जाट आरक्षण पर जल्दी ही पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी सरकार
केंद्रीय नौकरियों में जाटों का आरक्षण समाप्त करने के फैसले को सरकार आसानी से नहीं स्वीकार करेगी। जाट आरक्षण रद होने से नाराज चल रहे जाटों को मनाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में जल्दी ही पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का मन बनाया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्रीय नौकरियों में जाटों का आरक्षण समाप्त करने के फैसले को सरकार आसानी से नहीं स्वीकार करेगी। जाट आरक्षण रद होने से नाराज चल रहे जाटों को मनाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में जल्दी ही पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का मन बनाया है।
उल्लेखनीय है कि किसी भी फैसले के खिलाफ एक माह के अंदर ही पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 मार्च को जाटों को आरक्षण देने वाली अधिसूचना रद कर दी थी। अत: हर हाल में 17 अप्रैल से पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी होगी। याचिका में न सिर्फ आरक्षण रद करने के फैसले को चुनौती दी जाएगी बल्कि यूपीएससी जैसी परीक्षाओं के लटके नतीजों की दुहाई देते हुए कोर्ट से जल्दी स्थिति साफ करने की भी गुहार लगाई जाएगी।
मार्च 2014 को तत्कालीन संप्रग सरकार ने अधिसूचना जारी कर नौ राज्यों बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर जिले, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जाटों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल कर लिया था। इससे इन राज्यों के जाटों को केंद्रीय नौकरियों और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में पिछड़ों को मिलने वाला आरक्षण मिल गया था। संप्रग सरकार ने चुनाव के ठीक पहले जाट आरक्षण का जो राजनीतिक कार्ड खेला था उसका लाभ तो उसे चुनाव में नहीं मिला लेकिन नरेंद्र मोदी की राजग सरकार को पता है कि आरक्षण रद होने का ठीकरा उसी के सिर फूटेगा। ऐसे में वह जाट आरक्षण बचाने में कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती।
पिछले दिनों जब आरक्षण की मांग लेकर जाटों का प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था तो प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि कानून और संविधान के दायरे में रहते हुए कोई रास्ता निकालेंगे। इसके बाद सरकार ने ग्र्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जो कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उपजी स्थिति से निपटने की रणनीति तैयार कर रही है।
कानून, गृह कार्मिक सहित कई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी विचार-विमर्श में लगे हैं। यूपीएससी का रिजल्ट तैयार है लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाने के कारण मामला लटक गया है। यूपीएससी को नतीजे घोषित करने से पहले सरकार से कुछ स्पष्टीकरण चाहिए होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने जाट आरक्षण रद करते हुए अपने फैसले में कहा था कि जाति पिछड़ापन निर्धारित करने का एक आधार हो सकती है लेकिन एकमात्र आधार नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने जाट आरक्षण के बारे में सरकार द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशें नजर अंदाज करने को भी सही नहीं माना था। पिछड़ा वर्ग आयोग ने जाटों को ओबीसी के आरक्षण न दिए जाने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जाट समुदाय आरपार की लड़ाई लडऩे के मूड में दिख रहा है।
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