से अपने नए पार्टनर को फेसटाइम या स्काइप के जरिए 'एक्स रेटेड' फोटो भेज कर वर्जुअल डेटिंग कर रहे हैं, क्योंकि वे आमने-सामने एक-दूसरे को देख नहीं सकते हैं। 

स्रोत : ब्‍लूमबर्ग 

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