तेलंगाना केे गठन में उत्प्रेरक बना ‘KCR’ फैक्टर, जानें- AP के बंटवारे की कहानी

पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर किताब लिखा जिसमें उन्‍होंने नये राज्‍य ‘तेलंगाना के गठन’ में ‘केसीआर’ फैक्‍टर का उल्‍लेख किया है... जानें फैक्‍टर के बारे में

By Monika minalEdited By: Publish:Sat, 11 Jun 2016 03:36 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jun 2016 03:56 PM (IST)
तेलंगाना केे गठन में उत्प्रेरक बना ‘KCR’ फैक्टर, जानें- AP के बंटवारे की कहानी

नई दिल्ली। टीआरएस प्रमुख के.चंद्रशेखर राव केे गिरते स्वास्थ्य ने केंद्र को देश के 29वें राज्य का गठन करने के लिए मजबूर कर दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने अपने किताब में इस बात का खुलासा किया है कि आमरण अनशन कर रहे राव के स्वास्थ्य ने तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया में उत्प्रेरक का काम किया और मजबूरन यूपीए सरकार को तेलंगाना को अलग राज्य के तौर पर दर्जा देना पड़ा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर किताब ‘ओल्ड हिस्ट्री न्यू ज्योग्राफी: बाइफर्केटिंग आंध्र प्रदेश’ लिखा। अपने किताब में उन्होंने के. चंद्रशेखर राव को ‘केसीआर’ फैक्टर के नाम से उल्लेख किया है। 242 पेज के किताब में कांग्रेस नेता ने लिखा, ‘केसीआर की तबियत ने इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अन्य फैक्टर माओवादियों और उनके समर्थकों से संबंधित था जिसने इस मुद्दे को हवा दी।

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आंध्र प्रदेश में राज्यसभा से चुने गए जयराम रमेश, मंत्री समूह का हिस्सा थे। आंध्र प्रदेश के बंटवारे के लिए कानून तैयार करने के उद्देश्य से इस समूह का गठन यूपीए सरकार द्वारा अक्टूबर 2013 में किया गया था।

जयराम रमेश के अनुसार अलग तेलंगाना को लेकर सबसे महत्वपूर्ण फैसला संभवतया जून 2013 के आखिरी सप्ताह में मनमोहन सिंह के घर पर लिया गया। इसके कुछ दिन बाद कांग्रेस ने इस संबंध में प्रस्ताव पास कर दिया। अपनी किताब में उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी, एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे, गुलाम नबी आजाद, पी चिदम्बरम, अहमद पटेल और दिग्विजय सिंह को अपने घर पर बुलाया। इस बैठक में तेलंगाना बनाने का फैसला लिया गया। बाद में 30 जुलाई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने भी इस फैसले को मंजूर कर लिया।

हालांकि, जयराम रमेश ने यह भी लिखा है कि उन्हें स्पष्ट रूप से यह नहीं पता है कि इस फैसले के पीछे कारण क्या था।

उन्होंने कहा, ‘हो सकता है 2011 में बड़ी संख्या में सुसाइड और 2012 में तेलंगाना बनाने की मांग ने निर्णय को प्रभावित किया। यह भी हो सकता है कि भाजपा, तेलगुदेशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस ने अलग तेलंगाना बनाने के लिए लिखित समर्थन किया। इससे कांग्रेस को लगा कि बंटवारे के फैसले से उसकी पकड़ मजबूत होगी।‘

रमेश ने कहा कि यह उम्मीद थी कि टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव कांग्रेस में अपनी पार्टी को मिला लेंगे इससे भी यूपीए बंटवारे को राजी हुआ।


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नवंबर 1956 में तेलगु भाषी राज्य आंध्र प्रदेश अस्तित्व में आया। फरवरी 2014 में, संसद ने इस तेलगु भाषी राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया एक तेलंगाना और दूसरा आंध्र प्रदेश।

तेलंगाना 2 जून 2014 में भारत के 29 वें राज्य के रूप में स्थापित हुआ। राज्य के गठन के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव ने नवीन राज्य के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।

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