डेंगू से बच्‍चे की मौत, आहत मां-बाप ने दी जान

लाडो सराय में रहने वाले दंपति ने बेटे की मौत से आहत होकर मंगलवार देर रात घर की तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी। उसी दिन दोपहर दो बजे उनके सात वर्षीय इकलौते बेटे अविनाश राउत की डेंगू से मौत हुई थी। इस मामले में दिल्ली सरकार ने बीमार

By Murari sharanEdited By: Publish:Sat, 12 Sep 2015 08:37 PM (IST) Updated:Sun, 13 Sep 2015 06:06 AM (IST)
डेंगू से बच्‍चे की मौत, आहत मां-बाप ने दी जान

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। लाडो सराय में रहने वाले दंपति ने बेटे की मौत से आहत होकर मंगलवार देर रात घर की तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी। उसी दिन दोपहर दो बजे उनके सात वर्षीय इकलौते बेटे अविनाश राउत की डेंगू से मौत हुई थी। इस मामले में दिल्ली सरकार ने बीमार बच्चे का इलाज न करने वाले दिल्ली के पांच बड़े निजी अस्पतालों को नोटिस देकर जवाब मांगा है और पंजीकरण निरस्त करने की चेतावनी दी है।

जानकारी के अनुसार मौत से दो दिन पहले अविनाश को डेंगू हुआ था। उसे लेकर इलाज के लिए दंपति आस-पास के बड़े अस्पतालों- मूलचंद, मैक्स, आकाश, सिटी और आइरीन अस्पताल में गए थे लेकिन वहां उसे भर्ती नहीं किया गया। इस दौरान बच्चे की हालत काफी बिगड़ गई। इस पर वे अविनाश को लेकर बत्रा अस्पताल गए, जहां उसे भर्ती किया गया। जब तक अविनाश का इलाज शुरू हुआ तब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी। मंगलवार दोपहर दो बजे बच्चे की मौत हो गई। रात आठ बजे बच्चे का अंतिम संस्कार करके लक्ष्मण घर लौटे। रात करीब दो बजे लक्ष्मण के ससुर ने पड़ोसी ज्ञानेंद्र देवाशीष को फोन पर बताया कि पति-पत्नी अपने कमरे में नहीं हैं और बेड पर सुसाइड नोट रखा है। लोगों ने तत्काल उनकी खोज शुरू की। छत पर जाने पर देखा कि दोनों के खून से लथपथ शरीर बिल्डिंग के ठीक पीछे स्थित एसडीएमसी कन्या आदर्श विद्यालय के परिसर में पड़े थे। दोनों ने अपने हाथ दुपट्टे से आपस में बांध रखे थे। दंपति लक्ष्मण राउत व बबिता ने अंग्रेजी में लिखे सुसाइड नोट में एक स्थान पर ओडिय़ा भाषा में लिखा है, 'आत्महत्या का निर्णय हमारा है, इसमें किसी का दोष नहीं है।'

लक्ष्मण गुडग़ांव के एक निजी कंपनी में एग्जीक्यूटिव थे। वह मूल रूप से केंद्रपाड़ा, ओडिशा के रहने वाले थे। पता चला है कि दंपति अपने बेटे को बचा न पाने का जिम्मेदार खुद को मान रहे थे।

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