200 से ज्यादा बाघ हैं इस नेशनल पार्क में, ये सब जानते हैं आप CTR के बारे में

जिम कॉर्बेट यानी जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को हुआ था। कॉर्बेट ने 30 से ज्यादा नरभक्षी बाघों और तेंदुओं को मौत के घाट उतारा था।

By Digpal SinghEdited By: Publish:Tue, 25 Jul 2017 04:00 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jul 2017 04:37 PM (IST)
200 से ज्यादा बाघ हैं इस नेशनल पार्क में, ये सब जानते हैं आप CTR के बारे में
200 से ज्यादा बाघ हैं इस नेशनल पार्क में, ये सब जानते हैं आप CTR के बारे में

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। सीटीआर यानी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का नाम सुनते ही पर्यटकों और वन्य जीव प्रेमियों की बाछें खिल जाती हैं। उत्तराखंड में नैनीताल व पौड़ी जिले में फैला कार्बेट नेशनल पार्क साल में सिर्फ मानसून के दिनों में ही बंद होता है। इस मौसम में भी इस राष्ट्रीय उद्यान की कुछ रेंज पर्यटकों के लिए खुली रहती हैं। मानसून के अलावा पूरे साल यहां पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि देश में सबसे ज्यादा 215 बाघ इसी जंगल में बचे हैं। जिस शख्स के नाम पर यह नेशनल पार्क बनाया गया है, उन्हीं का आज यानी 25 जुलाई को जन्मदिन है।


कौन थे जिम कार्बेट

जिम कॉर्बेट यानी जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को हुआ था। जिम ब्रिटिश-इंडियन शिकारी और बाद में सरंक्षणकर्ता थे। वह लेखक और प्रकृतिवादी भी थे। वह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कर्नल के पद पर तैनात थे। उन्होंने 'मैन इटर्स ऑफ कुमाऊं' और 'जंगल लोर' व कई अन्य किताबें भी लिखीं। बाद में वह फोटोग्राफर बन गए और भारत में जगली जानवरों के संरक्षण के लिए भी उन्होंने आवाज उठायी। खतरनाक ढंग से कम हो रहे रॉयल बंगाल टाइगर के संरक्षण के लिए उन्होंने राष्ट्रीय उद्यान बनाने में अहम भूमिका निभायी। साल 1936 में बने इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम 'हेली नेशनल पार्क' रखा गया, जिसको 1957 में बदलकर 'जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क' रख दिया गया।

कई बाघों को उतारा मौत के घाट

जेम्स कॉर्बेट ने कई नरभक्षी बाघों को मार गिराया था। ब्रिटिश शासन में यूनाइटेड प्रोविंस (यूपी) आज का उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में उन्हें नरभक्षी बाघों के शिकार के लिए अक्सर बुलाया जाता था। खासकर गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के गांवों में इंसानों पर हमला करने वाले बाघ व तेंदुओं से निजात पाने के लिए ग्रामीण कॉर्बेट को बुलवाते थे। कॉर्बेट ने 30 से ज्यादा नरभक्षी बाघों और तेंदुओं को मौत के घाट उतारा, जबकि सिर्फ दर्जन के बारे में ही नरभक्षी होने के प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने अपनी किताबों में जिक्र किया है कि इन जंगली बिल्लियों ने क्षेत्र में 1200 से ज्यादा लोगों को निवाला बना लिया था। माना जाता है कि कॉर्बेट ने सभी बाघों को तभी मारा जब उनके बारे में पुष्टि हो गई कि वह नरभक्षी हैं। लेकिन बैचलर ऑफ पवलगढ़ को लेकर खूब बवाल हुआ। कहा जाता है कि वह बाघ नरभक्षी नहीं था, फिर भी उसे मार दिया गया।

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इनकी किताब पर फिल्म भी बन चुकी है

जेम्स कॉर्बेट की किताब 'मैन इटर्स ऑफ कुमाऊं' की सफलता के बाद हॉलीवुड में इसी नाम से एक फिल्म भी बनायी गई। फिल्म का निर्देशन बैरॉन हैस्किन ने किया जबकि साबू, वेंडेल कोरे और जो पेज ने इसमें भूमिकाएं निभायी थीं। हालांकि इस फिल्म की कहानी जेम्स कॉर्बेट की किताब से नहीं मिलती थी और यह फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप रही। हालांकि फिल्म में बाघों की कुछ शानदार तस्वीरें ली गई थीं। 

देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान है यह...

