रेनसमवेयर अटैक की चपेट में मुंबई का जवाहरलाल नेहरू पोर्ट, कामकाज प्रभावित
रैनसमवेयर ऐसा वायरस है जिससे डाटा लॉक हो जाता है। उसे अनलॉक करने के लिए हैकर्स बिटकॉइंस या डॉलर्स में रकम मांगते हैं।
मुंबई, जेएनएन। रैनसमवेय का अटैक एक बार फिर मंगलवार को भारत समेत यूरोप के कई देशों में हुआ। भारत में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट भी इसकी चपेट में आ गया। इसकी वजह से पोर्ट का काम ठप पड़ गया। हालांकि यूक्रेन, रूस और ब्रिटेन इस साइबर अटैक से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। पिछली बार रैनसमवेयर अटैक का प्रभाव भारत में आंध्र प्रदेश के पुलिस नेटवर्क पर पड़ा है।
साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो यह नए तरह का वायरस अटैक है। इस वायरस अटैक से यूक्रेन में सरकारी आफिस, बिजली कंपनी, बैंक, एविएशन कंपनी एंतोनोव और दो डाक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं। भारत में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट भी इसकी चपेट में आ गया। इसकी वजह से पोर्ट का काम ठप पड़ गया। जेएनपीटी के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया, 'हमें बताया गया है कि जीटीआई पर संचालन रुक गया है, क्योंकि (मैलवेयर हमले के चलते) उनके सिस्टम डाउन (बंद) हो गए हैं। वे मैन्यूअली काम करने की कोशिश कर रहे हैं। वे इस समस्या से निपटने में जुटे हुए हैं।'
हालांकि उन्होंने निराशा भरे स्वर में कहा कि जेएनपीटी भी कंपनी की मदद करने की कोशिश कर रही है, लेकिन ज़्यादा कुछ नहीं किया जा सकता, क्योंकि समस्या सिस्टम के साथ है। अब देखते हैं कि कब तक समस्या का समाधान हो पाता है। ऑफिसर ने बताया, 'सिस्टम बंद पड़ जाने के कारण पोर्ट पर ना तो कंटेनर्स की लोडिंग हो पाई और ना ही कंटेनर उतारे जा सके। रैनसमवेयर ने जेएनपीटी के कंप्यूटर सिस्टम को खराब कर दिया है। सिस्टम हमारी कमांड से बाहर है।'
क्या है रैनसमवेयर
साल 2017 के मई महीने में भारत समेत दुनियाभर के लगभग 100 देशों में इतिहास का सबसे बड़ा साइबर अटैक हुआ था। इसकी शुरुआत यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस से हुई। इसे रैनसमवेयर अटैक कहा जा रहा था। यह ऐसा वायरस है जिससे डाटा लॉक हो जाता है। उसे अनलॉक करने के लिए हैकर्स बिटकॉइंस या डॉलर्स में रकम मांगते हैं। भारत में इस वायरस का असर आंध्र प्रदेश के पुलिस नेटवर्क पर पड़ा है। इसके बाद आंध्र पुलिस का 25% इंटरनेट नेटवर्क भी ठप्प पड़ गया था।
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