अंगदान पर मुफ्त यात्रा व स्वास्थ्य बीमा देने की तैयारी

अंगदान दूसरों के लिए जीवनदान है। अंगदान करने वाले मरने के बाद भी मौत के करीब पहुंच चुके दूसरों को जीवन दे जाते हैं। इस साल एम्स में ब्रेन डेड घोषित 13 लोगों के अंगदान से कई लोगों को नई जिंदगी मिली।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Mon, 14 Dec 2015 08:50 AM (IST) Updated:Mon, 14 Dec 2015 08:50 AM (IST)
अंगदान पर मुफ्त यात्रा व स्वास्थ्य बीमा देने की तैयारी

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। अंगदान दूसरों के लिए जीवनदान है। अंगदान करने वाले मरने के बाद भी मौत के करीब पहुंच चुके दूसरों को जीवन दे जाते हैं। इस साल एम्स में ब्रेन डेड घोषित 13 लोगों के अंगदान से कई लोगों को नई जिंदगी मिली।

इसके बावजूद व्यवस्था की खामी यह है कि अंगदान करने वाले महादानियों के परिजन की सुध नहीं ली जाती। लेकिन अब केंद्र सरकार अंगदान करने वाले परिजन को रियायत और प्रोत्साहन देने की तैयारी कर रही है।

सफदरजंग अस्पताल स्थित राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने लोगों से राय भी मांगी है कि उन्हें क्या सुविधाएं दी जाए। बताया जा रहा है कि सरकार अंगदान करने पर परिजन को ट्रेन में मुफ्त यात्रा और स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की तैयारी कर रही है। इससे अंगदान में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के प्रोग्राम अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि फिलहाल उन्हें मुफ्त रेल यात्रा व स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने पर सरकार विचार कर रही है। स्वास्थ्य बीमा का फायदा यह होगा कि बीमार होने पर वे किसी भी अस्पताल में मुफ्त इलाज करा सकेंगे, लेकिन इस पर फैसला होना बाकी है।

अंगों की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर

वर्तमान समय में प्रत्यारोपण के लिए अंगों की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है। देश में हर साल करीब दो लाख मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। इसमें सिर्फ सात हजार लोगों का प्रत्यारोपण हो पाता है। इसी तरह 50-60 हजार लोगों को लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, जबकि महज दो हजार लोगों को यह सुविधा मिल पाती है।

हर साल एक लाख लोगों को कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, जबकि करीब 50 हजार लोगों के आंखों को ही रोशनी मिल पाती है।

बचाया जा सकता है हजारों लोगों का जीवन

सड़क हादसे में देश भर में डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है। इसमें सिर्फ दिल्ली में करीब 1800 लोग असमय मौत के शिकार होते हैं। उनके अंगदान से ऑर्गन फेल्योर की बीमारी से जूझ रहे हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है। जागरूकता के अभाव में प्रभावित परिजन अंगदान को तैयार नहीं होते। इसका कारण यह भी है कि अंगदान करने वाले परिजन को किसी तरह सरकारी रियायत नहीं दी जाती।

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