कम नहीं हैं चारधाम यात्रा की चुनौतियां, दो माह बाद होगी शुरू, जल्‍द करने होंगे उपाय

चारधाम की यात्रा को देखते हुए सरकार को इसकी तैयारी जल्‍द शुरू कर देनी होगी। इसमें आने वाली चुनौतियां कम नहीं होती हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 14 Feb 2020 05:20 PM (IST) Updated:Fri, 14 Feb 2020 05:20 PM (IST)
कम नहीं हैं चारधाम यात्रा की चुनौतियां, दो माह बाद होगी शुरू, जल्‍द करने होंगे उपाय
कम नहीं हैं चारधाम यात्रा की चुनौतियां, दो माह बाद होगी शुरू, जल्‍द करने होंगे उपाय

शिमला। हिमाचल प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू होने को अब दो ही माह बचे हैं। केदारनाथ को छोड़ शेष तीनों धाम यानी गंगोत्री, यमुनोत्री और बदरीनाथ के कपाट खुलने की तिथि घोषित हो चुकी है। इसके साथ ही अब सरकार और शासन के सामने यात्रा को सुचारू और सफलतापूर्वक संचालित करने की चुनौती खड़ी हो गई है। कारण यह कि इस बार भारी बर्फबारी और बरसात के कारण तमाम व्यवस्थाओं को यात्रा से पहले दुरुस्त करना आसान नहीं होगा। देखा जाए तो हर साल खासी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन चारों धामों के दर्शन करते हैं। चारधाम के साथ ही हेमकुंड साहिब तक पिछले वर्ष लगभग 31 लाख यात्री पहुंचे।

इस बार यह आंकड़ा और अधिक बढ़ने की संभावना है। यात्रा मार्ग पर इस समय सबसे बड़ी चुनौती चारधाम ऑलवेदर रोड के निर्माण कार्य के चलते कई स्थानों पर होने वाले भूस्खलन की है। दरअसल चारधाम ऑल वेदर रोड के लिए मार्ग का चौड़ीकरण किया जा रहा है। इसके लिए पहाड़ों का कटान हो रहा है। जहां पहाड़ कच्चे हैं वहां भूस्खलन हो रहा है। इस कारण मार्ग बाधित हो रहा है। यदि समय से ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो यात्रा के सुचारू संचालन को लेकर काफी दिक्कतें आ सकती हैं। 

चौड़ीकरण के कारण सड़कें जगह-जगह पर टूटी हुई हैं। कई जगह नए डेंजर जोन बने हैं जो दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। यात्रा मार्ग पर सेफ्टी वॉल और पेराफिट की खास जरूरत महसूस की जा रही है, जिन पर अगले दो माह में तेजी से काम नहीं होता तो फिर इससे दुर्घटना होने की आशंका बढ़ सकती है। चारधाम यात्रा के दौरान शौचालयों और अन्य यात्री सुविधाओं का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इसकी रफ्तार नहीं बढ़ाई गई तो यात्रियों को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराने की रहेगी। यह देखने में आया है कि यात्रा के दौरान दुर्घटना के अलावा सबसे अधिक मौत हृदयाघात से होती हैं। इसके लिए जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों को तैनात करने की जरूरत है। बीते वर्ष हालात ये रहे कि यात्रा शुरू होने के बावजूद कई स्थानों पर चिकित्सक तैनात नहीं हो पाए थे। इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सरकार को इन पुराने अनुभवों से सबक लेने की जरूरत है।

इसके साथ ही अभी से यात्रा की तैयारियों को गति देनी होगी ताकि बाहर से आने वाले यात्री उत्तराखंड से सुखद यात्रा का अनुभव लेकर वापस लौटें। उत्तराखंड की आर्थिकी का एक बड़ा जरिया यह पर्यटन ही है। देश-दुनिया से बड़ी संख्या में लोग वहां के मनमोहक सौंदर्य देखने और धार्मिक स्थलों के दर्शन करने जाते हैं। उत्तराखंड में पर्यटकों की यह आवाजाही बनी रहे इसके लिए उन्हें जरूरी सुविधाएं और सुरक्षा भी मिलती रहनी चाहिए।

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