छत्तीसगढ़ में टॉपर बिटिया के कारण बदल जाएगी गांव के स्कूल की सूरत, अधिकारियों ने शासन को भेजी रिपोर्ट

गांव-समाज के लिए प्रज्ञा का यही संवेदनशील संवाद टर्निग प्वाइंट बन गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रज्ञा के स्कूल की सुध ली।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 12:34 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 12:37 AM (IST)
छत्तीसगढ़ में टॉपर बिटिया के कारण बदल जाएगी गांव के स्कूल की सूरत, अधिकारियों ने शासन को भेजी रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में टॉपर बिटिया के कारण बदल जाएगी गांव के स्कूल की सूरत, अधिकारियों ने शासन को भेजी रिपोर्ट

राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। एक कहावत है-अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता- को छत्तीसगढ़ में 2020 की 10वीं कक्षा की टॉपर प्रज्ञा कश्यप ने गलत साबित कर दिया है। उसने अपने लगन से यह सिद्ध कर दिया कि अकेला चना भी भांड़ फोड़ सकता है। उसने अपने गांव और समाज के लिए किए गए कार्य से मुख्यमंत्री तक को प्ररित किया है। अब प्रज्ञा की वजह से मुंगेली जिले के जरहागांव स्थित स्कूल की तस्वीर बदल जाएगी।

इसी कड़ी में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) से प्रज्ञा के स्कूल की रिपोर्ट मांगी थी। शुक्रवार को डीईओ ने निर्माण कार्यो और अन्य आवश्यकताओं की सूची तैयार कर शासन को भेज दी है। प्रदेश में 10वीं का टॉपर घोषित होने के बाद दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया से बातचीत में प्रज्ञा ने कहा था कि अगर उसके गांव के स्कूल में 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने से यहां सुविधाओं का विकास हो सकता है तो वह गांव में ही पढ़ना चाहेंगी। उन्हें शहर या देश के किसी भी स्कूल में पढ़ने की मुफ्त व्यवस्था करने के प्रस्ताव भी मिले थे। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा पूरा खर्च उठाने के लिए खुद आगे आए थे।


स्कूल में शौचालय तक नहीं

गांव-समाज के लिए प्रज्ञा का यही संवेदनशील संवाद टर्निग प्वाइंट बन गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रज्ञा के स्कूल की सुध ली। वर्तमान में स्कूल में एक क्लास में 75 से अधिक विद्यार्थी हैं। स्कूल को 2011-12 में हाई स्कूल से हायर सेकेंडरी स्कूल बनाया गया, लेकिन सुविधाएं नहीं दी गईं। शौचालय तक नहीं है। स्कूल दो पाली में संचालित होता है। कमरों के अभाव में लैब तक में बच्चों की क्लास लगाई जाती है। सामान्य कक्षाओं के कारण लैब के जरूरी उपकरणों को आलमारी में बंद करके रखना पड़ता है। अब प्रशासन के सामने प्रज्ञा के संकल्प को सिद्ध करने की चुनौती है। शिक्षक, शिक्षण एवं ढांचागत व्यवस्था में आवश्यक सुधार की फाइलों को तेजी से बढ़ाना होगा। स्कूल सामान्य रूप से संचालित होने से पहले ही शिक्षण प्रणाली को सुदृढ़ करना होगा।

बिलासपुर शिक्षा अधिकारी अशोक भार्गव ने बताया कि शिक्षा मंत्री के निर्देश पर जरहागांव स्कूल में जरूरी निर्माण कार्य के अलावा अन्य कमियों को दूर करने के संबंध में प्रस्ताव बनाकर राज्य शासन के हवाले कर दिया गया है।

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