'श्रीअन्न गांवों और ढाई करोड़ किसानों के लिए वरदान', PM मोदी बोले- देश के समग्र विकास का बन रहा माध्यम

खाद्य सुरक्षा एवं पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित इस सम्मेलन में छह देशों के कृषि मंत्रियों समेत सौ से अधिक देशों के कृषि विज्ञानियों ने हिस्सा लिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत की पहल पर 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 18 Mar 2023 08:12 PM (IST) Updated:Sat, 18 Mar 2023 08:39 PM (IST)
'श्रीअन्न गांवों और ढाई करोड़ किसानों के लिए वरदान', PM मोदी बोले- देश के समग्र विकास का बन रहा माध्यम
'श्रीअन्न गांवों और ढाई करोड़ किसानों के लिए वरदान', PM मोदी बोले- खेती के लिए खाद की जरूरत नहीं पड़ती

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोटे अनाजों (श्रीअन्न) को बढ़ावा देने के अभियान को देश के लगभग ढाई करोड़ सीमांत किसानों के लिए वरदान बताया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश में पहली बार श्रीअन्न के किसानों की आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री शनिवार को पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित वैश्विक श्रीअन्न सम्मेलन के उद्घाटन के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, इथियोपिया के राष्ट्रपति सहले-वर्क ज्वडे और गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफ़ान अली ने भी संबोधित किया।

100 से अधिक देशों के कृषि विज्ञानियों ने लिया हिस्सा

खाद्य सुरक्षा एवं पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित इस सम्मेलन में छह देशों के कृषि मंत्रियों समेत सौ से अधिक देशों के कृषि विज्ञानियों ने हिस्सा लिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत की पहल पर 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीअन्न देश के समग्र विकास का माध्यम बन रहा है। इसमें गांव और गरीब दोनों जुड़े हैं। यह करोड़ों लोगों के पोषण का आधार है।

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के माध्यमों से इसे जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने विदेशी प्रतिनिधियों को बताया कि श्रीअन्न केवल भोजन या खेती तक ही सीमित नहीं हैं। भारतीय परंपरा में यह गांवों-गरीबों से जुड़ा है। छोटे किसानों के लिए समृद्धि का द्वार, करोड़ों लोगों के पोषण का आधार व आदिवासियों का सम्मान है। सामान्य भूमि और कम पानी में भी उगाया-उपजाया जा सकता है। यह रसायनमुक्त है। उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है। खेती के लिए खाद की जरूरत नहीं पड़ती। जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि खेत से बाजार तक श्रीअन्न की नई आपूर्ति श्रृंखला विकसित की जानी चाहिए, क्योंकि अब तक इससे जुड़े पांच सौ से ज्यादा स्टार्टअप आ चुके हैं। बड़ी संख्या में एफपीओ भी आ रहे हैं। महिलाएं उत्पाद बना रही हैं, जो माल और सुपरमार्केट तक पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि खेती और कारोबार का दायरा बढ़ेगा, तो किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिलेगा। इससे संबंधित उत्पादों की बिक्री में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक जिला-एक उत्पाद के तहत 19 जिलों को श्रीअन्न के लिए चुना गया है।

बढ़ रही श्रीअन्न की खपत

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीअन्न केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं है, बल्कि जो भारत की परंपरा को जानते हैं वे यह भी जानते हैं कि जहां श्री होती है वहां समृद्धि और समग्रता होती है। भारत में श्रीअन्न की उपज और खपत में लगातार वृद्धि हो रही है। इसकी विभिन्न प्रजातियों की खेती 12 राज्यों में होती है। प्रति व्यक्ति खपत पहले दो किलो प्रति माह थी, जो अब बढ़कर 14 किलो तक पहुंच गई है।

उन्होंने कहा कि विश्व जब मिलेट वर्ष मना रहा है, तब भारत इस अभियान की अगुवाई कर रहा है। श्रीअन्न सम्मेलन जैसे आयोजन न सिर्फ वैश्विक हित के लिए जरूरी है, बल्कि इसके प्रति भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।

डाक टिकट व सिक्के का अनावरण

प्रधानमंत्री ने डाक टिकट व सिक्के का अनावरण किया और स्टार्टअप एवं श्रीअन्न मानकों के संग्रह को डिजिटल रूप से लांच किया। साथ ही भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान (IIMR) को उत्कृष्टता का केंद्र घोषित किया।

प्रधानमंत्री ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया और कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी के साथ प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

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