गोवा के 14 साहित्य अकादमी विजेता छेड़ेंगे देशव्यापी अभियान

लेखकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दादरी कांड की आलोचना को नाकाफी माना है। प्रमुख लेखकों नयनतारा सहगल, शशि देशपांडे और अन्य ने प्रधानमंत्री से कठोर निंदा की मांग की।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Thu, 15 Oct 2015 02:31 AM (IST) Updated:Thu, 15 Oct 2015 07:32 AM (IST)
गोवा के 14 साहित्य अकादमी विजेता छेड़ेंगे देशव्यापी अभियान

नई दिल्ली/पणजी/कोलकाता/मुंबई । लेखकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दादरी कांड की आलोचना को नाकाफी माना है। प्रमुख लेखकों नयनतारा सहगल, शशि देशपांडे और अन्य ने प्रधानमंत्री से कठोर निंदा की मांग की। उधर गोवा के 14 साहित्य अकादमी विजेता लेखकों ने हाल ही में लेखकों और उदारवादियों की हत्याओं के विरोध में देश में अभियान शुरूकरने का एलान किया है।

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भांजी और देश में असहिष्णुता के खिलाफ अपना 1986 का साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाली 88 वर्षीय नयनतारा सहगल ने कहा कि यह देश केवल हिंदुओं का नहीं, सभी हिंदुस्तानियों का है। देश का मतलब सिर्फ हिंदू नहीं बल्कि हिंदुस्तानी है।बढ़ती हिंसा को देखते हुए इन सभी को सुरक्षा की जरूरत है। सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी धर्मो का आदर हो। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। वहीं, साहित्य अकादमी की महापरिषद से हटने वाले बेंगलुर के लेखक शशि देशपांडे ने कहा कि दादरी के प्रकरण की आलोचना करने में मोदी ने बहुत ही हल्के शब्द 'दुर्भाग्यपूर्ण' का इस्तेमाल किया। देश के नेता को देश में हो रही गतिविधियों की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। देश के लोगों ने आपको निर्वाचित किया है और आपके कहे दो शब्द भी बहुत बदलाव ला सकते हैं।

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पणजी में गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स में कोंकणी लेखकों ने बैठक करके देश भर में इसके खिलाफ अभियान चलाने का एलान किया है। वह इस मसले को अन्य कलाकारों और आगामी अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में भी उठाएंगे। कोंकणी लेखक एन.शिवदास ने भी कहा कि हमने लगातार विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। हम इस विरोध को अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों तक ले जाएंगे। केके दारूवाला ने भी लौटाया अवॉर्ड साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटाने का सिलसिला जारी है। अब कवि केके दारूवाला ने कहा कि वह अवॉर्ड लौटा रहे हैं। बांग्ला कवयित्री मंदाक्रांता सेन ने भी बुधवार को अपना स्वर्ण जयंती विशेषष साहित्य अकादमी यंग राइटर्स अवॉर्ड लौटा दिया। मंदाक्रांता को बांग्ला काव्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए 2014 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अब तक 28 लेखक ऐसा कर चुके हैं।

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पुरस्कार लौटाने की आलोचना

कोलकाता में वरिष्ठ बंगाली कवि निरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने लेखकों और कवियों द्वारा अवॉर्ड लौटाने की आलोचना की है। उन्होंने इसे बहुत ही निंदनीय मामले के विरोध का बहुत ही दुर्बल तरीका करार दिया। इसी तरह कवि शंख घोष ने भी कहा कि विरोध का कोई और तरीका अपनाया जाना चाहिए। उधर असम साहित्य सभा ने भी साहित्य अकादमी का गैरजरूरी राजनीतिकरण किए जाने पर चिंता जताई।

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लेखकों का अवॉर्ड लौटाना राजनीति से प्रेरित : अनुपम

बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने लेखकों के एक तबके पर बुधवार को प्रहार करते हुए कहा कि यह कदम राजनीति से प्रेरित है। ऐसा नहीं है कि देश में हिंसा की घटनाएं पहली बार हो रही हैं। सामाजिक मुद्दों पर अपनी धारदार राय रखने वाले अनुपम ने कहा कि लेखकों का अवॉर्ड लौटाने का मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब करना है। अगर वह लौटाना ही चाह रहे हैं तो सब कुछ क्यों नहीं लौटा रहे। वह एक चायवाला से देश का प्रधानमंत्री बनने के मोदी के सफर को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के कांसर्ट रद होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे भी अपना नाटक पाकिस्तान में करने की इजाजत नहीं मिली थी। मैंने कई बार कोशिश की थी, लेकिन मुझे पाकिस्तान ने वीसा नहीं दिया। मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है।

अवॉर्ड लौटाना वैचारिक असहिष्णुताः जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि लेखकों का अवॉर्ड लौटाना वैचारिक असहिष्णुता है। ये लेखक एक तरह की राजनीति कर रहे हैं। जो दुखद घटनाएं कांग्रेस और सपा शासित राज्यों में हुई या हो रही है उसके लिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने में जुटे हैं।साहित्य सम्मान लौटा रहे लेखक यह भूल गए हैं कि एमएम कलबुर्गी की हत्या कर्नाटक में हुई और वहां कांग्रेस की सरकार है। उसी तरह महाराष्ट्र में एन. दाभोलकर की हत्या हुई और उस वक्त वहां भी कांग्रेस की सरकार थी। उत्तर प्रदेश में दादरी की घटना हुई है और वहां सपा की सरकार है।

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