इंदौर लगातार दूसरे साल फाइव स्टार रेटिंग वाला शहर, अगली बार 1200 नंबर की होगी सेवन स्टार रेटिंग

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कचरा मुक्त स्टार रेटिंग के रिजल्ट की घोषणा की जिसमें एमपी के इंदौर को 5 स्टार रेटिंग दी गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 19 May 2020 10:30 PM (IST) Updated:Tue, 19 May 2020 10:30 PM (IST)
इंदौर लगातार दूसरे साल फाइव स्टार रेटिंग वाला शहर, अगली बार 1200 नंबर की होगी सेवन स्टार रेटिंग
इंदौर लगातार दूसरे साल फाइव स्टार रेटिंग वाला शहर, अगली बार 1200 नंबर की होगी सेवन स्टार रेटिंग

इंदौर, राज्‍य ब्‍यूरो। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कचरा मुक्त स्टार रेटिंग के रिजल्ट की घोषणा की, जिसमें एमपी के इंदौर को 5 स्टार रेटिंग दी गई है। पिछले वर्ष की तरह इंदौर को इस साल भी सेवन स्टार नहीं मिल सका। पिछले वर्ष केवल तीन शहर ही फाइव स्टार पा सके थे। इस बार इनकी संख्या बढ़कर छह हो गई है। 5 स्टार रेटिंग वाले शहरों में छत्तीसगढ़ का अंबिकापुर, गुजरात के राजकोट और सूरत, कर्नाटक का मैसूर और महाराष्ट्र का नवी मुंबई भी शामिल है। 

इंदौर के लोगों के चेहरे पर मुस्‍कान लाया ये पुरस्‍कार  

इंदौर तीन बार देश में सबसे स्वच्छ शहर का अवार्ड पा चुका था, वहां लगातार बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या ने शहर के लोगों को निराश कर दिया था। इस रेटिंग ने इंदौर के जनप्रतिनिधियों और लोगों के चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान ला दी है। मध्य प्रदेश का यह एकलौता शहर है जिसे गारबेज फ्री रेटिंग में फाइव स्टार मिले हैं।

शहरों को 'थर्ड बिन' पर पूरा ध्यान लगाने के निर्देश

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 2020-21 की रेटिंग संबंधी गाइडलाइन में शहरों को 'थर्ड बिन' पर भी अब पूरा ध्यान लगाने के निर्देश दिए गए हैं। अब तक स्वच्छता सर्वे में स्टार रेटिंग के लिए 1000 अंक दिए गए थे लेकिन नई गाइडलाइन में इसे बढ़ाकर 1200 कर दिया गया है। 

मंत्रालय की नई गाइड लाइन में कोविड वेस्ट अलग से इकट्ठा करना अनिवार्य

इंदौर नगर निगम के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट असद वारसी ने बताया कि अब तक मंत्रालय गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करने के दिशा- निर्देश देता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के मद्देनजर थर्ड बिन का उपयोग अब जरूरी किया गया है। इंदौर पहले से ही 'थर्ड बिन' का उपयोग कर रहा है। इसमें डाइपर, सैनिटरी नेपकिन और खराब दवाइयां ली जाती हैं। मंत्रालय अब देशभर में ऐसा करना चाहता है। अंतर यह है कि नई गाइड लाइन में 'थर्ड बिन' में कोविड से जुड़े वेस्ट को भी डाला जाएगा। मसलन, मास्क, ग्लब्स, कैप आदि को थर्ड बिन में लेना होगा। यह भी कहा गया है कि कोविड वेस्ट के निपटान के लिए निकायों को भस्मक का उपयोग करना होगा। 

सूखे कचरे से प्लास्टिक अलग करना जरूरी

- नई गाइडलाइन में निकायों से कहा गया है कि वे सूखे कचरे में से प्लास्टिक को घरों या दुकानों से ही अलग करके लें, साथ ही उसे रिसाइकिल भी करें। यह प्रयोग भी इंदौर पहले से कर रहा है। शहर में चुनिंदा कॉलोनियों में एनजीओ के माध्यम से प्लास्टिक खरीदा जा रहा है और उसे रिसाइकिल करने भेजा जा रहा है। 

- एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी जोड़ा गया है कि 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में जहां भी डिवाइडर वाली सड़कें हैं, वहां अब निकायों को मैकेनाइज्ड स्विपिंग (मशीनों से सफाई) कराना अनिवार्य हो गया है। 

- नई गाइडलाइन में मंत्रालय ने उपचारित पानी के पुनर्उपयोग और शहरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर पूरा ध्यान केंद्रित करने को कहा है। अब तक उपचारित जल के इस्तेमाल के लिए अधिकतम प्रतिशत की दर तय नहीं थी लेकिन नए दिशानिर्देश के मुताबिक निकायों को उपचारित पानी का 10 से 30 प्रतिशत हिस्सा फिर उपयोग में लाना जरूरी हो गया है। जो शहर 10 प्रतिशत उपचारित पानी का उपयोग करेगा, उसे आधे अंक मिलेंगे जबकि 30 प्रतिशत पानी का उपयोग करने वाले शहर को पूरे अंक मिलेंगे। 

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