ब्रिक्स सम्मेलन से पहले भारत ने डोकलाम विवाद पर की रूस से बातचीत
इस साल की शुरुआत में भी भारत एनएसजी सदस्यता के मसले पर चीन को विरोध करने से रोकने के लिए रूस तक पहुंचा था।
नई दिल्ली, जेएनएन। चीन का डोकलाम के मुद्दे पर आक्रामक रवैया बरकरार है। इधर भारत ने भी साफ कर दिया है कि वह अपनी सीमा पीछे नहीं हटाएगा। इस बीच भारत ब्रिक्स सम्मेलन से पहले डोकलाम मुद्दे पर रूस का साथ चाहता है। हालांकि इसकी कवायद पिछले काफी समय से चल रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि भारत और रूस की सरकरें इस मुद्दे पर बात कर रही हैं। हालांकि अभी तक डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का मुद्दे पर कोई साफ रुख नजर नहीं आ रहा है। इससे भारत को जरूर झटका लगा है। लेकिन ऐसे में भारत को एक बार फिर रूस से समर्थन की उम्मीद है।
सूत्रों की मानें तो भारत पिछले छह महीनों से चीन के अडियल और भारत विरोधी रवैये को लेकर बात कर रहे हैं। भारत यह कोशिश कर रहा है कि रूस किसी तरह चीन को समझाए कि भारत से विरोध का रास्ता छोड़ दे। ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर हुईं हालिया तैयारी बैठकों के दौरान भारतीय अधिकारियों ने रूसी समकक्षों के साथ डोकलाम के बारे में चर्चा की है। रूस को यह बताने की कोशिश की गई है कि डोकलाम में सड़क बनाकर चीन यथास्थिति को तोड़ रहा है और भारत की सुरक्षा के लिए यह खतरनाक है। हलांकि अभी तक चीन की ओर से कोई सकारात्मक संकेत नजर नहीं आ रहे हैं।
बता दें कि इस साल की शुरुआत में भी भारत एनएसजी सदस्यता के मसले पर चीन को विरोध करने से रोकने के लिए रूस तक पहुंचा था। एक अधिकारी ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा, 'रूस, भारत का एक अहम सामरिक साझेदार है और एक दोस्त मुल्क के साथ सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करना स्वभाविक है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।'
गौरतलब है कि 3 सितंबर से 5 सितंबर के बीच चीन के श्यामन में ब्रिक्स सम्मेलन होना है। रूस को भरोसा है कि यह सम्मेलन सफल होगा। वैसे संभावना जताई जा रही थी कि डोकलाम विवाद को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स में शिरकत ना करें। लेकिन ऐसा नहीं हैं, पीएम मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। उम्मीद है कि इस दौरान दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच डोकलाम विवाद पर बातचीत हो और कुछ हल निकले।
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