मप्र: धार में बड़ा संकट टला, धर्मशाला में हवन के साथ-साथ पढ़ी गई नमाज

मध्य प्रदेश के धार में आज प्रशासन की सूझबूझ से बड़ा संकट टल गया। प्रशासन के तय कार्यक्रम के मुताबिक भोजनशाला में आज हवन के साथ साथ नमाज भी पढ़ी गई। मुस्लिम समाज के करीब 25 लोगों ने एक साथ बैठकर शांतिपूर्वक नमाज अदा की।

By Atul GuptaEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2016 10:02 AM (IST) Updated:Fri, 12 Feb 2016 02:17 PM (IST)
मप्र: धार में बड़ा संकट टला, धर्मशाला में  हवन के साथ-साथ पढ़ी गई नमाज

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के धार में आज प्रशासन की सूझबूझ से बड़ा संकट टल गया। प्रशासन के तय कार्यक्रम के मुताबिक भोजनशाला में आज हवन के साथ साथ नमाज भी पढ़ी गई। मुस्लिम समाज के करीब 25 लोगों ने एक साथ बैठकर शांतिपूर्वक नमाज अदा की।

बसंत पंचमी के मौके पर आज भोजशाला में हवन का कार्यक्रम रखा गया था वहीं शुक्रवार होने की वजह से मुसलमान भी वहीं नमाज पढ़ने पर अड़े हुए थे। इस बीच मामले की संजीदगी को भांपते हुए प्रशासन ने पूरे इलाके को छावनी में तबदील कर दिया था । प्रशासन का कहना है कि दोपहर तक हवन के बाद मुसलमानों को नमाज भी पढ़ने दी जाएगी । उधर प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ सुमेरू मठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती धरने पर बैठ गए।

पूजा और नमाज की तैयारी

इससे पहले हिंदू जागरण मंच के सदस्य और अन्य भाेजशाला में पूजा करने को तैयार हो गए हैं। भोजशाला में पूजन सामग्री पहुंचाई जा रही है।वहीं नमाज के लिए भी प्रबंध किए जा रहे हैं।दोनों पक्ष आमने सामने न हो इसके लिए मार्ग भी पृथक बनाए गए हैं। वहीं शोभायात्रा भी भोजशाला पहुंची।सांसद और विधायकों ने पूजा कर इसे रवाना किया ।

शोभायात्रा का एक हिस्सा भोजशाला पर तो दूसरा हिस्सा धानमंडी पर था । इसमें 15 हजार से अधिक लोगों के शामिल होने की बात कही गई है । शोभा यात्रा के पहले विहिप नेता सोहन सिंह सोलंकी ने संबोधित किया और राज्य और केंद्र सरकार को इन हालातों के लिए कोसा। सांसद सावित्री ठाकुर, विधायक कालू सिंह ठाकुर , वेलसिंग भूरिया, जिला अध्यक्ष राज बरफा जिला पंचायत अध्यक्ष भी मौजूद रहे । यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया। यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई।

भारी सुरक्षा के बीच निकली शोभा यात्रा

प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने किसी भी अप्रिय हालात को टालने की भरसक कोशिश की। लाल बाग से भोजशाला के लिए शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। वहीं नमाज के लिए मुस्लिम समाज के लोग एकत्रित होना शुरू हो गए हैं।

हिंदू संगठनों का कहना है कि यज्ञ पूर्ण आहुति के बाद ही संपन्न होता है, लिहाजा यज्ञ बिना किसी विघ्न के संपन्न होना चाहिए और वो पूर्ण आहुति के बाद ही उठेंगे। हिंदू संगठनों ने यज्ञशाला के बाहर हवन कर रहे हैं

इससे पहले गुरुवार शाम तक हिंदू संगठन इस बात पर कायम थे कि परिसर के भीतर यज्ञ होगा और अखंड होगा। वहीं, एडीजी और कमिश्नर ने साफ कर दिया था कि पूजा और नमाज दोनो साथ साथ होगी। अब यज्ञ तो शुरू हो चुका है मगर प्रशासन के सामने नमाज के लिए उन्हें मनाने की चुनौती होगी।

जानिए, क्या है विवाद

धार की भोजशाला असल में भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग (एएसआई) के अधीन एक ऐसा स्मारक है, जिस पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपना दावा जताते रहे हैं. हिंदू इसे सरस्वती मां का मंदिर बताते हैं और मुसलमान कमाल मौला मस्जिद। लिहाजा एएसआई ने आदेश निकाला कि दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक नमाज़ होगी और सूर्योदय से दोपहर 12 बजे व फिर 3.30 बजे से सूर्यास्त तक पूजा की अनुमति रहेगी।

आम दिनों में भोजशाला में हर मंगलवार पूजा की अनुमति है और हर जुमे को नमाज़़ की। बाकी दिनों में सभी के लिए भोजशाला खुली रहती है। बीते एक माह से धार व आसपास के इलाके में तनाव की स्थिति बनती रही है, क्योंकि दोनों ही समुदाय के लोग परस्पर समझौते पर नहीं पहुंच पाए।

