IIT ने इजाद की अनोखी डिवाइस, खून में बैक्टीरिया के संक्रमण का 10 मिनट में लगेगा पता

सामाजिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम से उत्कृष्टता दिखाने वाली युवतियों को इस राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Tue, 03 Mar 2020 08:24 AM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2020 08:24 AM (IST)
IIT ने इजाद की अनोखी डिवाइस, खून में बैक्टीरिया के संक्रमण का 10 मिनट में लगेगा पता
IIT ने इजाद की अनोखी डिवाइस, खून में बैक्टीरिया के संक्रमण का 10 मिनट में लगेगा पता

नई दिल्ली [राहुल मानव]। खून में बैक्टीरिया का संक्रमण है या नहीं यह अब सिर्फ दस मिनट में ही पता लग जाएगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली की केमिकल इंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.शालिनी गुप्ता ने ऐसी ही एक तकनीक को विकसित किया है। इस तकनीक को विकसित करने के लिए 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान स्थापना दिवस के मौके पर विज्ञान भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

सामाजिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम से उत्कृष्टता दिखाने वाली युवतियों को इस राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। उन्हें वर्ष 2019 के लिए इस पुरस्कार से नवाजा गया है। इस पुरस्कार को भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग (डीएसटी) के सौजन्य से प्रदान किया गया है।

डॉ. शालिनी बैक्टीरिया संक्रमण का तेजी से इलाज करने की प्रणाली पर फिलहाल काम कर रही हैं। उन्होंने एक ऐसे डिवाइस को तैयार किया है जिससे सिर्फ दस मिनट में ही खून की जांच करते हुए रक्त में बैक्टीरिया के संक्रमण के बारे में पता लगाया जा सकता है। साथ ही बैक्टीरिया की क्षमता किनती है उसकी भी जानकारी मिल सकेगी। आइआइटी दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर शालिनी ने इस तकनीक का पेटेंट भी करा लिया है।

डॉ. शालिनी ने वर्ष 2002 में आइआइटी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की हैं। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी से केमिकल एंड बॉयोमॉलिक्यूलर में पीएचडी की डिग्री हासिल की हैं। डॉ. शालिनी अपने सहयोगियों के साथ आइआइटी दिल्ली में नैनोडेक्स स्टार्ट-अप कंपनी भी स्थापित की है।

क्या होता है असर

डॉ. शालिनी ने कहा है कि खून में बैक्टीरिया का संक्रमण होने से शरीर में सैप्टिसीमिया बीमारी होने की आशंका रहती है। बैक्टीरिया का संक्रमण खून के जरिये पूरे शरीर में फैल जाता है जो जीवन के लिए खतरनाक हो जाता है। इस तरह का संक्रमण दिल की धड़कनें तेज कर सकता है, श्वसन क्रिया को भी तेज कर सकता है। इससे निमोनिया और किडनी का संक्रमण भी हो सकता है।

तकनीक के ये हैं फायदे

डॉ. शालिनी ने बताया कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के क्लिनिक में इस तकनीक को पिछले डेढ़ से दो वर्षों में 300 मरीजों पर आजमाया गया है। आमतौर पर लैब में खून की जांच कराने में एक दिन का समय लग जाता है। साथ ही डीएनए के जरिये मशीनी उपकरणों से टेस्ट कराते हैं तो तीन घंटे लगते हैं। लेकिन, इस तकनीक के माध्यम से महज दस मिनट में खून की सफलतापूर्वक जांच हो जाती है और पता लग जाता है कि खून में बैक्टीरिया का संक्रमण है या नहीं।

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