ये है मध्य प्रदेश का नोएडा, यहां जो आया उसकी कुर्सी चली गई

नोएडा के बारे में आम धारणा है कि जो सीएम यहां आया उसकी कुर्सी चली गई। कुछ ऐसा ही मिथक मध्य प्रदेश के अशोकनगर के बारे में भी है।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Mon, 08 Jan 2018 05:53 PM (IST) Updated:Mon, 08 Jan 2018 06:58 PM (IST)
ये है मध्य प्रदेश का नोएडा, यहां जो आया उसकी कुर्सी चली गई
ये है मध्य प्रदेश का नोएडा, यहां जो आया उसकी कुर्सी चली गई

अशोकनगर [अश्विनी शुक्ला] ।  दशकों से मिथक चला आ रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री अशोकनगर कस्बे में आए, उन्हें पद गंवाना पड़ा। अशोकनगर दौरे के बाद अब तक कई मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं। इसे अशोकनगर दौरे से जोड़कर प्रचारित किया जाता है। इसी मिथक के चलते प्रस्तावित मुंगावली उपचुनाव (अशोकनगर जिला) में इस बात को याद दिलाना विपक्ष का शगल बन गया है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को अशोकनगर कलेक्ट्रेट कार्यालय के नए भवन का उद्घाटन करने के लिए 24 अगस्त 2017 को आमंत्रित किया गया था। लेकिन वे यहां नहीं आए थे। भवन का उद्घाटन प्रदेश के मंत्री जयभान सिंह पवैया और लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने किया था। इसी सीट के संभावित उपचुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जिले के कई क्षेत्रों में दौरा भी कर रहे हैं।

हालांकि जब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से पूछा गया कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नोएडा जाकर सालों से चले आ रहे मिथक को तोड़ा है तो फिर आप अशोकनगर आकर यह मिथक क्यों नहीं तोड़ सकते। इस सवाल पर उनका जवाब था कि अगर जनता उन्हें बुलाएगी तो वे जरूर अशोकनगर आएंगे।

कांग्रेस नेता ने दी चुनौती- अगर सीएम अशोकनगर आए तो 51 हजार रुपए अस्पताल में दूंगा दान

अशोकनगर कांग्रेस आईटी सेल जिला संयोजक तरुण भट्ट ने सीएम शिवराज सिंह को चुनौती देते हुए कहा है कि यदि मुख्यमंत्री अंधविश्वासी नहीं हैं तो पहले अशोकनगर आएं। अशोकनगर आकर वह उस आरोप को झूठा साबित करें जो उन पर अंधविश्वासी होने का लगता रहा है या फिर मंच से स्वीकार करें कि वह अंधविश्वासी हैं और उन्हें कुर्सी का कोई लालच नहीं है। या फिर कुर्सी के लोभ के कारण वह अशोकनगर आने से डरते हैं। भट्ट ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री चौहान अशोकनगर आए तो मैं 51 हजार रुपए जिला अस्पताल को दान करूंगा।

अशोकनगर दौरे के कुछ समय बाद इनकी कुर्सी गई और  मिथक बढ़ता गया।

1.प्रकाशचंद्र सेठी
- 1975 में प्रदेश कांग्रेस के अधिवेशन में अशोकनगर आए थे। 22 दिसंबर 1975 को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा।

2. श्यामाचरण शुक्ल


- 1977 में तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने अशोकनगर आए थे प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर 29 मार्च 77 को पद छोड़ना पड़ा।


3. अर्जुन सिंह

- 1985 में कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव राजीव गांधी के साथ आए थे। इसके बाद अर्जुन सिंह को राज्यपाल बनाकर पंजाब भेज दिया था।


4. मोतीलाल वोरा

- 1988 में तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया के साथ रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज का उद्धटान करने आए थे। इसके बाद श्री वोरा को केंद्र में मंत्री बनाया गया।


5. सुंदरलाल पटवा

1992 में जैन समाज के पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आए थे। दिसंबर में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाए जाने के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।


6. दिग्विजय सिंह

- 2003 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा का उपचुनाव लड़ाने के लिए दिग्विजय सिंह अपने साथ लेकर आए थे। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा की सरकार बनी और उमा भारती मुख्यमंत्री चुनीं गईं।


7. लालूप्रसाद (बिहार)

-2003 के विधानसभा चुनाव में बलवीर सिंह कुशवाह के प्रचार में अशोकनगर आए बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को भी पद से हटना पड़ा था। 
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