जानिए, क्यों राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस करती है मारपीट की राजनीति

इनकलाब के संपादक शकील हसन शमसी ने बताया कि ऐसी उम्मीद कम है कि राज ठाकरे पर किसी तरह की कोई कार्रवाई होगी।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Wed, 11 Oct 2017 08:48 PM (IST) Updated:Thu, 12 Oct 2017 01:29 PM (IST)
जानिए, क्यों राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस करती है मारपीट की राजनीति
जानिए, क्यों राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस करती है मारपीट की राजनीति

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। पिछली विधानसभा और बीएमसी चुनाव में करारी शिकस्त के बाद राजनीतिक अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव-निर्माण सेना (एमएनएस) अपनी गुंडागर्दी से बाज नहीं आ रही है। एक बार फिर से मंगलवार को एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के सांगली में उत्तर भारतीय लोगों को निशाना बनाया और उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। एमएनएस की मांग है कि सांगली में एमआईडीसी में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय मराठियों को दिया जाए और इसी बात को लेकर ये हंगामा किया गया। 2006 में एमएनएस बनाने वाले राज ठाकरे उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 2008-09 में वहां पर उत्तर भारतीयों को पहली बार निशाना बनाया और उनके साथ मारपीट की।

शिवसेना से नहीं हो सकती एमएनएस की तुलना

उधर, राज ठाकरे और एमएनएस पार्टी की गुंडई को लेकर शिवसेना के नागपुर में रामटेक से सांसद क्रुपाल भाई तुमाने ने Jagran.com से खास बातचीत में बताया कि इसकी बड़ी वजह है महाराष्ट्र में राज ठाकरे की आधार बनाने की कोशिश। उन्होंने बताया कि शिवसेना कभी भी जनता को पीटकर राजनीति नहीं करती है। यही वजह है कि शिवसेना को हिन्दू हो या मुस्लिम सभी चाहतें है। क्रुपाल भाई ने बताया कि जिस तरह की राज ठाकरे आज राजनीति कर रहे है ये बात सभी जानते हैं। यही वजह है कि जनता ने राज ठाकरे को आगे का रास्ता दिखा दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीति जो जनता को पसंद नहीं है अगर वैसी राजनीति हुई तो जनता उन्हें नकार देंगे।

एमएनएस क्यों करती है मारपीट
दरअसल, पिछली बार के बीएमसी चुनाव में एमएनएस को 28 सीटें मिली थी लेकिन इस बार वे सिर्फ 7 सीटों पर सिमट गई। जबकि, विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर 2009 के चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी को 288 में से 13 सीटें मिली थी लेकिन 2014 में सिर्फ एक सीट रह गई। जबकि, 203 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। दैनिक जागरण के फेसबुक लाइव में उर्दू इनकलाब के संपादक शकील हसन शम्सी ने बताया कि एमएनएस के ऐसा करनी की वजह है मीडिया की सुर्खियों में रहना। उन्होंने बताया कि राज ठाकरे चाहतें है कि उत्तर भारतीय लोग यह प्रतिक्रिया दें और मराठी लोगों को भी पीटें।

एमएनएस की मांग कितना वाजिब
शम्सी ने बताया कि एमआईडीसी में जिन जगहों पर नौकरी देने की बात कही जा रही है वहां पर उत्तर और बिहार को लोग काफी ज्यादा हैं। जबकि, स्थानीय लोग इसलिए वहां काम नहीं कर रहे हैं क्योंकि बाहरी मजदूर सस्ते में काम करते हैं जबकि उनकी मांग ज्यादा रहती है। उन्होंने बताया कि इसको कैसे रोका जाए ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है क्योंकि तमाम प्रयास हुए लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं मिला।

राज ठाकरे को नही आते राजनीति के सामान्य तरीके
जागरण के एसोसिएट एडिटर राजीव सचान ने बताया कि सांगली की घटना के बाद लोगों में काफी आक्रोश है। उसके बावजूद शुद्ध रुप से गुंडागर्दी की राजनीति करनेवाली ऐसी पार्टियों पर तभी रोक लग पाएगी जब ऐसा करने पर उनकी पार्टियों की मान्यता को रद्द कर दिया जाए।

शिवसेना की तरफ क्यों नहीं स्थापित कर पाए राज ठाकरे
राजीव सचान ने बताया कि शिवसेना शुरुआती बेस बनाने के लिए शिवसेना ने यही काम किया था। शिवसेना की तरफ से शुरुआत में दक्षिण भारतीय लोगों को भगाने का काम किया था। जिसके बाद जब लोगों का उस पार्टी से जुड़ाव हुआ तो वे फिर बाहरी लोगों को भी गले लगाने लगे। ऐसे में अगर राज ठाकरे की पार्टी का भी अगर बेस बन गया होता तो वे ऐसा हरकतें नहीं करते।

राज ठाकरें पर कार्रवाई की उम्मीद नहीं
इनकलाब के संपादक शकील हसन शमसी ने बताया कि ऐसी उम्मीद कम है कि राज ठाकरे पर किसी तरह की कोई कार्रवाई होगी। राज ठाकरे ने अपने चाचा के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि राज ठाकरें दरअसल एक कार्टूनिस्ट हैं और वे यही चाहतें है कि भारतीय लोकतंत्र को कार्टून बना दें। इसलिए, ऐसे लोगों की राजनीति पर रोक लगा देना चाहिए।

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