कॉर्बेट नेशनल पार्क को भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान होने का गौरव हासिल है. 1318 वर्ग किमी में फैले कॉर्बेट नेशनल पार्क के सिर्फ 520 वर्ग किमी इलाके को ही टाइगर रिजर्व के रूप में सुरक्षित किया गया है। ताजा आंकडों के अनुसार यहां पर 215 बाघ सुरक्षित हैं। यहां के अतिथिगृह में 200 लोगों के एक साथ ठहरने की व्यवस्था है।

कार्बेट नेशनल पार्क बाघों के लिए सुरक्ष‍ित व प्राकृतिक आवास है। यहां बाघ के अलावा हाथी, हिरण, चीतल, बारहसिंगा, चीता, तेंदुआ, नील गाय, जंगली सूअर और कई वन्य जीव पाए जाते हैं। इनके अलावा यहां पक्ष‍ियों की भी 580 प्रजातियां पायी जाती हैं। यह चिड़ियां यहां रहती हैं या किसी खास मौसम में प्रवास के लिए यहां आती हैं। घड़‍ियाल, मगरमच्छ, अजगर, किंग कोबरा, कछुआ, मॉनिटर लिजर्ड (छिपकली) जैसे सरीसृप भी इस जंगल में पाए जाते हैं।

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कॉर्बेट घूमना चाहते हैं तो ये जानकारी है जरूरी

कॉर्बेट पार्क नैनीताल जिले में जिला मुख्यालय से करीब 62 किमी और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 240 किमी दूर है। यहां जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन रामनगर है। रेलवे स्टेशन से ही कॉर्बेट घुमाने के लिए टूरिस्ट गाइड भी आसानी से मिल जाते हैं। यहां पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा उधमसिंह नगर जिले में पंतनगर एयरपोर्ट है। पंतनगर से यहां की दूरी करीब 82 किमी है।

कॉर्बेट जाने का सर्वोत्तम मौसम और सैर सपाटे की जगहें

कॉर्बेट नेशनल पार्क मानसून के मौसम में कुछ महीनों में पर्यटकों के लिए बंद रहता है. जबकि ज्यादातर समय यहां पर्यटक घूमने-फिरने आते हैं. जिम कॉर्बेट संग्रहालय और कालाढूंगी हेरिटेज ट्रेल, कॉर्बेट फॉल, सीताबनी, गर्जिया माता मंदिर, सेंटर फॉर ईको टूरिज्म, बाराती रौ फॉल, कालागढ़ बांध यहां आने वाले पर्यटकों के बीच खासे पसंद किए जाते हैं।

यहां से लें कॉर्बेट पार्क के बारे में जानकारी:

फील्ड डायरेक्टर, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, रामनगर (नैनीताल) पिन- 244715

फोन नंबर: 05947-251489, फैक्स: 251012, 251376

ईमेल पता: dirctr@yahoo.in, वेबसाइट: www.corbettnationalpark.in

यहां है रहने की व्यवस्था:

फॉरेस्ट रेस्ट हाउस कॉर्बेट

रिजर्वेशन ऑफिस (ढिकाला, ख‍िनौली, बिजरानी): 05947- 254220, 251332, 251346, 251489, 251376

टूरिस्ट रेस्ट हाउस- कुमाऊं मंडल विकास निगम

रामनगर: 251225

कालाढूंगी: 05942 – 242124 (रामनगर से 30 किमी दूर)

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