सड़क सुरक्षा पर तमिलनाडु ने पेश की नजीर, सड़क दुर्घटनाओं को ऐसे किया काबू

चेन्नई में सड़क सुरक्षा पर गंभीरता से काम किया जा रहा है जिसका परिणाम प्रत्यक्ष रुप से देखने को मिल रहा है।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Tue, 31 Jul 2018 02:17 PM (IST) Updated:Tue, 31 Jul 2018 03:26 PM (IST)
सड़क सुरक्षा पर तमिलनाडु ने पेश की नजीर, सड़क दुर्घटनाओं को ऐसे किया काबू
सड़क सुरक्षा पर तमिलनाडु ने पेश की नजीर, सड़क दुर्घटनाओं को ऐसे किया काबू

चेन्नई (जेएनएन)। तमिलनाडु में सड़क सुरक्षा पर सरकार और प्रशासन गंभीर है। सड़क दुर्घटना को कम करने के लिए राज्य में आवश्यक प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले राज्य में गंभीर दुर्घटना के मामले 25 फीसद कम हुए हैं। पुलिस क्राइम और क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2017 में जनवरी और जून महीनों के बीच दुर्घटना के 33,345 मामले दर्ज किए गए जबकि इस साल ये आंकड़ा 33,026 रहा। यहां दुर्घटना की संख्या पर ध्यान देने की बजाए ये जानना अहम है कि गंभीर दुर्घटनाओं में 7 फीसद की गिरावट आई है साथ ही दुर्घटना में होने वाली मौतों में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या 8,452 थी जबकि इस साल 6,510 है। आइए जानते हैं राज्य प्रशासन ने किस तरह के उपायों पर काम करना शुरू किया है।

SC की सड़क सुरक्षा कमेटी पर हुआ गंभीर
2016 में सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी गठित की गई थी जिसके निर्देशों के बाद सरकार ने आवश्यक कदम उठाए। योजना के मुताबिक, यातायात अधिकारी, हाइवे अथॉरिटी, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर सड़क दुर्घटनाओं और इसके कारणों पर गहनता से अध्ययन किया। इसके लिए रोड डिवीजन, उपयुक्त जगह पर एंबुलेंस की व्यवस्था इसके साथ ही अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया गया।

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर सी समयमूर्ति ने कहा कि, दो साल पहले हमने महसूस किया कि हमें इस समस्या पर काम करने की जरुरत है। हमने इस पर गहन अध्ययन किया और पाया कि हम इस पर कैसे काम कर सकते हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने व्हाट्सअप ग्रुप बनाया और इस पर डिस्कस करना शुरू किया और फिर हमने इस पर काम करना शुरू किया हालांकि अभी बहुत सुधार करना बाकी है।

अध्ययन से ये बातें पता चली
रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि 70 फीसद मामलों में वाहन चालक की गलती होती है। अध्ययन में पाया गया कि सड़कों की चौड़ाई के साथ दुर्घटना का खतरा भी बढ़ता है। साथ ही वाहन के रफ्तार से भी दुर्घटना के कारण मौतों की आशंका बढ़ जाती है। इसके लिए विभाग ने स्पीड ब्रेकर्स और साइन सिग्नल की योजना बनाई। उन्होंने कहा कि सड़कों पर सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉल करवाने पर बात चल रही है ताकि गाड़ियों की रफ्तार और उनकी नंबर प्लेट पर नजर रखी जा सके।

सबसे बड़ा बदलाव ये किया गया कि पहले घटनास्थल पर एंबुलेंस पहुंचने में 16 मिनट लगते थे लेकिन अब इसे 8 मिनट किया जा रहा है। भौगोलिक बाधाओं को मात देने के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। अब कॉलर को अपने घटनास्थल का पूरा ब्यौरा नहीं देना होगा। अब 108 एप पर ही एंबुलेंस चालक घटनास्थल की लोकेशन जान सकेगा।

अस्पताल व्यवस्था में भी सुधार
अस्पताल पहुंचने के बाद भी वहां दी जाने वाली सुविधाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। चार मिनट के अंदर सीटी स्कैन किया जाएगा। 15 मिनट के अंदर रेडियोलॉजी रिपोर्ट डॉक्टर को सौंप दी जाएगी। पेपरवर्क में भी कोई बाधा नहीं आएगी। बताया कि गोल्डन आवर्स को प्लैटिनम मिनट्स में बदलने की कोशिश की जा रही है।

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