एक दशक पहले शुरू हुआ विवाद

प्राप्त रिकॉर्ड के मुताबिक 1953 से अब तक बीते 61 साल में आठ मौके ऐसे आए जब शुक्रवार को वसंत पंचमी आई, मगर विवादों का जन्म एक दशक पहले ही हुआ। इस एक दशक में दो ही मौके ऐसे आए, जिसमें सरकार और प्रशासन को एक ही दिन भोजशाला में पूजा और नमाज की चुनौती का सामना करना पड़ा।

दोनों ही मौकों पर व्यवस्था की कमान संभालने वाले अफसर और भोपाल में बैठकर गुपचुप निर्देश देने वाले मंत्रियों से हालात को समझने में चूक हुई। एक के बाद एक लिए गए गलत फैसले धार और इसके सौहार्द पर भारी पड़े। अब फिर 12 फरवरी को यही चुनौती सामने है। उसी दिन तय होगा कि पिछले गलत फैसलों से प्रशासन और पुलिस ने कोई सबक लिया है या नहीं।

शहर के सौहार्द पर भारी पड़ी ये गलतियां

2003 में भोजशाला के ताले खुलने के तीन साल बाद ही 2006 में पूजा और नमाज एक ही दिन संपन्ना करवाने की चुनौती थी। पुरातत्व विभाग से आदेश मिलने के बाद सरकार ने गेंद अफसरों के पाले में डाल दी। इसके बाद आईजी, 10 एसपी स्तर के अफसरों सहित भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। आयोजन के एक दिन पहले तक दोनों समुदाय से चर्चा कर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया जाता रहा लेकिन सफलता नहीं मिली। हिंदू संगठनों ने संकल्प ज्योति यात्रा से जिलेभर के लोगों को न्योता दिया था। भोजशाला परिसर के बाहर धर्मरक्षक संगम में एक लाख लोगों के शामिल होने का दावा किया गया था।

-अफसरों ने लोगों को धार आने से रोकने के लिए जिलेभर के रास्ते रोक दिए थे। शहर से 20-30 किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोक दिया गया। वसंत पंचमी के एक दिन पहले ही प्रशासन के इस कदम की खबर लोग तक पहुंची तो वे दोपहिया वाहनों पर धार की ओर बढ़े। रोका गया तो पूरी रात पैदल चलकर भोजशाला पहुंच गए।

अफसरों ने देखा कि लोग बड़ी संख्या में शहर आ गए हैं तो परिसर में सादे कपड़ों में केसरिया दुपट्टे डालकर बाउंसरों को तैनात कर दिया गया। भोजशाला खाली करवाए जाने के निर्देश मिलते ही उन्होंने लोगों को बलपूर्वक बाहर कर दिया। परिसर के बाहर जब यह खबर फैली तो लोग भड़क गए। उन्हें नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज करना पड़ा। 15 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्र्गीय ने बवाल के पहले कहा था कि हमारी सरकार सक्षम है और हम सामाजिक समरसता बनाए रखने में सफल रहेंगे, लेकिन स्थिति बिगड़ गई।

नहीं लिया सबक फिर दोहराया इतिहास

फरवरी 2013 में वसंत पंचमी और शुक्रवार एक साथ आने पर भी अधिकारियों ने रणनीति में कोई फेरबदल नहीं किया। भारी पुलिस बल जमा करने के साथ ही फ्लैग मार्च आदि से यही संदेश देने का प्रयास किया गया कि हमारी तैयारी पूरी है, लेकिन आखिर स्थिति बिगड़ी और उसका गुस्सा प्रभारी मंत्री को झेलना पड़ा।

ये हुई चूक

- तैयारियों में जुटे अफसरों ने सबसे कम फोकस बातचीत पर किया। दोनों ही समुदाय के पदाधिकारियों से जितनी बार भी बातचीत हुई, तीखे अंदाज में ही हुुई।

- तय टकराव को देखते हुए भी प्रशासन ने उसे टालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। जो पुलिस अफसर पहले धार में पदस्थ थे उनकी ड्यूटी बाहरी इलाकों में लगाई गई जबकि बाहर से बुलाए गए अफसरों को भोजशाला परिसर और मुख्य द्वार पर तैनात किया गया। इससे जैसे ही स्थिति बिगड़ी तो उन्होंने समझाने के प्रयास के बजाय लाठी चलाना शुरू कर दिया।

- भोजशाला परिसर में हिंदू संगठन के पदाधिकारियों और दर्शनार्थियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। आईजी, कमिश्नर की मौजूदगी में पिटाई की बात जब उन्होंने बाहर आकर बताई तो लोगों ने बैरिकेड तोड़कर अंदर घुसने का प्रयास किया। उन्हें रोकने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा बार लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। 100 से अधिक लोग घायल हो गए।

- पिटाई से घायल लोगों को देखने जब तत्कालीन प्रभारी मंत्री महेंद्र हार्डिया जिला अस्पताल पहुंचे तो उन्हें भी लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। हार्डिया ने भी पिटाई को गलत बताते हुए अफसरों की गलती बताई थी।

गोपनीय है पुलिस की रणनीति

-आज के दिन दोपहर 12 से तीन बजे के बीच प्रशासन और पुलिस भोजशाला खाली करवाने के लिए कौन सा तरीका अपनाती है पूरा दारोमदार इसी पर टिका है। पुलिस ने अपनी रणनीति को पूरी तरह से गोपनीय रखा है।

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